पहला सुख निरोगी काया:

 🕉️🙏 नमस्ते जी      🙏🕉️

- आचार्य संजीव रूप 

🚩 कार्तिक - कृष्ण - ८ -२०७९ 🚩

  

🍁 18       अक्टूबर   2022 🍁~~~~~~

दिन -----           मंगलवार 

'तिथि   :       अष्टमी 11:58 प्रातः तक

नक्षत्र ---           पुष्य

पक्ष ------          कृष्ण

माह-- ---          कार्तिक

ऋतु --------        शरद

सूर्य  ------          दक्षिणायणे  

विक्रम सम्वत --   2079 

दयानन्दाब्द --      198

वङ्गाब्द -             1428

शक सम्बत -.      1944

कलयुगाब्द,:        5124

मन्वन्तर ----         वैवस्वत .

कल्प सम्वत--1972949123वां

मानव,वेदोत्पत्ति सृष्टिसम्वत- १९६०८५३१२३ वां


🌹 रूप -वाणी

पद पाने पर गम्भीर होकर जिम्मेदारी व चुनोतियों  का अहसास करने वाला पद का असली स्वामी होता है।


🍑 पहला सुख निरोगी काया: 

तिल: तिल सर्दी के मौसम का शक्तिप्रद खाद्य है। गर्भवती को तिल न खिलाएँ।काले तिल उत्तम होते हैं।



🌷आचार्य संजीव रूप* 

सरस वेदकथाकार,पुरोहित,कवि 

यज्ञतीर्थ- गुधनी-बदायूँ(उप्र)

9997386782 wu 9870989072


🏵 हिन्दी संकल्प पाठ 🏵


हे परमात्मन् आपको नमन! आपकी कृपा से मैं आज एक यज्ञ कर्म को तत्पर हूँ, आज एक ब्रह्म दिवस के दूसरे प्रहर कि जिसमें वैवस्वत मन्वन्तर वर्तमान है,अट्ठाईसवीं चतुर्युगी का कलियुग वर्तमान है। वेदोत्पत्ति  मानव उत्पत्ति सृष्टिसम्वत एक अरब छियानवे करोड़ आठ लाख तिरेपन हजार एक सौ तेईसवां है,कलियुगाब्द 5124, विक्रम सम्वत् दो हजार उन्यासी है,दयानन्दाब्द 198वां है, सूर्य दक्षिण अयन में उत्तर गोल में वर्तमान है ,कि ऋतु शरद,  मास कार्तिक *कृष्ण  पक्ष ,तिथि -  *अष्टमी, नक्षत्र-पुष्य,आज *मंगलवार है,18 अक्टूबर 2022 को भरतखण्ड के आर्यावर्त देश के अंतर्गत, ..प्रदेश के  ....जनपद...के ..ग्राम/शहर...में स्थित (निज घर में,या आर्यसमाज मंदिर में मैं ...अमुक गोत्र में उत्पन्न, पितामह श्री ....(नाम लें ).के सुपुत्र श्री  .(पिता का नाम लें)उनका पुत्र मैं ...आज सुख ,शान्ति ,समृद्धि के लिए तथा आत्मकल्याण के लिए  प्रातः वेला में यज्ञ का संकल्प लेता हूँ!(ऋत्विक वरण)- जिसके निर्देशक /ब्रह्मा के रूप में आप आचार्य..... श्री का वरण करता हूँ,


   🕉️ संस्कृत संकल्प पाठ:🕉

                   

ओं तत्सद्।श्री व्रह्मणो दिवसे द्वितीये प्रहरार्धे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे , एकोवृन्दः षण्णवतिकोटि: अष्टलक्षाणि त्रिपञ्चाशत्सहस्राणि  त्रिविंशत्युत्तरशततमे  सृष्टिसंवत्सरे, पञ्चशहस्राणि द्वाविशत्युत्तरशततमे कलियुगे, नवसप्ततति: उत्तर द्वी सहस्रे वैक्रमाब्दे ,चतुश्चत्वारिंशति उत्तर एकोनविंशति शाके १९४४  दयानन्दाब्द(अष्टनवती उत्तर शततमे) १९८ , रवि दक्षिणायणे, उत्तर गोले, शरद ऋतौ, कार्तिक मास:,कृष्ण पक्षे,  तिथि- अष्टमी , पुष्य नक्षत्रम्, मंगलवार  तदनुसारम् आङ्गलाब्द 2022 अक्टूबर मासः, 18 दिनांक*।

जम्बूद्वीपे,...

भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्  गते .........प्रदेशे ,........जनपदे.. ..नगरे......गोत्रोत्पन्नः....श्रीमान्.(पितामह)....(पिता..).पुत्रस्य... अहम् .'(स्वयं का नाम).....अद्य  प्रातः कालीन वेलायाम्  सुख शान्ति समृद्धि हितार्थआत्मकल्याणार्थम् ,रोग -शोक निवारणार्थम् च यज्ञ कर्मकरणाय भवन्तम् वृणे/सम्पाद्यते।अद्यतनं दिनं सर्वेषां कृते मङ्गलमयं भूयात्!🙏

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