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आज का वेद मंत्र

 🕉️🙏ओ३म् सादर नमस्ते जी 🙏🕉️ 🌷🍃 आपका दिन शुभ हो 🍃🌷 दिनांक  - -    २२ अक्तूबर २०२२ ईस्वी    दिन  - -   शनिवार    🌘 तिथि - - -  द्वादशी ( १८:०२ तक तत्पश्चात त्रयोदशी ) 🪐 नक्षत्र  - - -  पूर्वाफाल्गुन ( १३:५० तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुन ) पक्ष  - -  कृष्ण   मास  - -   कार्तिक  ऋतु  - -  शरद  ,   सूर्य  - -  दक्षिणायन 🌞 सूर्योदय  - - दिल्ली में प्रातः  ६:२६ पर 🌞 सूर्यास्त  - -  १७:४५ पर  🌘 चन्द्रोदय  - -  २८:०७ +  पर  🌘चन्द्रास्त  - -  १६:१०  पर  सृष्टि संवत्  - - १,९६,०८,५३,१२३ कलयुगाब्द  - - ५१२३ विक्रम संवत्  - - २०७९ शक संवत्  - - १९४४ दयानंदाब्द  - - १९८ 🍁🍀🍁🍀🍁🍀🍁🍀🍁🍀 🚩‼️ओ३म्‼️🚩 🔥गृहस्थ आश्रम में ब्रह्म प्राप्ति!!!  =================    गृहस्थ आश्रम तो लोक -परलोक दोनों को सुधारने का एक बहुत बड़ा साधन है  गृहस्थ को ब्रह्म -प्राप्ति में बाधक नहीं साधक समझा जाता था    प्रभु की प्रार्थना -उपासना गृहस्थ आश्रम में माधुर्य और सुख की वृध्दि करेगी महर्षि दयानंद ने तो उपासना और प्रार्थना के बड़े लाभ लिखे हैं सत्यार्थ प्रकाश में महाराज जी लिखते हैं कि -जो परमेश्वर की स्तुति

क्या अकबर ने इस्लाम छोड़ दिया था?

 ◆ क्या अकबर ने इस्लाम छोड़ दिया था? --------------------------------------------------------- कुछ समय से गीतकार जावेद अख्तर बादशाह अकबर का झंडा बुलंद कर रहे हैं। एक ताने जैसा कि अकबर के समय भारत धनी था, इसलिए मुगल-काल को बुरा नहीं कहना चाहिए। उन के पीछे दूसरे सेक्यूलर-वामपंथी भी वही दुहरा रहे हैं। लेकिन क्या वे जानते हैं कि क्या कह रहे हैं? कुछ लोगों को जानकर आश्चर्य होगा कि भारत और पाकिस्तान में अकबर की छवियाँ उलटी है। यहाँ उसे  उदार, काबिल बादशाह का आदर मिलता है; मगर पाकिस्तान में अकबर के प्रति घृणा-सी फैलाई गई। क्योंकि उस ने यहाँ इस्लामी शासन का ढ़ाँचा समेट लिया था। स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना आजाद ने कहा था कि अकबर ने ‘भारत से इस्लाम को खत्म कर दिया’। पाकिस्तानी इतिहासकार आई. एच. कुरैशी भी अकबर को ‘काफिर’ मानते थे। अतः भारत-पाकिस्तान में अकबर की उलटी छवियाँ एक ही सत्य पर खड़ी हैं! निश्चय ही अकबर पहले जिहादी था। तेरह वर्ष की उम्र में ही उस ने महान हिन्दू नायक हेमचन्द्र को मूर्छित-घायल अवस्था में अपने हाथों कत्ल किया था। अपनी हुकूमत के पहले 24 साल उस ने वही किया जो म

What is religion in the words of Swami Dayanand

 What is religion in the words of Swami Dayanand I believe in a religion based on universal and all embracing principles which have always been accepted as true by mankind, and will continue to command the allegiance of mankind in the ages to come. Hence it is that the religion in question is called the primeval eternal religion, which means that it is above the hostilities of all human creeds whatsoever. Whatever is believed in by those who are steeped in ignorance or have been led astray by the secretaries is not worthy of being accepted by the wise. That faith alone is really true and worthy of acceptance which is followed by the aptas, i.e. those who are truthful in word, deed and thought, promote public good and are impartial and learned; but all that is discarded by such men must be considered as unworthy of belief and false. “My conception of god and all other objects in the universe is founded on the teachings of the Vedas and other true shastras, and is in conformity with the

धर्म-मेघ का आवाहन

 धर्म-मेघ का आवाहन  वृषा ह्यसि भानुना द्युमन्तं त्वा हवामहे । पवमान स्वर्दृशम्।। पवमान ! - हे पवित्रता के पुतले ! वृषा हि असि - तुम धर्म-मेघ ही तो हो  भानुना द्युमन्तम् - एक अलौकिक प्रकाश से चमक रहे त्वा स्वर्दृशम् - तुझ आत्मदर्शी को हवामहे -हम प्रजाजन पुकार-पुकार कर बुलाते हैं  धर्म-मेघ प्रजाओं का प्यारा होता है । वही जल जो मोरियों और गलियों में सड़ रहा था , सूर्य के प्रताप से तप-तप कर वाष्प बन गया है । पृथिवी का पानी पृथिवी से ऊपर उठ गया है । उस का सवन हुआ है । अब वह कैसा निर्मल है ! लो ! वह हवा के कन्धों पर चढ़ गया । अब उस का सिंहासन आकाश पर है । चाँद से , तारों से , सूर्य से उस की रात दिन अठखेलियाँ है । जिस पृथिवी ने उसे कुछ दिन पूर्व सन्तप्त कर अपने से दूर हटा दिया था , अब वही पृथिवी आँखें उठाये उस की बाट जोहती है । पृथिवी का गला सूख गया है । उस से आवाज़ नहीं निकल सकती । मंगलमय मेघ ! बरसो ! सूखी भूमि की छाती फिर से हरी कर दो । ऐसे ही , योगी इन्हीं गलियों , बाज़ारों में बसने वाला साधारण मनुष्य ही तो था । उस ने प्रकाश का रास्ता लिया । तपस्या की किरणों पर सवार हो गया । ऊँचा उठा । देव

भारतीय इतिहास की भयंकर भूले

 भारतीय इतिहास की भयंकर भूले  काला पहाड़ बांग्लादेश। यह नाम स्मरण होते ही भारत के पूर्व में एक बड़े भूखंड का नाम स्मरण हो उठता है। जो कभी हमारे देश का ही भाग था। जहाँ कभी बंकिम के ओजस्वी आनंद मठ, कभी टैगोर की हृद्यम्य कवितायेँ, कभी अरविन्द का दर्शन, कभी वीर सुभाष की क्रांति ज्वलित होती थी। आज बंगाल प्रदेश एक मुस्लिम राष्ट्र के नाम से प्रसिद्द है। जहाँ हिन्दुओं की दशा दूसरे दर्जें के नागरिकों के समान हैं। क्या बंगाल के हालात पूर्व से ऐसे थे? बिलकुल नहीं। अखंड भारतवर्ष की इस धरती पर पहले हिन्दू सभ्यता विराजमान थी। कुछ ऐतिहासिक भूलों ने इस प्रदेश को हमसे सदा के लिए दूर कर दिया। एक ऐसी ही भूल का नाम कालापहाड़ है। बंगाल के इतिहास में काला पहाड़ का नाम एक अत्याचारी के नाम से स्मरण किया जाता है। काला पहाड़ का असली नाम कालाचंद राय था। कालाचंद राय एक बंगाली ब्राहण युवक था। पूर्वी बंगाल के उस वक्‍त के मुस्लिम शासक की बेटी को उससे प्‍यार हो गया। बादशाह की बेटी ने उससे शादी की इच्‍छा जाहिर की। वह उससे इस कदर प्‍यार करती थी। वह उसने इस्‍लाम छोड़कर हिंदू विधि से उससे शादी करने के लिए तैयार हो गई। ब्राहमण

लक्ष्मी पूजन

 लक्ष्मी पूजन    दीपावली पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्ति बनाकर पूजने वाले सज्जनो! इस नकली मूर्ति पूजा से कुछ हाथ ✋ न लगेगा। यदि लक्ष्मी अर्थात् सांसारिक धन पाना चाहते हो तो लक्ष्मी को समझकर उसी की पूजा करो। लक्ष्मी किसे कहते हैं? जो सब चराचर जगत् को देखता, चिह्नित करता अर्थात् दृश्य बनाता, जैसे शरीर के नेत्र, नासिका, वृक्ष के पत्र, पुष्प, फल 🍎 आदि व मिट्टी, सूर्य, चन्द्र आदि बनाता , ऐसा वह परमेश्वर लक्ष्मी कहलाता है।इसी प्रकार - वेदैराप्तैर्योगिभिश्च यो लक्ष्यते स लक्ष्मी: सर्वप्रियेश्वर: अर्थात् जो वेदादि शास्त्र वा धार्मिक विद्वान् योगियों का लक्ष्य अर्थात् देखने योग्य है वह परमेश्वर लक्ष्मी कहलाता है।जरा सोचो कि ऐसे सर्वव्यापक आनन्दस्वरूप परमेश्वर की कभी मूर्ति बन सकती है? जब विश्व का कोई भी छायाकार साकार वायु का छायाचित्र नहीं ले सकता, तो आपके पास निराकार परमेश्वर रूप लक्ष्मी का चित्र कहाँ से आ गया? अहो!! योगिजन जिसका ध्यान अन्तर्मुख होकर करते हैं, असम्प्रज्ञात समाधि में जिसके स्वरूप में निमग्न होते हैं वह शुद्ध परमेश्वर मूर्तिपूजा करने वालों को कभी  हाथ नहीं लग सकता अत: लक्ष्मीपूजन य

आज का वेद मंत्र

 🕉️🙏ओ३म् सादर नमस्ते जी 🙏🕉️ 🌷🍃 आपका दिन शुभ हो 🍃🌷 दिनांक  - -    २१ अक्तूबर २०२२ ईस्वी    दिन  - -   शुक्रवार    🌘 तिथि - - -  एकादशी  ( १७:२२ तक तत्पश्चात द्वादशी ) 🪐 नक्षत्र  - - -  मघा  ( १२:२८ तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुन ) पक्ष  - -  कृष्ण   मास  - -   कार्तिक  ऋतु  - -  शरद  ,   सूर्य  - -  दक्षिणायन 🌞 सूर्योदय  - - दिल्ली में प्रातः  ६:२५ पर 🌞 सूर्यास्त  - -  १७:४६ पर  🌘 चन्द्रोदय  - -  २७:१० +  पर  🌘चन्द्रास्त  - -  १५:४६  पर  सृष्टि संवत्  - - १,९६,०८,५३,१२३ कलयुगाब्द  - - ५१२३ विक्रम संवत्  - - २०७९ शक संवत्  - - १९४४ दयानंदाब्द  - - १९८ 🍁🍀🍁🍀🍁🍀🍁🍀🍁🍀 🚩‼️ओ३म्‼️🚩  🔥 मनुष्य का आहार क्या है ? 🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹     सत्त्व, रज और तम की साम्यावस्था का नाम प्रकृति है । भोजन की भी तीन श्रेणियां हैं । प्रत्येक व्यक्ति अपने रुचि वा प्रवृत्ति के अनुसार भोजन करता है । श्रीकृष्ण जी महाराज ने गीता में कहा है –   आहारस्त्वपि सर्वस्य त्रिविधो भवति प्रियः   सभी मनुष्य अपनी प्रवृत्ति के अनुसार तीन प्रकार के भोजन को प्रिय मानकर भक्षण करते हैं । अर्थात् सात्त्विक वृत्ति