आज का वेद मंत्र 🚩

 🕉️🙏ओ३म् सादर नमस्ते जी 🙏🕉️

🌷🍃 आपका दिन शुभ हो 🍃🌷


दिनांक  - -    ०१ अक्तूबर २०२२ ईस्वी 

 

दिन  - -  शनिवार 



  🌒 तिथि - - -षष्ठी ( २०:४९ तक तत्पश्चात सप्तमी )



🪐 नक्षत्र -  -  ज्येष्ठा ( २८:२८ तक तत्पश्चात मूल )


पक्ष  - -  शुक्ल  


 मास  - -   आश्विन 


ऋतु  - -  शरद 

,  

सूर्य  - -  दक्षिणायन


🌞 सूर्योदय  - - दिल्ली में प्रातः  ६:१८ पर


🌞 सूर्यास्त  - -  १८:०४ पर 


🌒 चन्द्रोदय  - -  ११:२९  पर 


🌒चन्द्रास्त  - -  २२:०७  पर 


सृष्टि संवत्  - - १,९६,०८,५३,१२३


कलयुगाब्द  - - ५१२३


विक्रम संवत्  - - २०७९


शक संवत्  - - १९४४


दयानंदाब्द  - - १९८


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🚩‼️ओ३म्‼️🚩


🔥 क्रोधाद्भवति संमोहः संमोहात्स्मृतिविभ्रमः।

स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति।।

भगवद्गीता २\६३


   क्रोध करने से मूढ़ता उत्पन्न होती है। मूढ़ता से स्मृति में भ्रम उत्पन्न हो जाता है। स्मृति में भ्रम उत्पन्न होने से बुद्धि का नाश हो जाता है। बुद्धि का नाश होने से फिर मनुष्य का पूर्णतः पतन हो जाता है। जो मनुष्य क्रोध करता है उसे बाद में दुखी होना पड़ता है। क्रोध मनुष्य के सोचने समझने की शक्ति को खत्म कर देता है। अंततः क्रोध में किया हुआ कार्य मनुष्य के दुख का कारण बनता है।


  हम सभी जानते है कि क्रोध हमारे लिए कितना घातक और नुकसानदेह है, फिर भी हम सभी बेवजह ही क्रोध का शिकार हो जाते है और खुद तो परेशान होते ही है, अपने साथ रहने वालों को भी परेशान करते रहते है।


  एक सज्जन अत्यंत शांत स्वभाव के थे। उन्हें कभी किसी बात पर क्रोध नहीं आता था। यदि कोई व्यक्ति उनके साथ अप्रिय आचरण करता तो भी वे सदा मुस्कुराते रहते। बार बार प्रयास करने के बाद भी कभी कोई उन्हें गुस्सा नहीं दिला पाया। उनकी इस असीम सहनशीलता को देखकर लोगों ने उनसे पूछा "आप को सहन करने की इतनी शक्ति कहां से मिली?"


  सज्जन ने जवाब दिया "जिसका लक्ष्य ऊंचाई पर जाना होता है वह ऐसी छोटी मोटी बातों से खुद को नही बहकाता। मेरी दृष्टि सदैव ऊपर की ओर रहती है। कहने वाले कुछ भी कहते रहें मुझे फर्क नही पड़ता। यदि मैं सत्य के पथ पर हूँ तो इस तरह की कोई भी बाधा मुझे विचलित नही कर सकती। मेरा ध्यान जब भी नीचे की ओर जाता है तो मैं देखता हूं कि मात्र उठने बैठने और सोने के लिए व्यक्ति को आखिर कितनी जमीन जायदाद चाहिए? जब मेरी दृष्टि घोर कष्ट में जीवन बिता रहे लोगों पर जाती है तो मेरे मन में उनके प्रति करुणा पैदा होती है। याद रखिए कि जिसके मन में दूसरों के प्रति करुणा और समभाव होता है, वह कभी चाह कर भी क्रोध नहीं कर सकता। मेरी शांति का यही रहस्य है"। 


  अग्नि का स्वभाव है जला देना, स्वाहा कर देना। वेद में अग्नि का संबंध तेज से भी जोड़ा गया है। तेजोअसि तेजो मयि धेहि!  

जब ये अग्नि जठराग्नि के रूप में होती है तो भोजन को पचाती है। लेकिन जब यही जठराग्नि कमजोर होती है तो यह हमारे पाचन शक्ति पर प्रतिकूल असर डालती है। लेकिन क्रोधाग्नि ऐसी अग्नि है जो हर हालत में खतरनाक है। यह हमारे जप, तप एवं सकारात्मक सोच को नष्ट कर सकती है। इसलिए शांति की तलाश में लगे लोगों को क्रोध से सावधान रहना चाहिए। विज्ञान भी अपने परीक्षणों के आधार पर कहता है कि जब व्यक्ति को क्रोध आता है तब उसके खून में एक विशेष किस्म का जहरीला केमिकल उत्सर्जित होता है, जो चर्म रोग आदि बीमारियों को जन्म दे सकता है। 


  वेद में अनेकों जगह ऋषि ने ईश्वर से क्रोध को मांगा है। वेद में क्रोध को मन्यु कह कर संबोधित किया गया है। मन्यु का संस्कृत में अर्थ है विवेक युक्त मर्यादित क्रोध!

मन्युरसि मन्युं मयि धेहि

यजुर्वेद – १९\९


  हे दुष्टों पर क्रोध करने वाले परमेश्वर! आप दुष्ट कामों और दुष्ट जीवो पर क्रोध करने का स्वभाव मुझ में भी प्रदान कीजिये।


  अब सवाल उठता है कि जब क्रोध गलत है, तो ईश्वर से उसकी मांग क्यों की जा रही है। 

क्रोध के साथ जब आपका विवेक भी साथ मे होता है तो क्रोध कभी भी गलत नही होता। याद रखिये यदि क्रोध का समय और उपयोग ठीक नहीं है तब वह गलत है। अच्छे अच्छे विद्वान भी ऐसे वक्त पर क्रोध के वशीभूत होकर दानव बन जाते हैं।

क्रोध के साथ विवेक का होना बहुत जरूरी है। यह विवेक ही अनुचित क्रोध पर नियंत्रण करता  है। जिनका विवेक जाग्रत है वे समय और उपयोग के मामले में सावधान रहते हैं। 


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🕉️🚩 आज का वेद मंत्र 🚩🕉️


   🌷ओ३म् वाजस्य मा प्रसवऽउग्राभेणोदग्रभीत्।

अधा सपत्नानिन्द्रो मे निग्राभेणाधराँऽअक:॥ यजुर्वेद 

                 

💐 अर्थ  :- हे ईश्वर, ज्ञान के प्रदाता, आप मुझे विषय वासनाओं से ऊपर उठने की शक्ति प्रदान करो जो मैं आप के समीप पहुंच जाऊं। हे ईश्वर, आप मेरे शत्रुओं (काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि) को निम्न से निम्न स्थान प्रदान करो जहां से वो समाप्त हो जायें।


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🔥विश्व के एकमात्र वैदिक  पञ्चाङ्ग के अनुसार👇

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 🙏 🕉🚩आज का संकल्प पाठ🕉🚩🙏


(सृष्ट्यादिसंवत्-संवत्सर-अयन-ऋतु-मास-तिथि -नक्षत्र-लग्न-मुहूर्त)       🔮🚨💧🚨 🔮


ओ३म् तत्सत् श्रीब्रह्मणो द्वितीये परार्द्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे 【एकवृन्द-षण्णवतिकोटि-अष्टलक्ष-त्रिपञ्चाशत्सहस्र- त्रिविंशत्युत्तरशततमे ( १,९६,०८,५३,१२३ ) सृष्ट्यब्दे】【 नवसप्तत्युत्तर-द्विसहस्रतमे ( २०७९ ) वैक्रमाब्दे 】 【 अष्टनवत्यधिकशततमे ( १९८ ) दयानन्दाब्दे, नल-संवत्सरे,  रवि- दक्षिणयाने शरद -ऋतौ, आश्विन -मासे , शुक्ल - पक्षे, - षष्ठयां  तिथौ,  - ज्येष्ठा नक्षत्रे, शनिवासरे तदनुसार  ०१ अक्टूबर  , २०२२ ईस्वी , शिव -मुहूर्ते, भूर्लोके जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे 

आर्यावर्तान्तर्गते.....प्रदेशे.... जनपदे...नगरे... गोत्रोत्पन्न....श्रीमान .( पितामह)... (पिता)...पुत्रोऽहम् ( स्वयं का नाम)...अद्य प्रातः कालीन वेलायाम् सुख शांति समृद्धि हितार्थ,  आत्मकल्याणार्थ,  रोग, शोक, निवारणार्थ च यज्ञ कर्मकरणाय भवन्तम् वृणे

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