आज का वेद मंत्र
🕉️🙏ओ३म् सादर नमस्ते जी 🙏🕉️
🌷🍃 आपका दिन शुभ हो 🍃🌷
दिनांक - - ०८ अक्तूबर २०२२ ईस्वी
दिन - - शनिवार
🌔 तिथि - - - चतुर्दशी ( २७:४१+तक तत्पश्चात पूर्णिमा
🪐 नक्षत्र - - पूर्वाभाद्रपद ( १७:०८ तक तत्पश्चात उत्तराभाद्रपद )
पक्ष - - शुक्ल
मास - - आश्विन
ऋतु - - शरद
,
सूर्य - - दक्षिणायन
🌞 सूर्योदय - - दिल्ली में प्रातः ६:१८ पर
🌞 सूर्यास्त - - १७:५९ पर
🌔 चन्द्रोदय - - १७:२० पर
🌔चन्द्रास्त - - २९:३०+ पर
सृष्टि संवत् - - १,९६,०८,५३,१२३
कलयुगाब्द - - ५१२३
विक्रम संवत् - - २०७९
शक संवत् - - १९४४
दयानंदाब्द - - १९८
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🚩‼️ओ३म्‼️🚩
🔥आत्मा क्या हैं ?
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भगवद्गीता के दुसरे अध्याय, जिसका नाम सांख्य योग हैं जिसमें अर्जुन को युद्ध के समय कृपण स्थिति में रोते देखकर, श्रीकृष्ण ने सांख्य योग द्वारा काल की चक्रगति से जीना और मरना, जन्म लेना और बढ़ना, विषयों का आना और जाना। सुख और दुख का अनुभव, ये तो संसार में होते ही हैं का उपदेश दिया हैं । उसी का यहाँ कुछ श्लोक हैं जो संख्याँ रूपी विज्ञान के अत्यन्त गूढ़ रहस्य को कह रहा हैं |
आश्चर्यवत्पश्यति कश्चिदेन माश्चर्यवद्वदति तथैव चान्यः।
आश्चर्यवच्चैनमन्यः श्रृणोति, श्रुत्वाप्येनं वेद न चैव कश्चित्।।(२: २९)
कोई आत्माको आश्चर्यकी भाँती देखता है तो कोई इसको आश्चर्यकी भाँती वर्णन करता है तथा कोई इसको आश्चर्यकी भाँती सुनता है; और कोई इसको सुनकर भी नहीं जानता।
यहाँ सवाल उठता हैं :- “कोई-कोई” जो चार बार प्रयोग किया गया है वह “कोई” कौन हैं ?
उत्तर
यहाँ श्रीकृष्ण का कहने का तात्पर्य हैं – हे कुंतीपुत्र ! विज्ञान आत्मा को आश्चर्य की भाँती देखता हैं, वैज्ञानिक आत्मा को आश्चर्य की भाँती वर्णन करता हैं तथा विज्ञान को चाह रखने वाले आत्मा क्या हैं? यह जानने के लिए आश्चर्य की भाँती सुनता हैं किन्तु जिन्हें विज्ञान का ज्ञान नहीं वह इसे सुनकर भी नहीं जानता |
अब यहाँ एक सवाल उपस्थित होता हैं की - आत्मा क्या हैं ?
इसके जबाब में श्रीकृष्ण द्वारा कहे गए कुछ सारांश को सुने:-
य एनं वेत्ति हन्तारं यश्चैनं मन्यते हतम् ।उभौ तौ न विजानीतो नायं हन्ति न हन्यते ॥(२:१९)
जो कोई आत्मा को मारने वाला समझता है तथा जो इसको मरा मानता है, वे दोनों ही नहीं जानते की वास्तव में आत्मा न तो किसी को मारता है और न किसी द्वारा मारा जाता है।
न जायते म्रियते वा कदाचिन्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः ।
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणोन हन्यते हन्यमाने शरीरे ॥२:१०॥
आत्मा न तो किसी काल में जन्मता है और न ही मरता है और न यह उत्पन्न होकर फिर होने वाला ही है क्योंकि यह अजन्मा, नित्य, सनातन और पुरातन है, शरीर के मारे जाने पर भी यह नहीं मारा जाता ॥२०॥
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः । न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ॥२:२३॥
आत्मा को ना ही शस्त्र काट सकता हैं, ना ही इसको आग जला सकती, और ना ही इसको जल गला सकता और ना ही इसको वायु सुखा सकता है ।
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🕉️🚩 आज का वेद मंत्र 🚩🕉️
🔥इ॒मन्नो॑ देव सवितर्य॒ज्ञम्प्रण॑य देवा॒व्य॑ सखि॒विद॑
सत्रा॒जित॑न्धन॒जित॑ स्व॒र्जित॑म् । ऋ॒चा स्तोम॒ सम॑र्धय गाय॒त्रेण॑ रथन्त॒रम्बृ॒हद्गा॑य॒त्रव॑र्तनि॒ स्वाहा॑ ॥ ( यजुर्वेद ११\८
💐भावार्थ:- जो मनुष्य ईर्ष्या द्वेष आदि दोषों को छोड़ ईश्वर के समान सब जीवों के साथ मित्रभाव रखते हैं, वे संपत् को प्राप्त होते है।
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🔥विश्व के एकमात्र वैदिक पञ्चाङ्ग के अनुसार👇
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🙏 🕉🚩आज का संकल्प पाठ🕉🚩🙏
(सृष्ट्यादिसंवत्-संवत्सर-अयन-ऋतु-मास-तिथि -नक्षत्र-लग्न-मुहूर्त) 🔮🚨💧🚨 🔮
ओ३म् तत्सत् श्रीब्रह्मणो द्वितीये परार्द्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे 【एकवृन्द-षण्णवतिकोटि-अष्टलक्ष-त्रिपञ्चाशत्सहस्र- त्रिविंशत्युत्तरशततमे ( १,९६,०८,५३,१२३ ) सृष्ट्यब्दे】【 नवसप्तत्युत्तर-द्विसहस्रतमे ( २०७९ ) वैक्रमाब्दे 】 【 अष्टनवत्यधिकशततमे ( १९८ ) दयानन्दाब्दे, नल-संवत्सरे, रवि- दक्षिणयाने शरद -ऋतौ, आश्विन -मासे , शुक्ल - पक्षे, - चतर्दश्यां तिथौ, - पूर्वाभाद्रपद नक्षत्रे, शनिवासरे तदनुसार ०८ अक्टूबर , २०२२ ईस्वी , शिव -मुहूर्ते, भूर्लोके जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे
आर्यावर्तान्तर्गते.....प्रदेशे.... जनपदे...नगरे... गोत्रोत्पन्न....श्रीमान .( पितामह)... (पिता)...पुत्रोऽहम् ( स्वयं का नाम)...अद्य प्रातः कालीन वेलायाम् सुख शांति समृद्धि हितार्थ, आत्मकल्याणार्थ, रोग, शोक, निवारणार्थ च यज्ञ कर्मकरणायष भवन्तम् वृणे
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