आज का वेद मंत्र ‼️

 🕉️🙏ओ३म् सादर नमस्ते जी 🙏🕉️

🌷🍃 आपका दिन शुभ हो 🍃🌷


दिनांक  - -    १९ अक्तूबर २०२२ ईस्वी 

 

दिन  - -   बुधवार 


  🌘 तिथि - - -  नवमी ( १४:१३ तक तत्पश्चात दशमी  )


🪐 नक्षत्र  - - -  पुष्य ( ८:०२ तक तत्पश्चात आश्लेषा )


पक्ष  - -  कृष्ण 


 मास  - -   कार्तिक 


ऋतु  - -  शरद 

,  

सूर्य  - -  दक्षिणायन


🌞 सूर्योदय  - - दिल्ली में प्रातः  ६:२४ पर


🌞 सूर्यास्त  - -  १७:४८ पर 


🌘 चन्द्रोदय  - -  २५:१७ +  पर 


🌘चन्द्रास्त  - -  १४:३३  पर 


सृष्टि संवत्  - - १,९६,०८,५३,१२३


कलयुगाब्द  - - ५१२३


विक्रम संवत्  - - २०७९


शक संवत्  - - १९४४


दयानंदाब्द  - - १९८


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 🚩‼️ओ३म्‼️🚩


🔥हिन्दुओं की अज्ञानता 

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     वर्तमान में हिन्दू समाज ने सबसे ज्यादा प्रगति अज्ञानता और अन्धविश्वास के रूप में की हैं। एक समय मन्दिरों में इतना धन इक्कट्ठा कर दिया गया कि कोई भी मुस्लिम आक्रान्ता हमला करके तिनके के समान की रक्षा पंक्ति को तोड़ देता और मन्दिरों को लूट कर मूर्तियों को अपमानित करता था। अच्छा होता अगर उन मूर्तियों और मन्दिरों को भव्य बनाने के स्थान पर उनसे हिन्दू सैनिकों और फौजों को शक्तिशाली बनाया जाता। जिससे की शत्रु को मुहतोड़ उत्तर दिया जाता।


      तमिलनाडू, आंध्र प्रदेश, कर्णाटक, केरला आदि आज ईसाई धर्मान्तरण के गढ़ बने हुए हैं। ईसाई लोग धन के बल पर गरीब हिन्दुओं का रोटी, रोजगार , चिकित्सा सुविधा और शिक्षा देकर धर्म परिवर्तन करते हैं। और बाद में उससे कई गुना ज्यादा लाभ उठाते हैं।


      हिन्दू समाज कबूतर की भांति आंख बन्द कर मन्दिरों में अपने धन और सामर्थ्य को व्यय करने में लगा हुआ हैं। अभी-अभी वेल्लोर नामक स्थान में दक्षिण भारत में लगभग ५०० करोड़ की लागत से सोने का स्वर्ण मन्दिर बनाया गया। हमारा उनसे एक खुला प्रश्न है कि किसी भी हिन्दू धर्मशास्त्र का प्रमाण प्रस्तुत करे जिसमें यह कहा गया है कि ईश्वर उस मन्दिर में पूजा करने से अधिक प्रसन्न होता है जहाँ उनकी सोने की हीरे-जड़ित मूर्ति हो और उस मन्दिर की दीवारों पर सोने की परत चढ़ी हो। इस अंधविश्वास की पराकाष्टा तो तब हो गई जब वेम्ब्ली, इंग्लैंड में हिन्दुओं ने एक मन्दिर में मदर टेरेसा जिसने अपना पूरा जीवन हिन्दुओं को ईसाई बनाने में लगाया की मूर्ति स्थापित कर दी।


     मेरा सभी हिन्दू भाइयों से अनुरोध है कि अपनी शक्ति और सामर्थ्य को धर्म, देश और जाति के कल्याण में लगायें। हिन्दू समाज को वेदों के ज्ञान के प्रचार-प्रसार में अपना धन व्यय करना चाहिए। धर्मान्तरित हो रहे हिन्दुओं की घर वापसी में सहयोग करना चाहिए। लव जिहाद के विरुद्ध जाग्रति लाने में अपना सहयोग करना चाहिए। छुआछूत को मिटाने में अपना सहयोग करना चाहिये।


     राम का मन्दिर बनाने, राम राम करने, हिन्दू हिन्दू रटने, राम की मूर्तियों की पूजा करने वा शिवलिंग पत्थर को दूध से नहलाने से कुछ नहीं होने वाला। राम के सच्चे भक्त हो तो राम की भाषा- संस्कृत, राम की पूजा पद्धति- यज्ञ, राम के धर्म-वैदिक, राम की शिक्षा पद्धति- गुरुकुल को पुनर्स्थापित करना होगा और 

     राम के देश आर्यावर्त्त को पशुबलि, मूर्ति  पाषाणपूजा, शिवलिंग पूजा , गणेश पूजा, ग्रहपूजा, वराह पुजा महाकालपूजा, अवतारवाद आदि पाखंडों से मुक्त करना होगा। 


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🚩‼️आज का वेद मंत्र ‼️🚩

 स पर्यगाच्छुमकायमव्रणमस्नाविरम शुद्धमपापविद्धम। कविर्मनीषी परिभु: स्वयंभूर्याथातभ्यतोS र्थानव्यदधाच्छा श्वतीभ्य: समाभ्य:।। यजु0 ४०/८।।


अर्थात---- हे मनुष्यो ! वह परमात्मा सारे संसार में सब ओर से व्याप्त है, महान वीर्यशाली सर्वशक्तिमान, स्थूल शूक्ष्म और कारण शरीर से रहित, अखण्ड, अद्वित्तीय, फोड़ा फुंसी और नस नाड़ी आदि के बन्धन से रहित है। अविद्या आदि दोषों से रहित होने से सदा पवित्र और जो पापयुक्त , पापकारी और पाप में प्रीति करने वाला कभी नहीं होता क्योंकीउपरोक्त सभी बातें शरीर के साथ स्वत: सम्बन्धित रहती हैं।जो काव्यरूप सर्वसत्यविद्यामय वेद ज्ञान का देने वाला सर्वज्ञ , सब प्राणियों के मनों की वृतियों को जानने वाला, सर्वव्यापक , सर्वान्तर्यामी, जो स्वयं सृष्टि रचन - पालन और संहाररूप कार्यों को करने में  समर्थ ,किसी की सहायता की उपेक्षा न रखने वाला , सनातन अनादिरूप , प्रजाओं के लिए , प्राणियों के जैसे जिसके कर्म होते हैं वैसे ही भोग और योनि रूप फ़लोंको विशेष करके धारण कराता है। उसको तुम इस प्रकार ठीक ठीक जानो, मानो और धारण करो।।


सहस्त्र शीर्षा पुरुष: सहत्राक्ष: सहत्रपात ।स भूमिं सर्वत: स्प्रीत्वातयतपत्तिष्ठद्दाशांगुलम।।यजु0 ३१/१।।


अर्थात---- हे प्रजाजनों ! जो सब

 प्राणियों हजारों शिर , हजारों नेत्र और असंख्यों पाद जिसके बीच में हैं , ऐसा वह सर्वत्र परिपूर्ण जगदीश्वर है। सम्पूर्ण भूगोलमात्र में व्याप्त होके , पाँच अग्नि -वायु आदि स्थूल महाभूत और पाँच सूक्ष्मभूत रूप, रस - गन्ध आदि ये दस जिसके अवयव हैं। इस समस्त जगत को उलांघकर सबसे पृथकभी स्थित है।


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🔥विश्व के एकमात्र वैदिक  पञ्चाङ्ग के अनुसार👇

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 🙏 🕉🚩आज का संकल्प पाठ🕉🚩🙏


(सृष्ट्यादिसंवत्-संवत्सर-अयन-ऋतु-मास-तिथि -नक्षत्र-लग्न-मुहूर्त)       🔮🚨💧🚨 🔮


ओ३म् तत्सत् श्रीब्रह्मणो द्वितीये परार्द्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे 【एकवृन्द-षण्णवतिकोटि-अष्टलक्ष-त्रिपञ्चाशत्सहस्र- त्रिविंशत्युत्तरशततमे ( १,९६,०८,५३,१२३ ) सृष्ट्यब्दे】【 नवसप्तत्युत्तर-द्विसहस्रतमे ( २०७९ ) वैक्रमाब्दे 】 【 अष्टनवत्यधिकशततमे ( १९८ ) दयानन्दाब्दे, नल-संवत्सरे,  रवि- दक्षिणयाने शरद -ऋतौ, कार्तिक -मासे , कृष्ण - पक्षे, - नवम्यां  तिथौ,  -     पुष्य  नक्षत्रे, बुधवासरे , तदनुसार  १९ अक्टूबर  , २०२२ ईस्वी , शिव -मुहूर्ते, भूर्लोके जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे 

आर्यावर्तान्तर्गते.....प्रदेशे.... जनपदे...नगरे... गोत्रोत्पन्न....श्रीमान .( पितामह)... (पिता)...पुत्रोऽहम् ( स्वयं का नाम)...अद्य प्रातः कालीन वेलायाम् सुख शांति समृद्धि हितार्थ,  आत्मकल्याणार्थ,  रोग, शोक, निवारणार्थ च यज्ञ कर्मकरणाय भवन्तम् वृणे


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