आज का वेद मंत्र 🕉️

 🕉️🙏ओ३म् सादर नमस्ते जी 🙏🕉️

🌷🍃 आपका दिन शुभ हो 🍃🌷


दिनांक  - -    ०४ अक्तूबर २०२२ ईस्वी 

 

दिन  - -   मंगलवार 



  🌓 तिथि - - -  नवमी ( १४:२० तक तत्पश्चात दशमी )



🪐 नक्षत्र -  -  उत्तराषाढ़ ( २२:५१ तक तत्पश्चात श्रवण )


पक्ष  - -  शुक्ल  


 मास  - -   आश्विन 


ऋतु  - -  शरद 

,  

सूर्य  - -  दक्षिणायन


🌞 सूर्योदय  - - दिल्ली में प्रातः  ६:१५ पर


🌞 सूर्यास्त  - -  १८:०४ पर 


🌓 चन्द्रोदय  - -  १४:३९  पर 


🌓चन्द्रास्त  - -  २५:०८  पर 


सृष्टि संवत्  - - १,९६,०८,५३,१२३


कलयुगाब्द  - - ५१२३


विक्रम संवत्  - - २०७९


शक संवत्  - - १९४४


दयानंदाब्द  - - १९८


🍁🍀🍁🍀🍁🍀🍁🍀🍁🍀


 🚩‼️ओ३म्‼️🚩


   🔥परमात्मा की चाह मे हम एक से अनेक हुए..

अब परमात्मा की चाह मे अनेक से होगे एक..

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  एक हिंदू भाई बोला हम हिंदुओ को एक होना पडेगा...

जब तक हिंदु सैकडो जवानों को पूजेगा जब तक हिंदु एक नही

हो सकता.. जब तक सैकडो तीर्थो धामो की यात्रा करेगा

जब तक हिंदु एक नही हो सकता.. जब सैकडो ढोगी गुरूओ

पंडितो स्वामियो की उंगुली पकड कर चलेगा तब तक हिंदु एक

नही हो सकता.

जब तक अपने वेद गीता को हिंदु नही पढेगा नही समझेग तब तक

हिंदु एक नही हो सकता..

हिन्दू कभी वेद और गीता नही पढते जो पढते है वो समझ नही

पाते.. जिस कारण से हिंदुओ को ये नही पता उनका हिंदु धर्म

क्या कह रहा है उनके हिंदु धर्म मे किस परमात्मा की भक्ति

करने को कहा है.. हिंदु हमेशा अपने धर्म के विपरीत भागता है..

हिंदु धर्म मे इतने पाखंडी नकली धर्मगुरू प्रवेश कर चुके है जिन्होने

हिंदु घर्म मे इतना पाखंड फैला दिया है जो हिंदुओ के पतन का

कारण बन गया है इन नकली पाखडी पंडित स्वामी धर्म गुरूओ ने

हिंदुओ को हजारो जगह बांट दिया है.. हिंदुओ को उनके हिंदु

धर्म से भटका दिया है..


   धरती पर केवल एक वेद है जो हिंदुओ को एक कर सकता है वो सभी

पाखंड पूजाओ को बंद करवा कर हिंदु धर्म को एक परमात्मा

की भक्ति पर स्थिर कर सकता है.. फिर से भटके हुए हिंदु धर्म को

वेद और गीता पर स्थिर कर सकता है..

.

हिंदुस्तान के हिंदु धर्म का ठेका लेने वालो.....

वेद के ज्ञान मे वो ताकत है फिर से पूरे विश्व को एक कर सकता

है.. पहले केवल एक मानव धर्म(सनातनधर्म) था.. इस मानव धर्म

को तोडकर मोहम्मद ने मुसलमान धर्म बनाया.. ईसा ने ईसाई

धर्म बनाया.. शंकाराचार्य ने हिंदु धर्म बनाया. दसवे गुरू

गोविंद सिह ने सिख धर्म बनाया.. महावीर जैन ने जैन धर्म,

महात्मा बुद्ध ने बौध धर्म बनाया..

इन सभी ने हमे एक से अनेक बना दिया..

लेकिन अब अनेक से एक बनाने वाला धरती पर आ चुका है ..

जब तक हम सभी घर्मो के शास्त्र वेद गीता बाइबल कुरान शरीफ

गुरूग्रंथ ये सभी एक नही होगे तब तक हिंदु मुसलमान सिख ईसाई

एक नही हो सकते..


  इन सभी सद्ग्रंथो को एक करने वाला वेद धरती पर आ चुका है...

वेद – केवल वेद ही हमारे धर्मग्रन्थ हैं ।

वेद संसार के पुस्तकालय में सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं । वेद का ज्ञान

सृष्टि के आदि में परमात्मा ने अग्नि , वायु , आदित्य और

अंगिरा – इन चार ऋषियों को एक साथ दिया था । वेद

मानवमात्र के लिए हैं ।

वेद चार हैं ----


  १. ऋग्वेद – इसमें तिनके से लेकर ब्रह्म – पर्यन्त सब पदार्थो का

ज्ञान दिया हुआ है ।

इसमें १०,५२२ मन्त्र हैं ।

मण्डल – १०

सूक्त -१०२८

ऋचाऐं – १०५८९ हैं ।

शाखा – २१

पद – २५३८२६

अक्षर - ४३२०००

ब्रह्मण - ऐतरेय

उपवेद – आयुर्वेद

.

    २. यजुर्वेद – इसमें कर्मकाण्ड है । इसमें अनेक प्रकार के यज्ञों का

वर्णन है ।

इसमें १,९७५ मन्त्र हैं ।

अध्याय – ४०

कण्डिकाएं और मन्त्र -- १,९७५

ब्रह्मण – शतपथ

उपवेद - धनुर्वेद--


  ३. सामवेद – यह उपासना का वेद है ।

इसमें १,८७५ मन्त्र हैं ।

ब्रह्मण – ताण्ड्य या छान्दोग्य ब्रह्मण ।

उपवेद - गान्धर्ववेद


  ४. अथर्ववेद – इसमें मुख्यतः विज्ञान – परक मन्त्र हैं ।

इसमें ५,९७७ मन्त्र हैं ।

काण्ड - २०

सूक्त – ७३१

ब्रह्मण – गोपथ

उपवेद - अर्थवेद

.

  उपवेद – चारों वेदों के चार उपवेद हैं । क्रमशः – आयुर्वेद , धनुर्वेद ,

गान्धर्ववेद और अर्थवेद ।

उपनिषद – अब तक प्रकाशित होने वाले उपनिषदों की कुल

संख्या २२३ है , परन्तु प्रामाणिक उपनिषद ११ ही हैं । इनके नाम

हैं --- ईश , केन , कठ , प्रश्न , मुण्डक , माण्डूक्य , तैत्तिरीय , ऐतरेय ,

छान्दोग्य , बृहदारण्यक और श्वेताश्वतर ।

.

  ब्राह्मणग्रन्थ – इनमें वेदों की व्याख्या है ।

चारों वेदों के प्रमुख ब्राह्मणग्रन्थ ये हैं ---

ऐतरेय , शतपथ , ताण्ड्य और गोपथ ।


  दर्शनशास्त्र – आस्तिक दर्शन छह हैं – न्याय , वैशेषिक , सांख्य ,

योग , पूर्वमीमांसा और वेदान्त

.

  स्मृतियां – स्मृतियों की संख्या ६५ है , परन्तु प्रक्षिप्त

श्लोकों को छोङकर मनुस्मृति ही सबसे अधिक प्रमाणिक है ।

इनके अतिरिक्त आरण्यक , धर्मसूत्र , गृह्यसूत्र , अर्थशास्त्र ,

विमानशास्त्र आदि अनेक ग्रन्थ हैं ।


  वेदों के छह वेदांग – शिक्षा ,कल्प , निरूक्त , व्याकरण ,

ज्योतिष और छन्द

.

  वेदों के छह उपांग – जिन को छः दर्शन या छः शास्त्र भी कहते

हैं ।

१. कपिल का सांख्य

२. गौतम का न्याय

३. पतंजलि का योग

४. कणाद का वैशेषिक

५. व्यास का वेदान्त

६. जैमिनि का मीमांसा

इस मैसेज को संभाल कर रखे।


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🕉️🚩 आज का वेद मंत्र 🕉️🚩


🌷 ओ३म् सत्येनोत्तभिता भूमिः सूर्येणोत्तभिता  द्यौ :। ऋतेनदित्यास्तिष्ठन्ति दिवि सोमो अधि श्रितः ॥ (अथर्ववेद - १४ /१ /१ )


  💐 अर्थ:- सत्यस्वरूप परमेश्वर ने ही अपने सामर्थ्य से सूर्य आदि सब लोकों को धारण किया है । उसी के सामर्थ्य से सूर्य लोक ने भी अन्य लोकों का धारण और प्रकाश किया है तथा ऋत काल ने बारह महीने , सूर्य ने किरण , और वायु ने भी सूक्ष्म , स्थूल त्रसरेणु आदि पदार्थों का यथावत धारण किया है | इसी प्रकार दिवि अर्थात सूर्य के प्रकाश में चन्द्रमा प्रकाशित होता है | उसमे जितना प्रकाश है सो सूर्य आदि लोक का है , और ईश्वर का प्रकाश तो सब में है , परन्तु चंद्र आदि लोकों में अपना प्रकाश नहीं है , किन्तु सूर्य आदि लोकों से ही चंद्र और पृथिव्यादि लोक प्रकाशित हो रहे हैं


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🔥विश्व के एकमात्र वैदिक  पञ्चाङ्ग के अनुसार👇

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 🙏 🕉🚩आज का संकल्प पाठ🕉🚩🙏


(सृष्ट्यादिसंवत्-संवत्सर-अयन-ऋतु-मास-तिथि -नक्षत्र-लग्न-मुहूर्त)       🔮🚨💧🚨 🔮


ओ३म् तत्सत् श्रीब्रह्मणो द्वितीये परार्द्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे 【एकवृन्द-षण्णवतिकोटि-अष्टलक्ष-त्रिपञ्चाशत्सहस्र- त्रिविंशत्युत्तरशततमे ( १,९६,०८,५३,१२३ ) सृष्ट्यब्दे】【 नवसप्तत्युत्तर-द्विसहस्रतमे ( २०७९ ) वैक्रमाब्दे 】 【 अष्टनवत्यधिकशततमे ( १९८ ) दयानन्दाब्दे, नल-संवत्सरे,  रवि- दक्षिणयाने शरद -ऋतौ, आश्विन -मासे , शुक्ल - पक्षे, - नवम्यां  तिथौ,  - उत्तराषाढ़ नक्षत्रे, मंगलवासरे  तदनुसार  ०४ अक्टूबर  , २०२२ ईस्वी , शिव -मुहूर्ते, भूर्लोके जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे 

आर्यावर्तान्तर्गते.....प्रदेशे.... जनपदे...नगरे... गोत्रोत्पन्न....श्रीमान .( पितामह)... (पिता)...पुत्रोऽहम् ( स्वयं का नाम)...अद्य प्रातः कालीन वेलायाम् सुख शांति समृद्धि हितार्थ,  आत्मकल्याणार्थ,  रोग, शोक, निवारणार्थ च यज्ञ कर्मकरणाय भवन्तम् वृणे


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