आज का वेद मंत्र

🕉️🙏ओ३म् सादर नमस्ते जी 🙏🕉️

🌷🍃 आपका दिन शुभ हो 🍃🌷


दिनांक  - -    २६ सितम्बर २०२२ ईस्वी 

 

दिन  - -   सोमवार 



  🌒 तिथि - - -  प्रतिपदा (२७:१० तक तत्पश्चात द्वितीया)



🪐 नक्षत्र -  -  उत्तराफाल्गुन (२३:३१ तक तत्पश्चात हस्त )


पक्ष  - -  शुक्ल  


 मास  - -   कार्तिक 


ऋतु  - -  शरद 

,  

सूर्य  - -  दक्षिणायन


🌞 सूर्योदय  - - दिल्ली में प्रातः  ६:१५ पर


🌞 सूर्यास्त  - -  १८:०९ पर 


🌒 चन्द्रोदय  - -  ६:२२  पर 


🌒चन्द्रास्त  - -  १८:३१  पर 


सृष्टि संवत्  - - १,९६,०८,५३,१२३


कलयुगाब्द  - - ५१२३


विक्रम संवत्  - - २०७९


शक संवत्  - - १९४४


दयानंदाब्द  - - १९८


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🚩 ‼️ ओ३म् ‼️ 🚩


🔥 अपने भीतर झाको, अपने भीतर को संवारो!!!

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   🌷 बाहर से देखने में तुम कितने सुन्दर दिखते हो! शरीर सुन्दर, शक्ल सुन्दर, वस्त्र सुन्दर, आभूषण सुन्दर, केश सुन्दर, बातचीत सुन्दर, वाणी सुन्दर, उठना-बैठना सुन्दर, घर सुन्दर, आँगन सुन्दर, किचन सुन्दर। सब सुन्दर प्रन्तु भीतर कुछ भी सुन्दर नही है, सब अस्त-व्यस्त है, सब ऊटपटांग है, सब बेसिर-पैर है, सब बे-सुरा है, सब भद्दा है, सब असंगत है।   


        भीतर  इतना गन्दा क्यों भर रखा है? इतना कूड़ा कचरा क्यों इकट्ठा कर रखा है? इतनी मवाद क्यों जमा कर रखी है? इतने साँप-बिच्छुओं को क्यों जगह दे रखी है? क्यों कबाड़खाना बना रखा है? 


         भीतर इतना राग, इतना द्वेष, इतनी जलन, इतनी ईर्ष्या, इतनी घृणा, इतनी निन्दा, इतनी चुगली, भीतर इतने दोष, इतनी बुराइया, इतनी अकड़, इतनी हेकड़ी, इतना दम्भ! 


    थोड़ा भीतर भी देखों, भीतर भी झाकों , भीतर भी ध्यान दो इतना अन्तर क्यों इतनी विषमता क्यों?  बाहर स्वर्ग, अन्दर नरक, बाहर अमृत, अन्दर जहर!


   क्या तुम्हें इस बात का विचार नही आता ? थोड़ा विचारों इतनी पूजा करते है इतना सत्संग करते है, इतनी कथाएँ सुनते है, इतना ध्यान- समाधि लगाते है फिर भी कुछ फर्क नही पड़ रहा है? कोई परिवर्तन नही हो रहा है कोई क्रांति नही हो रही है बीमारी बढ़ती जा रही है।और तुम सोये पड़े हो , अन्धे बने बैठे हो, आँखें बन्द किये बैठे है जब दुसरों से बात करते है तब अपने को दूध का धुला हुआ बताते है, सज्जन बताते है, सत्पुरूष बताते है, विद्वान बताते है, बुद्धिमान बताते है, भले मानुष बताते है, सम्पन्न सभ्य है, दुनिया की रीति- नीति जानते है।


    अपने भीतर के दोषों का निरीक्षण करो। परिक्षण करों ।अपने दोषों को स्वीकार करो संकल्प करों  तुम जो चाहें बन सकतें हो तुम्हारे हाथ में है तुम्हारा जीवन तुम दुसरो का मुँह ताकना बन्द कर दो ।  अपने कदमों पर खड़े हो जाओ । स्वयं प्रकाश बनो।भटकते - भटकते कितने युग बीत गये है। कितने जन्म बीत गये है तुम अभी भी सोए पड़े हो ! बेहोश पड़े हो। आखेँ खोलो और आगे बढ़ो । अपने भीतर को सजाओं ।अपने भीतर को संवारो ।


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     🕉️🚩 आज का वेद मंत्र 🕉️🚩


  🌷 ओ३म् विश्वे देवा नो अद्या स्वस्तये वैश्वानरो वसुरग्नि: स्वस्तये । देवा अवन्त्वृभव: स्वस्तये स्वस्ति नो रूद्र: पात्वंहस:।।


    💐 आज सब विद्वान हमारे कल्याण के लिए हो।सब मनुष्यों में वर्तमान, सर्वव्यापक, ज्ञान- स्वरुप परमात्मा हमारा कल्याण करें ।मेधावी विद्वान सुख के लिए हमारी रक्षा करें ।दुष्टों को दण्ड देने वाला प्रभु! हमें पापों से सदा दूर रखें ताकि हमारा सदा कल्याण हो ।


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 🔥विश्व के एकमात्र वैदिक  पञ्चाङ्ग के अनुसार👇

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 🙏 🕉🚩आज का संकल्प पाठ🕉🚩🙏


(सृष्ट्यादिसंवत्-संवत्सर-अयन-ऋतु-मास-तिथि -नक्षत्र-लग्न-मुहूर्त)       🔮🚨💧🚨 🔮


ओ३म् तत्सत् श्रीब्रह्मणो द्वितीये परार्द्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे 【एकवृन्द-षण्णवतिकोटि-अष्टलक्ष-त्रिपञ्चाशत्सहस्र- त्रिविंशत्युत्तरशततमे ( १,९६,०८,५३,१२३ ) सृष्ट्यब्दे】【 नवसप्तत्युत्तर-द्विसहस्रतमे ( २०७९ ) वैक्रमाब्दे 】 【 अष्टनवत्यधिकशततमे ( १९८ ) दयानन्दाब्दे, नल-संवत्सरे,  रवि- दक्षिणयाने शरद -ऋतौ, आश्विन -मासे , शुक्ल - पक्षे, - प्रथमायां  तिथौ,  - उत्तराफाल्गुन नक्षत्रे, सोमवासरे तदनुसार  २६ सितम्बर , २०२२ ईस्वी , शिव -मुहूर्ते, भूर्लोके जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे 

आर्यावर्तान्तर्गते.....प्रदेशे.... जनपदे...नगरे... गोत्रोत्पन्न....श्रीमान .( पितामह)... (पिता)...पुत्रोऽहम् ( स्वयं का नाम)...अद्य प्रातः कालीन वेलायाम् सुख शांति समृद्धि हितार्थ,  आत्मकल्याणार्थ,  रोग, शोक, निवारणार्थ च यज्ञ कर्मकरणाय भवन्तम् वृणे


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