वेद मंत्रों में आये परमात्मा के कुछ नाम :

 [09:36, 23/8/2022] Da Vivek Arya Delhi: वेद मंत्रों में आये परमात्मा के कुछ नाम :

# ओ३म् खं ब्रह्म ।।

              (यजुर्वेद ४०/१७)

              ओ३म् = सबका रक्षक ब्रह्म परमेश्वर जो आकाश के समान सर्वत्र व्यापक है |

# प्राणाय नमो यस्य सर्वमिदं वशे ।

यो भूतः सर्वस्य ईश्वरो यस्मिन् सर्वं प्रतिष्ठितम् ।। 

              (अथर्व ११/४/१)

              ईश्वर = ऐश्वर्यवान संसार के समस्त पदार्थों का स्वामी |

# तद्विष्णोः परमं पदं सदा पश्यन्ति सूरयः ।

दिवीव चक्षुराततम् ।

              (ऋग्वेद १/२/७/२०)

               विष्णु = सर्वत्र व्यापकशील और सुंदर विशेषणों से युक्त सबको धारण करने वाला परमात्मा |

# अभि प्रियाणि काव्या विश्वा चक्षाणो अर्षति ।

हरिस्तुञ्जान आयुधा ।।    

            (ऋग्वेद ९/५७/२)

            हरि = दुखों को हरने वाला परमात्मा |

# भूतानां ब्रह्मा प्रथमोत जज्ञे तेनार्हति ब्रह्मणा स्पर्धितुं …

[09:36, 23/8/2022] Da Vivek Arya Delhi: बलिदान दिवस 23 अगस्त -

स्वामी लक्ष्मणानंद जी ने

वनवासी बहुल फूलबाणी (कन्धमाल) जिले के गांव चकापाद को अपनी कर्मस्थली बनाया। कुछ ही वर्षों में वनवासी क्षेत्रों में उनके सेवा कार्य गूंजने लगे | उन्होंने वनवासी कन्याओं के लिए आश्रम- छात्रावास, चिकित्सालय जैसी सुविधाएं कई स्थानों पर खड़ी कर दीं और बड़े पैमाने पर समूहिक यज्ञ के कार्यक्रम संपन्न कराए।

उन्होने पूरे जिले के गांवों की पदयात्राएं कीं। वहां मुख्यत: कंध जनजातीय समाज ही है। उन्होने उस समाज के अनेक युवक-युवतियों को अपने साथ जोड़ा और देखते ही देखते जन सहयोग से चकापाद में एक संस्कृत विद्यालय शुरू हुआ। जनजागरण हेतु पदयात्राएं जारी रहीं।

26 जनवरी 1970 को 25-30 ईसाई तत्वों के एक दल ने उनके उपर हमला किया। एक विद्यालय में शरण लेकर वे जैसे तैसे बच तो गए, लेकिन उसी दिन उन्होने यह निश्चय भी कर लिया कि मतांतरण करने वाले तत्वों को उड़ीसा से खत्म करना ही है।

उन्होंने चकापाद के वीरूपाक्ष पीठ में अपना आश्रम स्थापित किया। उनकी प्रेरणा से 1984 में कन्धमाल जिले में ही चकापाद से लगभग 50 किलोमीटर दूर जलेसपट्टा नामक घनघोर वनवासी क्षेत्र में कन्या आश्रम, छात्रावास तथा विद्यालय की स्थापना हुई। आज उस कन्या आश्रम छात्रावास में सैकड़ों बालिकाएं शिक्षा ग्रहण करती हैं।

ओड़िशा के जन सामान्य में स्वामी लक्ष्मणानंद जी के प्रति अनन्य श्रद्धा भाव है। सैकड़ों गांवों में पदयात्राएं करके लाखों वनवासियों के जीवन में उन्होंने स्वाभिमान का भाव जगाया।

सन् 1970 से दिसंबर 2007 तक स्वामी जी पर 8 बार जानलेवा हमले किए गए। मगर इन हमलों के बावजूद स्वामी जी का प्रण अटूट था और वह प्रण यही था- मतांतरण रोकना है, जनजातीय अस्मिता जगानी है। स्वामी जी कहते थे- "वे चाहे जितना प्रयास करें, ईश्वरीय कार्य में बाधा नहीं डाल पाएंगे।.

लेकिन २३ अगस्त २००८ को जन्माष्टमी समारोह में भगवान् श्रीकृष्ण की आराधना में तल्लीन स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की निर्मम हत्या कर दी गई थी । उनके अपने जलेसपट्टा आश्रम में हत्यारे घुसे और उन्हें गोलियों से भून डाला | हत्यारों ने इतने पर ही बस नहीं किया, बल्कि उनके मृत शरीर को कुल्हाड़ी से भी काट डाला | उनके साथ चार अन्य साधुओं की भी ह्त्या कर दी गई |

उनकी ह्त्या के बाद समूचा कंधमाल जैसे उबल पडा | बड़े पैमाने पर हुई सांप्रदायिक हिंसा में कम से कम 38 लोग मारे गए और सैकड़ों लोग बेघर हो गये | ओडिशा के अन्य भागों में भी प्रदर्शन व आन्दोलन हुए । हत्या के आरोप में आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया और हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा भी सुनाई गई ।

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ये 8 लोग थे मानवता के शत्रु

दुर्योधन सुना मांझी, मुंडा बडमांझी, सनातन बडमांझी, गणनाथ चालानसेठ, बिजय कुमार सनसेठ, भास्कर सनमाझी, बुद्धदेव नायक और माओवादी नेता उदय

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आज स्वामी जी के बलिदान दिवस पर उन्हें नमन है

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