आज का वेद मंत्र

 🕉️🙏ओ३म् सादर नमस्ते जी 🙏🕉️

🌷🍃 आपका दिन शुभ हो 🍃🌷


दिनांक  - -    ०२ अगस्त  २०२२ ईस्वी 

 

दिन  - -   मंगलवार 


  🌖 तिथि - - -  पंचमी ( २९:४१ तक तत्पश्चात षष्ठी )


🪐 नक्षत्र -  - उत्तराफाल्गुनी ( १७:२९ तक तत्पश्चात हस्त )


पक्ष  - -  शुक्ल 


 मास  - -  श्रावण 


ऋतु  - -  वर्षा 

,  

सूर्य  - -  दक्षिणायन


🌞 सूर्योदय  - - दिल्ली में प्रातः ५:४३ पर


🌞 सूर्यास्त  - -  १९:११ पर 


🌖 चन्द्रोदय  - -  ९:३७ पर 


🌖चन्द्रास्त  - -  २२:०७  पर 


सृष्टि संवत्  - - १,९६,०८,५३,१२३


कलयुगाब्द  - - ५१२३


विक्रम संवत्  - - २०७९


शक संवत्  - - १९४४


दयानंदाब्द  - - १९८


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 🚩‼️ओ३म्‼️🚩


  🔥 सभी ग्रन्थों, चाहें वह धार्मिक हों, साहित्यिक, सामाजिक, राजनैतिक या अन्य श्रेणी के, उन्हें किसी भी आचार्य व महापुरुष ने लिखा हो, उसकी प्रत्येक बात की परीक्षा कर ही सत्य होने पर स्वीकार की जानी चाहिये। ऐसा करके ही हम सत्य मत को प्राप्त हो सकते हैं और अपने जीवन को सफल कर सकते हैं। ऐसा करने से ही हमें ईश्वर व उसकी कृपा प्राप्त हो सकती है। हमारा मनुष्य जन्म लेना सफल हो सकता है। इसके विपरीत किसी भी पुस्तक पर अपनी बुद्धि से परीक्षा किये बिना विश्वास कर लेना मननशील मनुष्य होने का लक्षण नहीं है।


     वेदर्षि ऋषि दयानन्द का कोटिशः धन्यवाद है कि उन्होंने संसार को यह नियम दिया है वेद सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है। वेदों का पढ़ना व पढ़ाना तथा उनका सुनना-सुनाना, उनका प्रचार करना ही मनुष्यों का परम धर्म है। वेदों की इस महत्ता का कारण वेदों का ईश्वर प्रदत्त ज्ञान होना है। हमें वेद की सत्यता की परीक्षा का भी अधिकार प्राप्त है। इसके लिये हमें वेदांगों का ज्ञान प्राप्त करना होगा, सच्चा योगी बनकर ईश्वर का साक्षात्कार करना होगा तभी हम वेदों की परीक्षा कर सकेंगे। ऐसे विद्वानों व ऋषियों के कथनों की परीक्षा कर ही जो निभ्र्रान्त सत्य सामने आता है, उसे स्वीकार किया जाता है। ऐसा करके ही हम वेदों की पूर्ण सत्यता को गहराई से जान सकते हैं।


   सृष्टि के आदि से ऋषि दयानन्द तक जितने भी ईश्वर का प्रत्यक्ष किये हुए तथा वेदांगों के ज्ञाता ऋषि हुए हैं, उन सबने वेदों की पूर्ण सत्यता की घोषणा की है। उन्होंने अपने-अपने जीवन को वेदमय बनाया था और इससे उन्हें आत्मिक बल व मृत्यु पर विजय वा अमृत जिसे मोक्ष कहते हैं, प्राप्त हुआ है। संसार के सब लोगों को, क्योंकि सब एक ईश्वर की सन्तानें हैं, एक सनातन, सर्वज्ञ व सर्वशक्तिमान ईश्वर की ही उपासना कर उसके वेदाज्ञान का नित्य प्रति स्वाध्याय कर सत्य सिद्धान्तों को प्राप्त होकर उसका पालन करते हुए अपने जीवन को व्यतीत करना चाहिये। 


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 🕉️🚩 आज का वेद मंत्र 🚩🕉️


   🔥ओ३म् यज्ञस्य चक्षुः प्रभृतिर्मुखं च वाचा श्रोत्रेण मनसा

जुहोमि। इमं यज्ञम् विततं विश्वकर्मणा देवा यन्तु सुमनस्यमानाः।। (अथर्ववेद  ३\२५\५ )


   💐 अर्थ  :-  मानव जीवन रूपी यज्ञ के भरण-पोषण साधन दर्शनशक्ति है और मुख भी है।

वाणी से, कान से और मन से मैं हवन ही करता हुँ।यह मेरा जीवन यज्ञ जगत् रचियता प्रभु ने विस्तृत किया है, इसमे सब देव , दिव्य भाव प्रसन्नतापूर्वक आवें, समाविष्ट हो।


   अतः वेद में प्रभु को यज्ञ नाम से पुकारा गया है। उसका बनाया गया संसार भी यज्ञ रूप ही है। उसके इस विशाल संसार मे मेरा जीवन रूपी यज्ञ भी उसी ने रचा है जो सौ वर्ष तक चलने वाला है। मेरी योग्यता इसमे है मैं इस शरीर से कोई अययज्ञीय कार्य न होने दूँ। यज्ञ देव कर्म हैं।


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 🔥विश्व के एकमात्र वैदिक  पञ्चाङ्ग के अनुसार👇

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 🙏 🕉🚩आज का संकल्प पाठ🕉🚩🙏


(सृष्ट्यादिसंवत्-संवत्सर-अयन-ऋतु-मास-तिथि -नक्षत्र-लग्न-मुहूर्त)       🔮🚨💧🚨 🔮


ओ३म् तत्सत् श्रीब्रह्मणो द्वितीये परार्द्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे 【एकवृन्द-षण्णवतिकोटि-अष्टलक्ष-त्रिपञ्चाशत्सहस्र- त्रिविंशत्युत्तरशततमे ( १,९६,०८,५३,१२३ ) सृष्ट्यब्दे】【 नवसप्तत्युत्तर-द्विसहस्रतमे ( २०७९ ) वैक्रमाब्दे 】 【 अष्टनवत्यधिकशततमे ( १९८ ) दयानन्दाब्दे, नल-संवत्सरे,  रवि- दक्षिणयाने वर्षा -ऋतौ, श्रावण -मासे , शुक्ल  - पक्षे, - पञ्चम्यां - तिथौ,  - उत्तराफाल्गुनी, नक्षत्रे, मंगलवासरे , तदनुसार  ०२ अगस्त, २०२२ ईस्वी , शिव -मुहूर्ते, भूर्लोके जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे 

आर्यावर्तान्तर्गते.....प्रदेशे.... जनपदे...नगरे... गोत्रोत्पन्न....श्रीमान .( पितामह)... (पिता)...पुत्रोऽहम् ( स्वयं का नाम)...अद्य प्रातः कालीन वेलायाम् सुख शांति समृद्धि हितार्थ,  आत्मकल्याणार्थ,  रोग, शोक, निवारणार्थ च यज्ञ कर्मकरणाय भवन्तम् वृणे


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