पाखंडियों की अफवाहें, भ्रम और निवारण.
रक्षाबंधन 2022
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पाखंडियों की अफवाहें, भ्रम और निवारण.
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एक पाखंडी :- इस वर्ष ११ अगस्त २०२२ को सुबह १० बज कर ३८ मिंट से भद्रा लग जाएगी और भद्रा में रक्षा बंधन करना अशुभ है।इस लिए १०-३८ से रात ८-५२ के मध्य रक्षा बंधन मनाना अशुभ है।
दुसरा पाखंडी :- वर्ष 2022 में श्रावण पूर्णिमा,11 अगस्त 2022 गुरुवार को मनाई जानी है। एवं विभिन्न लोगो का कहना है कि उस दिन ज्योतिष के अनुसार भद्रा है,जब कि भद्रा का वास उस दिन स्वर्ग / पाताल लोक में रहेगा। पाताल लोक में भद्रा के रहने से यह शुभ फलदायी रहेगी।। इसलिए पूरे दिन सभी लोग अपनी सुविधा के अनुसार राखी बांधकर त्यौहार मना सकते हैं।।
पाखंडियों से प्रश्न :- यह भद्रा कौन सी बीमारी है ? जिसका काम बिगाड़ डालना और ख़ुशी के अवसर पर रंग में भंग डालना है।पाताल लोक या स्वर्ग लोक कहाँ है ? हमने तो पढ़ा है जहां परिवार में सुख वहाँ स्वर्ग और जहां दुख वहीं नर्क।स्वर्ग लोक या पाताल लोक के बारे कोई अंतरिक्ष विज्ञानी भी न बता पाया।हिन्दूओ ने स्वर्ग और मुसलमानों ने जन्नत एक काल्पनिक स्थान सोच रखा है जिसका कोई सत्य आधार नहीं है।
भ्रम निवारण :- इस सन्देश में नितान्त व्यर्थ की बातें कही गई हैं। पिछले पांच सात सालों से ही ये भद्रा- भद्रा -भद्रा की चर्चा चलने लगी है। उससे पहले राखी के त्यौहार में भद्रा-भुद्रा की बातें नहीं होती थी और पूरे भारत में पूर्वाह्न वेला में ही राखी के बन्धन स्वीकारे जाते रहे हैं। यह बात पाखंडियों की व्यर्थ के भय विस्तारण की कुचेष्टा है। इसका सत्य से कोई सम्बन्ध नहीं है। ईश्वर सभी को सद्बुद्धि देवें,
इन वेद-विरोधियों पाखंडियों को ये तक नहीं पता कि भद्रा का अर्थ क्या है ??
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वेद में भद्रा पद कई बार आया है लेकिन यहाँ मात्र दो प्रसिद्ध मन्त्र ही प्रस्तुत कर रहे हैं |
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आ नो॑ भ॒द्राः क्रत॑वो (ऋग्वेद 1/89/1), (यजुर्वेद 25/14)
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दे॒वानां॑ भ॒द्रा सु॑म॒तिरृ॑जूय॒तां (ऋग्वेद 1/89/2), (यजुर्वेद 25/15)
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किसी भी शब्द कोश में ढूँढ लें भद्रा का स्पष्ट अर्थ है कल्याणकारी, हितकारी, सुखकारी |
भद्रा स्वयं पुकार पुकार कर कह रहा है कि ये समय शुभ है लेकिन बहरे कान ज्योतिषी कह रहे हैं अमंगल है |
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सारी बहनों से आग्रह है कि कृपया अथर्ववेद के मन्त्र में दिये आदेश का पालन करें .......... "अभयं मित्रादभयममित्रादभयं" मन्त्र में दिये उपदेश की बात मानें ........... डरवाने/डराने वाले ज्योतिषियों से दूर रहें |
अभय हो कर अपनी अनुकूलता से ही राखी बाँधें फिर चाहे समय कोई भी क्यों न हो |
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सच्चा मुहूर्त कहते ही उसे हैं जब सारी अनुकूलतायें हों और मन में प्रसन्नता हो, शान्ति हो, निर्भय हो |
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कृपया राखी के साथ जनेऊ भी धारण करें, अपने परिवार की बेटी-पत्नी-माँ सबको जनेऊ पहनायें..... जनेऊ पहन कर वैदिक धर्मी बन कर वेद पढ़ें, वेद की और ऋषियों की बात जानें-मानें और पाखण्डी वेद-विरोधी ज्योतिषियों से दूर रहें |