आज का वेद मंत्र

 🕉️🙏ओ३म् सादर नमस्ते जी 🙏🕉️

🌷🍃 आपका दिन शुभ हो 🍃🌷


दिनांक  - -    २० अगस्त २०२२ ईस्वी 

 

दिन  - -  शनिवार 


  🌘 तिथि - - -  नवमी ( २५:०८+ तक तत्पश्चात दशमी )



🪐 नक्षत्र -  -  रोहिणी ( २८:४०+ तक तत्पश्चात 


पक्ष  - - कृष्ण


 मास  - -   भाद्रपद 


ऋतु  - -  वर्षा 

,  

सूर्य  - -  दक्षिणायन


🌞 सूर्योदय  - - दिल्ली में प्रातः ५:५३ पर


🌞 सूर्यास्त  - -  १८:५६ पर 


🌘 चन्द्रोदय  - -  २४:२१  पर 


🌘चन्द्रास्त  - -  १३:५६


सृष्टि संवत्  - - १,९६,०८,५३,१२३


कलयुगाब्द  - - ५१२३


विक्रम संवत्  - - २०७९


शक संवत्  - - १९४४


दयानंदाब्द  - - १९८


🍁🍀🍁🍀🍁🍀🍁🍀🍁🍀


🚩‼️ओ३म्‼️🚩


   🔥नास्तिको या मिथ्या पूजा-उपासना करने वालों को पुनः मनुष्य जन्म मिलना असम्भव।

➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖


    🔥 वेदों ने हमें कर्मफल का सिद्धान्त दिया है जिसे हमारे ऋषियो व विद्वानों ने अपने ज्ञान व विवेक से विस्तार दिया है। इस सिद्धान्त के अनुसार मनुष्य जो शुभ व अशुभ अर्थात् अच्छे व बुरे कर्म करता है उसके फल उसे अवश्यमेव भोगने ही होते हैं। मनुष्य का यह जीवन न प्रथम है और न अन्तिम। ऐसे असंख्य जीवनों की यात्रा करता हुए मनुष्य का जीवात्मा इस जन्म में आया है और मृत्यु होने के बाद भी अनन्त काल तक इसी प्रकार से उसकी आत्मा का जन्म-मरण अर्थात् पुनर्जन्म होता रहेगा।


      ईश्वर ने हमें मनुष्य जीवन ईश्वर, जीवात्मा व प्रकृति आदि को यथार्थरूप में जानने और सत्य ज्ञानपूर्वक ईश्वर की उपासना करके अपनी आत्मा की उन्नति करने के लिए दिया है। यदि हम ऐसा करते हैं तो हमारी आत्मा की उन्नति होने के साथ हमारा परलोक वा परजन्मों का सुधार होता है। यदि हम मनुष्य जीवन के उद्देश्य ईश्वर व जीव आदि के यथार्थ ज्ञान को प्राप्त करने में आलस्य प्रमाद व पुरुषार्थ की उपेक्षा करेंगे तथा ईश्वर व जीव के यथार्थ स्वरूप व इनके गुण कर्म स्वभाव को नहीं जानेंगे तो हम आत्मोन्नति से तो वंचित होंगे ही, मनुष्य जन्म के उद्देश्य को भुलाकर अज्ञानपूर्वक केवल इन्द्रिय सुख व मिथ्या कर्मों व आचरणों में लगे रहने के कारण ईश्वर से दण्डित भी होंगे।


      कर्मफल सिद्धान्त के अनुसार यह प्रायः निश्चित है कि नास्तिक लोगों को मनुष्य का पुनर्जन्म मिलना कठिन वा असम्भव है। इसका कारण यह लगता है कि ईश्वर ने हमें जिस उद्देश्य से जन्म दिया हमने उसे जानने का प्रयत्न ही नहीं किया और न ही उसके लिए पुरुषार्थ किया। ऐसे नास्तिक व अज्ञानी मनुष्यों को ईश्वर पुनः मनुष्य बनने का अवसर नहीं देगा। इसलिये कि नास्तिक व अन्धविश्वासी मनुष्यों ने ईश्वर की वेद में की गई मनुष्य के हित की आज्ञा व प्रेरणा की अवहेलना की है। नास्तिक होना या मिथ्या पूजा उपासना आदि करना किसी भी मनुष्य के लिए उचित नहीं है।


      अतः सभी मनुष्यों को अपने ही हित में और अपने परलोक व भविष्य के सुखों को देखते हुए सत्यार्थप्रकाश और वेदभाष्य आदि पढ़कर अपने यथार्थ कर्तव्यों का निर्धारित करना चाहिये। ईश्वर के सत्य स्वरूप को जानकर उसे प्राप्त करने का प्रयत्न करना चाहिये। यदि ऐसा करेंगे तो इसमें हमारा ही हित व लाभ है। इससे संसार में सुख व शान्ति का विस्तार भी हो सकता है।


🍁🍀🍁🍀🍁🍀🍁🍀🍁🍀


🕉️🚩आज का वेद मंत्र 🚩🕉️


🌷ओ३म् स न: पितेव सूनवेऽग्ने सूपायनो भव। सचस्वा न: स्वस्तये। ( ऋग्वेद १|१|९ )


💐अर्थ  :- हे ज्ञास्वरूप परमेश्वर  ! जैसे पुत्र के लिए पिता वैसे आप हमारे लिए उत्तम ज्ञान और सुख देने वाले हैं।आप हम लोगों को कल्याण के लिए सदा युक्त करें। 


🍀🍁🍀🍁🍀🍁🍀🍁🍀🍁


🔥विश्व के एकमात्र वैदिक  पञ्चाङ्ग के अनुसार👇

===================


 🙏 🕉🚩आज का संकल्प पाठ🕉🚩🙏


(सृष्ट्यादिसंवत्-संवत्सर-अयन-ऋतु-मास-तिथि -नक्षत्र-लग्न-मुहूर्त)       🔮🚨💧🚨 🔮


ओ३म् तत्सत् श्रीब्रह्मणो द्वितीये परार्द्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे 【एकवृन्द-षण्णवतिकोटि-अष्टलक्ष-त्रिपञ्चाशत्सहस्र- त्रिविंशत्युत्तरशततमे ( १,९६,०८,५३,१२३ ) सृष्ट्यब्दे】【 नवसप्तत्युत्तर-द्विसहस्रतमे ( २०७९ ) वैक्रमाब्दे 】 【 अष्टनवत्यधिकशततमे ( १९८ ) दयानन्दाब्दे, नल-संवत्सरे,  रवि- दक्षिणयाने वर्षा -ऋतौ, भाद्रपद -मासे , कृष्ण   - पक्षे, -  नवम्यां - तिथौ,  - रोहिणी  नक्षत्रे, शनिवासरे , तदनुसार  २० अगस्त, २०२२ ईस्वी , शिव -मुहूर्ते, भूर्लोके जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे 

आर्यावर्तान्तर्गते.....प्रदेशे.... जनपदे...नगरे... गोत्रोत्पन्न....श्रीमान .( पितामह)... (पिता)...पुत्रोऽहम् ( स्वयं का नाम)...अद्य प्रातः कालीन वेलायाम् सुख शांति समृद्धि हितार्थ,  आत्मकल्याणार्थ, रोग, शोक, निवारणार्थ च यज्ञ कर्मकरणाय भवन्तम् वृणे


🍀🍁🍀🍁🍀🍁🍀🍁🍀🍁

Popular posts from this blog

ब्रह्मचर्य और दिनचर्या

वैदिक धर्म की विशेषताएं 

अंधविश्वास : किसी भी जीव की हत्या करना पाप है, किन्तु मक्खी, मच्छर, कीड़े मकोड़े को मारने में कोई पाप नही होता ।