आज का वेद मंत्र
🕉️🙏ओ३म् सादर नमस्ते जी 🙏🕉️
🌷🍃 आपका दिन शुभ हो 🍃🌷
दिनांक - - ०३ अगस्त २०२२ ईस्वी
दिन - - बुधवार
🌒 तिथि - - - षष्ठी ( २९:४० तक तत्पश्चात सप्तमी )
🪐 नक्षत्र - - हस्त ( १८:२४ तक तत्पश्चात चित्रा )
पक्ष - - शुक्ल
मास - - श्रावण
ऋतु - - वर्षा
,
सूर्य - - दक्षिणायन
🌞 सूर्योदय - - दिल्ली में प्रातः ५:४३ पर
🌞 सूर्यास्त - - १९:११ पर
🌒 चन्द्रोदय - - १०:३३ पर
🌒चन्द्रास्त - - २२:३७ पर
सृष्टि संवत् - - १,९६,०८,५३,१२३
कलयुगाब्द - - ५१२३
विक्रम संवत् - - २०७९
शक संवत् - - १९४४
दयानंदाब्द - - १९८
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🚩‼️ओ३म्‼️🚩
🔥संसार में तीन सत्तायें अनादि व नित्य अस्तित्व वाली है। यह तीन सत्तायें हैं ईश्वर, जीव व प्रकृति। ईश्वर एक है और वह सच्चिदानन्दस्वरूप, सर्वज्ञ, सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान तथा सर्वान्तर्यामी है। सभी जीव, जो कि संख्या में अनन्त वा असंख्य हैं, अल्पज्ञ एवं अल्पशक्तियों से युक्त होते हैं।
सभी जीवों का ज्ञान पूर्णता से युक्त नहीं होता। वह माता, पिता, आचार्या तथा ईश्वर की स्तुति, प्रार्थना व उपासना से अपने ज्ञान की वृद्धि कर सकते हैं। पूर्ण ज्ञान ईश्वर व वेदों में ही प्राप्त होता है। यही कारण था कि हमारे प्राचीन सभी पूर्वज व ऋषि मुनि मुख्यतः वेदाध्ययन व वेदानुकूल ग्रन्थों का अध्ययन, उनका चिन्तन, मनन तथा उनके अनुसार ही आचरण करते थे।
वेदाध्ययन से ही मनुष्य के ज्ञान की न्यूनता दूर होती है और वह कुछ कुछ पूर्णता को प्राप्त करते हंै। वेदाध्ययन से ही मनुष्य ईश्वर व जीवात्मा सहित प्रकृति के स्वरूप व गुणों को यथार्थरूप में जान पाते हंै। जिन लोगों ने वेद व वैदिक साहित्य का अध्ययन नहीं किया, वह ज्ञान की वृद्धि नहीं कर सकते और न ही ज्ञान से सम्भावित पूर्णता को ही प्राप्त कर सकते है। ज्ञान की पूर्णता होने पर मनुष्य ऋषि, विद्वान व योगी बनता है।
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🕉️🚩 आज का वेद मंत्र 🚩🕉️
🔥ओ३म् प्र ब्रह्माणो अङ्गिरसो नक्षन्त प्र क्रन्दनुर्नभन्यस्य वेतु।
प्र धेनव उदप्रुतो नवन्त युज्यातामद्री अध्वरस्य पेशः॥ ऋग्वेद ७\४२\१ )
💐 अर्थ :- वेदों के विद्वान उपदेशक मेघों की गति के समान गति करें। जिस प्रकार नदियां जल प्रदान करती हैं और गायें दूध प्रदान करती हैं उसी प्रकार ये विद्वान यज्ञनिक कार्यों की वृद्धि के लिए ज्ञान का प्रकाश करें। सभी स्त्री-पुरुष उनके अनुसरण द्वारा प्रभु की स्तुति करें।
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🔥विश्व के एकमात्र वैदिक पञ्चाङ्ग के अनुसार👇
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🙏 🕉🚩आज का संकल्प पाठ🕉🚩🙏
(सृष्ट्यादिसंवत्-संवत्सर-अयन-ऋतु-मास-तिथि -नक्षत्र-लग्न-मुहूर्त) 🔮🚨💧🚨 🔮
ओ३म् तत्सत् श्रीब्रह्मणो द्वितीये परार्द्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे 【एकवृन्द-षण्णवतिकोटि-अष्टलक्ष-त्रिपञ्चाशत्सहस्र- त्रिविंशत्युत्तरशततमे ( १,९६,०८,५३,१२३ ) सृष्ट्यब्दे】【 नवसप्तत्युत्तर-द्विसहस्रतमे ( २०७९ ) वैक्रमाब्दे 】 【 अष्टनवत्यधिकशततमे ( १९८ ) दयानन्दाब्दे, नल-संवत्सरे, रवि- दक्षिणयाने वर्षा -ऋतौ, श्रावण -मासे , शुक्ल - पक्षे, - षष्ठयां, - तिथौ, - हस्त नक्षत्रे, बुधवासरे , तदनुसार ०३ अगस्त, २०२२ ईस्वी , शिव -मुहूर्ते, भूर्लोके जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे
आर्यावर्तान्तर्गते.....प्रदेशे.... जनपदे...नगरे... गोत्रोत्पन्न....श्रीमान .( पितामह)... (पिता)...पुत्रोऽहम् ( स्वयं का नाम)...अद्य प्रातः कालीन वेलायाम् सुख शांति समृद्धि हितार्थ, आत्मकल्याणार्थ, रोग, शोक, निवारणार्थ च यज्ञ कर्मकरणाय भवन्तम् वृणे
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