आज का वेद मंत्र

 🕉️🙏ओ३म् सादर नमस्ते जी 🙏🕉️

🌷🍃 आपका दिन शुभ हो 🍃🌷


दिनांक  - -    ०८ अगस्त  २०२२ ईस्वी 

 

दिन  - -   सोमवार 


  🌖 तिथि - - - एकादशी ( २१:०० तक तत्पश्चात द्वादशी )


🪐 नक्षत्र -  -  ज्येष्ठा ( १४:३७ तक तत्पश्चात मूल )


पक्ष  - -  शुक्ल 


 मास  - -  श्रावण 


ऋतु  - -  वर्षा 

,  

सूर्य  - -  दक्षिणायन


🌞 सूर्योदय  - - दिल्ली में प्रातः ५:४६ पर


🌞 सूर्यास्त  - -  १९:७ पर 


 🌖चन्द्रोदय  - -  १५:५४ पर 


🌖चन्द्रास्त  - -  २६:१३ + पर 


सृष्टि संवत्  - - १,९६,०८,५३,१२३


कलयुगाब्द  - - ५१२३


विक्रम संवत्  - - २०७९


शक संवत्  - - १९४४


दयानंदाब्द  - - १९८


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 🚩‼️ओ३म्‼️🚩



    🔥आधुनिक युग में महर्षि दयानन्द जी एक आदर्श पुरुष हुए हैं। उन्होंने न केवल योग विद्या को सिद्ध किया, उसे अपने आचरण व जीवन में धारण किया अपितु उन्होंने विद्या प्राप्त कर उसका अभ्यास करते हुए वेदों का यथार्थ ज्ञान भी प्राप्त किया था। वह कर्म व कर्म फल को वेदादि शास्त्रों से यथावत् जान पाये थे और उसे जानकर उन्होंने अशुभ व पाप कर्मांे का सर्वथा त्याग भी किया था। वेद एवं वैदिक साहित्य सहित ऋषि दयानन्द जी का जीवन सभी मनुष्यों के लिए एक आदर्श उदाहरण हैं जिसको अपनाकर हम अपनी विद्या बढ़कार सन्मार्ग का अवलम्बन कर सकते हैं। इससे हमें भी लाभ होगा और हमारे सम्पर्क में आने वाले व्यक्तियों को भी लाभ होगा।


     यह जीवन बहुत लम्बा नहीं है। यदि हम अपनी एक सौ वर्ष की आयु की कल्पना करें तो हमारे आरम्भ के २५ वर्ष तो बाल व युवा काल जिसमें हम अध्ययन आदि करते हैं व्यतीत हो जाते हैं। बाद के ७५ वर्षों में २५ वर्ष व कुछ अधिक वर्ष हम गृहस्थ जीवन का निर्वाह करते हैं। इन २५ वर्षों में न्यूनतम एक चैथाई अर्थात् ६ वर्ष से अधिक का समय तो हमारे सोने में ही व्यतीत हो जाता है। आजीविका के कामों में भी हमें प्रतिदिन ८ से १२ घंटे देने पड़ते हैं। यदि औसत १० घंटे भी माने तो २५ वर्षों में १० से ११ वर्ष हमारे आजिविका के कार्यों में व्यतीत हो जाते हैं। इस प्रकार लगभग २५ वर्षों में से १६-१७ वर्ष निकल जाने पर हमारे पास ८-९ वर्ष ही बचते हैं। हमारा यह समय भी स्वास्थ्य रक्षा सहित अनेक सामाजिक, धार्मिक आदि अनेक कार्यों को करने में व्यतीत होता है। 


   अतः हमें गृहस्थ जीवन में सुख भोगने के लिए बहुत अधिक समय नहीं मिलता। वानप्रस्थ व संन्यास के २५-२५ वर्ष तो साधना व धर्म प्रचार के लिए होते हैं। इसमें जो मनुष्य सुख भोगेगा वह एक प्रकार से अपने परजन्म को किसी न किसी रूप में बिगाड़ता है। 


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 🕉️🚩आज का वेद मंत्र 🕉️🚩


🌷ओ३म् तस्माद्यज्ञात्सर्हुत ऽ ऋच: सामानि जज्ञिरे। छन्दांसि जज्ञिरे तस्माद्यजुस्तस्मादजायत।।( यजुर्वेद ३१|७)


💐भावार्थ :-  सृष्टि विद्या का उपदेश -- जिस  पूर्ण, पूजनीय, सबके ग्रहण करने योग्य, सर्वस्य समर्पण करने योग्य परमात्मा से ऋग्वेद, सामवेद, अथर्ववेद और यजुर्वेद उत्पन्न हुए हैं।उसी परमात्मा की उपासना करो।वेदों का अध्ययन करों। वेदों एवं परमात्मा की आज्ञा के अनुकूल वर्त्ताव करके सुखी रहों। 


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 🔥विश्व के एकमात्र वैदिक  पञ्चाङ्ग के अनुसार👇

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 🙏 🕉🚩आज का संकल्प पाठ🕉🚩🙏


(सृष्ट्यादिसंवत्-संवत्सर-अयन-ऋतु-मास-तिथि -नक्षत्र-लग्न-मुहूर्त)       🔮🚨💧🚨 🔮


ओ३म् तत्सत् श्रीब्रह्मणो द्वितीये परार्द्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे 【एकवृन्द-षण्णवतिकोटि-अष्टलक्ष-त्रिपञ्चाशत्सहस्र- त्रिविंशत्युत्तरशततमे ( १,९६,०८,५३,१२३ ) सृष्ट्यब्दे】【 नवसप्तत्युत्तर-द्विसहस्रतमे ( २०७९ ) वैक्रमाब्दे 】 【 अष्टनवत्यधिकशततमे ( १९८ ) दयानन्दाब्दे, नल-संवत्सरे,  रवि- दक्षिणयाने वर्षा -ऋतौ, श्रावण -मासे , शुक्ल  - पक्षे, -  एकादश्यां - तिथौ,  - ज्येष्ठा नक्षत्रे, सोमवासरे , तदनुसार  ०८ अगस्त, २०२२ ईस्वी , शिव -मुहूर्ते, भूर्लोके जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे 

आर्यावर्तान्तर्गते.....प्रदेशे.... जनपदे...नगरे... गोत्रोत्पन्न....श्रीमान .( पितामह)... (पिता)...पुत्रोऽहम् ( स्वयं का नाम)...अद्य प्रातः कालीन वेलायाम् सुख शांति समृद्धि हितार्थ,  आत्मकल्याणार्थ,  रोग, शोक, निवारणार्थ च यज्ञ कर्मकरणाय भवन्तम् वृणे


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