आज का वेद मंत्र

 🕉️🙏ओ३म् सादर नमस्ते जी 🙏🕉️

🌷🍃 आपका दिन शुभ हो 🍃🌷


दिनांक  - -    १३ अगस्त २०२२ ईस्वी 

 

दिन  - -  शनिवार 


  🌔 तिथि - - -  द्वितीया ( २४:५३ + तक तत्पश्चात तृतीया )



🪐 नक्षत्र -  -  शतभिषा ( २३:२८ तक तत्पश्चात पूर्वाभाद्रपद)


पक्ष  - - कृष्ण


 मास  - -   भाद्रपद 


ऋतु  - -  वर्षा 

,  

सूर्य  - -  दक्षिणायन


🌞 सूर्योदय  - - दिल्ली में प्रातः ५:४९ पर


🌞 सूर्यास्त  - -  १९:३ पर 


🌔 चन्द्रोदय  - -  २०:१९  पर 


🌔चन्द्रास्त  - -  ६:५४ पर


सृष्टि संवत्  - - १,९६,०८,५३,१२३


कलयुगाब्द  - - ५१२३


विक्रम संवत्  - - २०७९


शक संवत्  - - १९४४


दयानंदाब्द  - - १९८


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🚩‼️ओ३म्‼️🚩


    🔥संसार में अनेक मत-मतान्तर प्रचलित हैं। जो मनुष्य जिस मत व सम्प्रदाय का अनुयायी होता है वह अपने मत, सम्प्रदाय व उसके आद्य आचार्य के जीवन की प्रेरणा से अपने जीवन को बनाता व उनके अनुसार व्यवहार करता है। महर्षि दयानन्द सभी मत व सम्प्रदायों के आचार्यों से सर्वथा भिन्न थे और उनकी शिक्षायें भी मत-पंथ-सम्प्रदायों की शिक्षाओं से सर्वथा भिन्न थीं। महर्षि दयानन्द ने अपने जीवन का आदर्श ईश्वरीय ज्ञान वेद की शिक्षाओं वा सिद्धान्तों को बनाया था तथा उनका अपने जीवन में पूरा-पूरा पालन किया था।


    यदि किसी मनुष्य को आदर्श जीवन व्यतीत करना हो तो उसे ऋषि दयानन्द का जीवन चरित पढ़ना चाहिये और उसके अनुसार ही अपना जीवन बनाना चाहिये। ऐसा करने से निश्चय ही उस मनुष्य का कल्याण होगा। उसका यह जन्म तथा परजन्म सुधरेंगे तथा उन्नति को प्राप्त होंगे। 

महर्षि दयानन्द संसार के ज्ञात इतिहास में ऐसे एकमात्र पुरुष थे जिन्होंने परम्परागत मत को स्वीकार न कर सत्य की खोज की और सत्य की कसौटी पर सर्वथा खरे पाये जाने पर वेद व उनके सिद्धान्तों को अपनाया था।


    उन्होंने वेद के प्रत्येक सिद्धान्त की अपनी ज्ञान-विज्ञान, सदाचार व सद्ग्रन्थों के अध्ययन से युक्त शुद्ध व विवेक बुद्धि से समीक्षा व परीक्षा की थी। वेद के सभी सिद्धान्त सत्य की कसौटी पर सत्य सिद्ध हुए थे। वेदों के निर्दोष  सत्य ज्ञान से युक्त ग्रन्थ पाये जाने पर ही उन्होंने वेदों को स्वयं अपनाया था और उसका देश भर में घूम कर प्रचार भी किया था। उनकी भावना थी कि इससे मनुष्य का कल्याण होकर देश व समाज सभी प्रकार के दुरित विचारों व क्रियाकलापों से मुक्त होकर उन्नति व सफलताओं को प्राप्त कर सकेंगे। 


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🕉️🚩 आज का वेद मंत्र 🚩🕉️


  🔥ओ३म् शन्नो मित्र: शं वरूण: शन्नो भवत्वर्य्यमा ।शन्न इन्द्रो बृहस्पति: शन्नो विष्णुरूरूक्रम:। ( यजुर्वेद ३६|९ )


💐 अर्थ :- संसार की रचना करने वाला परमेश्वर जैसे हमारे लिए कल्याणकारी है, वैसे प्राण के तुल्य प्रिय मित्र, जल के समान शान्ति देने वाले जन, पदार्थों के स्वामी, वेदवाणी के रक्षक, विद्वान हमारे लिए रक्षक और कल्याणकारी हो ।हम भी इसी प्रकार अन्योंके लिए कल्याणकारी होवे।


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🔥विश्व के एकमात्र वैदिक  पञ्चाङ्ग के अनुसार👇

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 🙏 🕉🚩आज का संकल्प पाठ🕉🚩🙏


(सृष्ट्यादिसंवत्-संवत्सर-अयन-ऋतु-मास-तिथि -नक्षत्र-लग्न-मुहूर्त)       🔮🚨💧🚨 🔮


ओ३म् तत्सत् श्रीब्रह्मणो द्वितीये परार्द्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे 【एकवृन्द-षण्णवतिकोटि-अष्टलक्ष-त्रिपञ्चाशत्सहस्र- त्रिविंशत्युत्तरशततमे ( १,९६,०८,५३,१२३ ) सृष्ट्यब्दे】【 नवसप्तत्युत्तर-द्विसहस्रतमे ( २०७९ ) वैक्रमाब्दे 】 【 अष्टनवत्यधिकशततमे ( १९८ ) दयानन्दाब्दे, नल-संवत्सरे,  रवि- दक्षिणयाने वर्षा -ऋतौ, श्रावण -मासे , कृष्ण  - पक्षे, -  द्वितीयायां - तिथौ,  - शतभिषा नक्षत्रे, शनिवासरे , तदनुसार  १३ अगस्त, २०२२ ईस्वी , शिव -मुहूर्ते, भूर्लोके जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे 

आर्यावर्तान्तर्गते.....प्रदेशे.... जनपदे...नगरे... गोत्रोत्पन्न....श्रीमान .( पितामह)... (पिता)...पुत्रोऽहम् ( स्वयं का नाम)...अद्य प्रातः कालीन वेलायाम् सुख शांति समृद्धि हितार्थ,  आत्मकल्याणार्थ, रोग, शोक, निवारणार्थ च यज्ञ कर्मकरणाय भवन्तम् वृणे


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