आओ वेद पढ़े।

 आओ वेद पढ़े। 


#डॉविवेकआर्य 


मित्रों , श्रावण मास चल रहा है। श्रवण का अर्थ होता है सुनना। अब सुना क्या जाता है।  प्राचीन काल से हमारे पूर्वज श्रावण मास में वेदों को जिन्हें श्रुति भी कहा जाता हैं। विद्वानों से सुनते थे। इस मास में वर्षा के कारण वन-जंगल आदि स्थानों का त्याग कर विद्वान् शहरी क्षेत्रों के समीप आकर प्रवास करते थे। जनमानस उनके उपदेशों का श्रवण करने जाता था। यह वैदिक पर्व है। जो लोग पढ़ने में समर्थ थे वे इस मास में वेदों का स्वाध्याय करते थे। स्वामी दयानन्द के अनुसार धर्म का ज्ञान तीन प्रकार से होता है।  एक तो धर्मात्मा विद्वानों की शिक्षा, दूसरा आत्मा की शुद्धि तथा सत्य को जानने की इच्छा और तीसरा परमेश्वर की कही वेदविद्या को जानने से ही मनुष्यों को सत्य-असत्य का यथावत बोध होता हैं। इसलिए धर्म के ज्ञान के लिए वेद विद्या सम्बंधित पुस्तकों को पढ़ना अत्यंत आवश्यक है। इस लेख में मैं वेदों के कुछ सूक्तों का परिचय दूंगा जिसे वेद की सहायता अथवा किसी भी वैदिक विद्वान् के मार्गदर्शन से आप  पढ़ सकते हैं। इससे आपको ईश्वरीय ज्ञान वेदों को जानने की रूचि बढ़ेगी। वेदों के कुछ सूक्तों का परिचय। 

१. ईश्वर को नमस्कार- अथर्ववेद 10/7/32-35

२. ब्रह्मविद्या- यजुर्वेद 40/1-17

३. शिव संकल्प के मंत्र- यजुर्वेद 34/1-6 

४. मनावर्तन सूक्त- ऋग्वेद 10/58/1-12

५. स्वराज्य सूक्त- ऋग्वेद 1/80/1-16

६. ब्रह्मचर्य सूक्त- अथर्ववेद 11/5/1-26

७. पुरुष सूक्त- यजुर्वेद 31/1-22

८. संगठन सूक्त- ऋग्वेद 10/191/1-4

९. संगठन सूक्त- अथर्ववेद 1/15/1-4

१०. एकता सूक्त-अथर्ववेद 3/30/1-7

११. मधुर जीवन- अथर्ववेद 1/34/1-3

१२. श्रद्धा सूक्त- ऋग्वेद 10/151/1-5

१३. अतिथि सूक्त- अथर्ववेद 9/6/1/6-8

१४. नासदीय सूक्त- ऋग्वेद 10/129/1-7

१५. मृत्यु सूक्त- अथर्ववेद 4/35/1-7

आईये प्रतिदिन एक सूक्त का स्वाध्याय करें। स्वयं पढ़े। अन्यों को पढ़ाये। 

वेदों का पढ़ना-पढ़ाना और सुनना सुनाना सब आर्यों का परम धर्म है।

वेदों के विभिन्न सूक्तों को सार रूप में जानने के लिए पढ़िए-

वेदों का दिव्य सन्देश ₹450

प्राप्ति के लिए 7015591564 पर व्हाट्सएप द्वारा सम्पर्क करें।

Popular posts from this blog

ब्रह्मचर्य और दिनचर्या

वैदिक धर्म की विशेषताएं 

अंधविश्वास : किसी भी जीव की हत्या करना पाप है, किन्तु मक्खी, मच्छर, कीड़े मकोड़े को मारने में कोई पाप नही होता ।