आज का वेद मंत्र 🚩

 🕉️🙏ओ३म् सादर नमस्ते जी 🙏🕉️

🌷🍃 आपका दिन शुभ हो 🍃🌷


दिनांक  - -    ०५  अगस्त  २०२२ ईस्वी 

 

दिन  - -   शुक्रवार 


  🌓 तिथि - - -  अष्टमी ( २७:५६ + तक तत्पश्चात नवमी )


🪐 नक्षत्र -  - स्वाति  ( १८:३७ तक तत्पश्चात विशाखा  )


पक्ष  - -  शुक्ल 


 मास  - -  श्रावण 


ऋतु  - -  वर्षा 

,  

सूर्य  - -  दक्षिणायन


🌞 सूर्योदय  - - दिल्ली में प्रातः ५:४५ पर


🌞 सूर्यास्त  - -  १९:९ पर 


🌓 चन्द्रोदय  - -  १२:३२ पर 


🌓चन्द्रास्त  - -  २३:४५  पर 


सृष्टि संवत्  - - १,९६,०८,५३,१२३


कलयुगाब्द  - - ५१२३


विक्रम संवत्  - - २०७९


शक संवत्  - - १९४४


दयानंदाब्द  - - १९८


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 🚩‼️ओ३म्‼️🚩


   🔥धार्मिक मनुष्य के विषय में समाज में अविद्या पर आधारित अनेक आस्थायें व असद्-विश्वास प्रचलित हैं। इन पर विचार करते हैं तो इसमें सत्यता की कमी अनुभव होती है। सच्चा धार्मिक मनुष्य कौन होता है? इसका उत्तर यह मिलता है कि सच्चा धार्मिक वही मनुष्य हो सकता है जिसको वेदज्ञान उपलब्ध वा प्राप्त होता है। जो सोच-विचार कर सत्य व असत्य का ग्रहण करता है। अपने प्रत्येक कर्म को सत्य की कसौटी पर कसकर उसे ग्रहण व धारण कर उसे क्रियान्वित रूप देता है।


      किसी भी आचार्य व व्यक्ति के कहने से किसी विचार व मान्यता को जीवन में धारण करना सच्ची धार्मिकता की कसौटी व विवेकवान मनुष्य की पहचान नहीं है। मनुष्य जीवन में सत्य व असत्य का महत्व होता है। सत्य को जानकर उसे ग्रहण व धारण करने से मनुष्य जीवन की उन्नति होती है। इसके विपरीत जाने अनजाने असत्य कर्म व आचरण करने से मनुष्य की हानि, पतन व अवनति होती है। कोई भी मनुष्य असत्य का आचरण कर जीवन में सुख व शान्ति को प्राप्त नहीं कर सकता। सुख व शान्ति की उपलब्धि मनुष्य को वेद ज्ञान के अनुरूप कर्म व पुरुषार्थ करने से ही होती है। 


     संसार में अनेक मत-मतान्तर प्रचलित हैं जो अपनी मत की पुस्तकों का प्रचार कर उसके अनुरूप कर्म करने की प्रचार करते हैं। वेद व वेदानुयायी संसार के सभी मनुष्यों से यही अपेक्षा करते व आग्रह करते हैं कि वह किसी भी मत व विचारधारा को माने व आचरण करें, परन्तु उन्हें किसी भी धार्मिक, सामाजिक व अन्य कर्म को करते समय सत्य को सामने रखकर व उसकी परीक्षा कर ही उसे करना चाहिये। उन्हें यह विचार करना चाहिये कि उनके द्वारा किया जाने वाला प्रत्येक कर्म सत्य, हितकर, पक्षपातरहित व न्यायपूर्ण है अथवा नहीं। ऐसा नहीं है कि संसार की पुस्तकों की सभी बातें पूर्णतया विद्यायुक्त वा सत्य ही हों। 


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 🕉️🚩आज का वेद मंत्र 🚩🕉️


🌷ओ३म् अग्न आ याहि वीतये गृणाणो हव्यदातये।नि होता सत्सि बर्हिषि ।( सामवेद पूर्वार्चिक १|१)


💐अर्थ  :- हे प्रकाशस्वरूप परमात्मन्  ! चित्त की एकाग्रता के लिए, जीवन में गति देने के लिए, हमारे सब कार्यों में सदगुणदेने तथा सुपथ प्रदान करने के लिए आप आओ।यज्ञादि शुभ कर्मों द्वारा सदा हमारे ह्रदय में विराजो, हम सदा आपको स्मरण करते रहें ।


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 🔥विश्व के एकमात्र वैदिक  पञ्चाङ्ग के अनुसार👇

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 🙏 🕉🚩आज का संकल्प पाठ🕉🚩🙏


(सृष्ट्यादिसंवत्-संवत्सर-अयन-ऋतु-मास-तिथि -नक्षत्र-लग्न-मुहूर्त)       🔮🚨💧🚨 🔮


ओ३म् तत्सत् श्रीब्रह्मणो द्वितीये परार्द्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे 【एकवृन्द-षण्णवतिकोटि-अष्टलक्ष-त्रिपञ्चाशत्सहस्र- त्रिविंशत्युत्तरशततमे ( १,९६,०८,५३,१२३ ) सृष्ट्यब्दे】【 नवसप्तत्युत्तर-द्विसहस्रतमे ( २०७९ ) वैक्रमाब्दे 】 【 अष्टनवत्यधिकशततमे ( १९८ ) दयानन्दाब्दे, नल-संवत्सरे,  रवि- दक्षिणयाने वर्षा -ऋतौ, श्रावण -मासे , शुक्ल  - पक्षे, -  अष्टम्यां - तिथौ,  -  स्वाति नक्षत्रे,  शुक्रवासरे , तदनुसार  ०५ अगस्त, २०२२ ईस्वी , शिव -मुहूर्ते, भूर्लोके जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे 

आर्यावर्तान्तर्गते.....प्रदेशे.... जनपदे...नगरे... गोत्रोत्पन्न....श्रीमान .( पितामह)... (पिता)...पुत्रोऽहम् ( स्वयं का नाम)...अद्य प्रातः कालीन वेलायाम् सुख शांति समृद्धि हितार्थ,  आत्मकल्याणार्थ,  रोग, शोक, निवारणार्थ च यज्ञ कर्मकरणाय भवन्तम् वृणे


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