आज का वेद मंत्र

 🕉️🙏ओ३म् सादर नमस्ते जी 🙏🕉️

🌷🍃 आपका दिन शुभ हो 🍃🌷


दिनांक  - -    १६ अगस्त २०२२ ईस्वी 

 

दिन  - - मंगलवार 


  🌗 तिथि - - - पंचमी ( २०:१७ तक तत्पश्चात षष्ठी )



🪐 नक्षत्र -  -  रेवती  ( २१:०७ तक तत्पश्चात अश्विनी 


पक्ष  - - कृष्ण


 मास  - -   भाद्रपद 


ऋतु  - -  वर्षा 

,  

सूर्य  - -  दक्षिणायन


🌞 सूर्योदय  - - दिल्ली में प्रातः ५:५१ पर


🌞 सूर्यास्त  - -  १९:०० पर 


🌗 चन्द्रोदय  - -  २१:५८  पर 


🌗चन्द्रास्त  - -  १०:०४


सृष्टि संवत्  - - १,९६,०८,५३,१२३


कलयुगाब्द  - - ५१२३


विक्रम संवत्  - - २०७९


शक संवत्  - - १९४४


दयानंदाब्द  - - १९८


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🚩‼️ओ३म्🚩‼️


  🔥स्वतंत्रता संग्राम की सशस्त्र क्रांति में आर्य समाज का योगदान। 

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  जिस सामान्य भाषा में क्रान्तिकारियों का योगदान कहा जाता है, इस दृष्टि से तो आर्य समाज का एक प्रखर राष्ट्रीय स्वरूप हमारे सामने आता है। इस दृष्टि से महर्षि दयानन्द सरस्वती जी के अमर शिष्य क्रान्तिकारियों के पितामह श्री श्यामजी कृष्ण वर्मा का नाम हमारे सामने आता है। 


     इनको महर्षि ने ही विदेश में भेजा था। वहां जाकर उन्होंने इण्डिया हाउस की स्थापना की थी। जो कि बाद में क्रान्तिकारियों का तीर्थस्थल बन गया था। इन्हीं की प्रेरणा पर विनायक दामोदर सावरकर विदेश गये। अण्डमान के कारावास में वे कैदियों को सत्यार्थ प्रकाश पढ़ाया करते थे। इन्हीं सावरकर के शिष्य मदनलाल ढींगरा थे, जिन्होंने लन्दन में कर्नल वायली को नरक भेजकर भारत माता के अपमान का करारा बदला लिया था। मदनलाल ढींगरा स्वयं भी आर्य समाजी परिवार से थे। 


    इसी प्रकार ३१ वर्षों तक विदेशों की खाक छानने वाले आजादी के परवाने राजा महेन्द्र प्रताप जी भी आर्य समाजी थे ।इन्हीं के साथ भारत को स्वतंत्र कराने की धुन में अपने को विदेशों में लापता कर देने वाले हरिश्चंद्र  ( स्वामी श्रद्धानन्द के पुत्र  ) आर्य समाजी वातावरण से ही स्वाधीनता की घुट्टी पिये हुए थे। दिल्ली षडयन्त्र में भाग लेने वालों में भाई बालमुकुन्द तथा महात्मा हंसराज के पुत्र बलराज दोनों ही आर्य समाजी थे। प्रथम विश्व युद्ध के समय विदेशी सरकार का तख्ता उलटने के लिए बनाई गयी गदर पार्टी ने एक योजना बनाई थी। दुर्भाग्यवश भेद खुल जाने पर अनेकों क्रान्तिकारियों जिनमें पंजाब के मोहन लाल पाठक, राजस्थान के प्रताप सिंह वारहट, हरियाणा के जगत् राम आदि दृढ़ आर्य समाजी ही थे। प्रताप सिंह वारहट के पिता केशर सिंह वारहट ने तो महर्षि दयानंद सरस्वती से दीक्षा ली थी।इन्होंने राजस्थान में जीवन भर क्रांति का नाद बजाया। इसी वीर ने स्वामी श्रद्धानन्द के दामाद डॉ गुरूदत्त तथा अन्य क्रान्तिकारियों के साथ डाका डालकर मिलने वाला धन की स्वाधीनता-संग्राम के कार्य में लगाने की योजना बनाई थी इससे इनको काले पानी की सजा हुई थी। इसी प्रकार मैनपुरी षडयन्त्र के मुखिया पं गेन्दा लाल जी दीक्षित तो प्रत्यक्ष रूप से आर्य समाजी थे। पंजाब केसरी लाला लाजपत राय ऋषि दयानंद के उन अमर शिष्यों में से थे, जिनके शब्दों में  " आर्य समाज उनकी  माता  और ऋषि दयानंद उनके पिता थे "। इनकी देश भक्ति किसी से छिपी नहीं है। 


      काकोरी के हुतात्मा 

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 काकोरी केस के अमर हुतात्मा बिस्मिल, रोशनसिंह, तथा विष्णुशरण दुबलिश के रूप में महर्षि के अमर शिष्य आजादी के मोर्चे पर खड़े नज़र आते है। बिस्मिल तो सत्यार्थ प्रकाश से ही जीवन प्राप्त करने वालों में से थे। इनको सशस्त्र क्रांति तथा देश भक्ति की दीक्षा देने वाले स्वामी सोमदेव जी आर्य समाज के उपदेशक थें।जिन्होंने शाहजहाँपुर  आर्य समाज मन्दिर में इनको दीक्षा दी थी। 


   सरदार भगतसिंह का दल 

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     सरदार भगत सिंह के दल में तो आर्य समाज से प्रेरणा प्राप्त करने वालों की संख्या और अधिक प्रकट होती है। भगतसिंह के दादाजी अर्जुनसिंह कट्टर आर्य समाजी थे। नित्य ही हवन करते थे। आर्य समाज के उपदेशक भी थे। भगतसिंह के पिता किशन सिंह भी आर्य समाज की संस्था में पढ़ाते रहे। इसी दल के सदस्य धन्वन्तरी, काशीराम तथा लेखराम  प्रखर आर्य समाजी थे। 


 १९४२ की क्रान्ति  

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    देश की स्वाधीनता हेतु लड़े जाने वाले इस संग्राम की लम्बी यात्रा में अन्तिम पड़ाव सन् १९४२ की क्रान्ति के रूप में  आता है।  इसमें महर्षि के अनुयायियों ने बढ़-  चढ़कर भाग लिया डीएवी कालेज लाहौर में छात्रों पर निर्ममता से गोलियां चलाई।  गुरुकुल डौरोली मेरठ में तालाबन्दी कर दी थी। आर्य समाज नरेला में हवन कर रहे ७० आर्यसमाजियो को पकड़ कर जेल में डाल दिया गया था। स्वामी स्वतन्त्रतानन्द जी को पंजाब के गवर्नर का वध करने के आरोप में नज़रबन्द कर दिया था। स्वामी ईशानन्द, स्वामी धर्मानन्द तथा इनके पुत्र हरिदत्त को लालकिले के तहखाने में बन्द कर दिया था। इस आन्दोलन में भी आर्य समाजी किसी से पीछे नहीं रहा। 


    आजाद हिन्द सेना  

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    नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के द्वारा आजाद हिन्द सेना का निर्माण और उसका कार्य एक गौरवशाली स्वर्णिम अध्याय है।उक्त सेना के तीन प्रमुख नायकों में से सहगल आर्य समाजी परिवार की देन थे। इनके पिता अछरूराम जी जाने माने आर्य समाजी तथा कानूनविद थे । इसके अतिरिक्त सामान्य सैनिक के रूप में इस सेना में भर्ती होकर योगदान करने वाले आर्य समाजियों की संख्या तो अनगिनत है। 


   शिक्षा संस्थाओं के द्वारा जागरण  

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    लार्ड मैकाले ने अंग्रेजी राज्य की जड़े भारत में दृढ़ करने के लिए जिस अंग्रेजी शिक्षा का प्रचलन किया, सर्वप्रथम ऋषि दयानंद और उनके परम शिष्य स्वामी श्रद्धनन्द ने गुरूकुल शिक्षा प्रणाली के द्वारा उसे छिन्न-भिन्न का स्तुत्य राष्ट्रीय कार्य किया। इसका आरम्भ गुरूकुल कांगड़ी से होता है। ये संस्थाएं सरकारी प्रभाव से मुक्त थी । इन गुरूकुलों में  देश भक्ति के भावों को जागृत करके अंग्रेजी शासन को उखाड़ फेंकने के लिए देश भक्ति के भावों ओ उद्दीपन किया जाता था। ये गुरूकुल नगरों से दूर एकान्त जंगल में होने के कारण भी सरकार इनको एक लम्बे अरसे तक सन्देह की दृष्टि से देखती रही।  यह हाल सभी गुरूकुलो का था।इसी प्रकार डीएवी कालेज भी  सर्वथा सरकारी प्रभाव से मुक्त थे।


     इतिहास में मिलने वाले निम्न  संकेतों से हम आर्य समाज की स्वाधीनता के प्रति आस्था समझते हैं। लाहौर के जिलाधीश ने स्वामी श्रद्धानन्द जी से कहा था कि आर्य समाज पोलिटिकल संस्था है।१९१० में वैलैण्टाइन शिरोल ने  " इण्डियन अरनेस्ट " पुस्तक में आर्य समाज का अंगेज विरोधी वर्णन किया था। लाहौर के सिविल मिलिटरी गज़ट पत्र में भी आर्य समाज को अंग्रेजों का राज्य उखाड़कर हिन्दू राज्य स्थापित करने वाला कहा गया था। इसके अतिरिक्त देशभक्त महापुरुषों में से अधिकांश ने आर्य समाज और महर्षि दयानंद सरस्वती को देशभक्त एवं स्वतन्त्रता के पुजारी रूप में स्वीकार किया है।


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🕉️🚩आज का वेद मंत्र 🚩🕉️


🌷ओ३म् स्वस्ति नो  मिमीतामश्विना भग: स्वस्ति देव्यदितिरनर्वण:। स्वस्ति पूषा असुरो दधातु न: स्वस्ति धावापृथिवी सुचेतुना।( ऋग्वेद ५|५१|११)


💐अर्थ  :- परमेश्वर हमारा कल्याण करें। ऐश्वर्यरूप  ! आपका जल और वायु सुख का सम्पादन करें। अखण्डित प्रकाश वाली विद्युत्- विद्या हम लोगों का कल्याण करें। पुष्टिकारक अन्न, दुग्धादि पदार्थ तथा प्राणों को बल देने वाले मेघादि हमें कल्याण को देने वाले हो। द्यौ तथा पृथ्वी उत्तम विज्ञान के साथ हमारे लिए कल्याणकारी हों। 


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🔥विश्व के एकमात्र वैदिक  पञ्चाङ्ग के अनुसार👇

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 🙏 🕉🚩आज का संकल्प पाठ🕉🚩🙏


(सृष्ट्यादिसंवत्-संवत्सर-अयन-ऋतु-मास-तिथि -नक्षत्र-लग्न-मुहूर्त)       🔮🚨💧🚨 🔮


ओ३म् तत्सत् श्रीब्रह्मणो द्वितीये परार्द्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे 【एकवृन्द-षण्णवतिकोटि-अष्टलक्ष-त्रिपञ्चाशत्सहस्र- त्रिविंशत्युत्तरशततमे ( १,९६,०८,५३,१२३ ) सृष्ट्यब्दे】【 नवसप्तत्युत्तर-द्विसहस्रतमे ( २०७९ ) वैक्रमाब्दे 】 【 अष्टनवत्यधिकशततमे ( १९८ ) दयानन्दाब्दे, नल-संवत्सरे,  रवि- दक्षिणयाने वर्षा -ऋतौ, भाद्रपद -मासे , कृष्ण   - पक्षे, -  पञ्चम्यां - तिथौ,  - रेवती नक्षत्रे, मंगलवासरे  , तदनुसार  १६ अगस्त, २०२२ ईस्वी , शिव -मुहूर्ते, भूर्लोके जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे 

आर्यावर्तान्तर्गते.....प्रदेशे.... जनपदे...नगरे... गोत्रोत्पन्न....श्रीमान .( पितामह)... (पिता)...पुत्रोऽहम् ( स्वयं का नाम)...अद्य प्रातः कालीन वेलायाम् सुख शांति समृद्धि हितार्थ,  आत्मकल्याणार्थ, रोग, शोक, निवारणार्थ च यज्ञ कर्मकरणाय भवन्तम् वृणे


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