श्रीमद्भगवद्गीता
🕉️🙏ओ३म् सादर नमस्ते जी 🙏🕉️
🌷🍃 आपका दिन शुभ हो 🍃🌷
दिनांक - - १८ अगस्त २०२२ ईस्वी
दिन - - गुरूवार
🌗 तिथि - - - सप्तमी ( २१:२० तक तत्पश्चात अष्टमी )
🪐 नक्षत्र - - भरणी ( २३:३५ तक तत्पश्चात कृत्तिका )
पक्ष - - कृष्ण
मास - - भाद्रपद
ऋतु - - वर्षा
,
सूर्य - - दक्षिणायन
🌞 सूर्योदय - - दिल्ली में प्रातः ५:५२ पर
🌞 सूर्यास्त - - १८:५८ पर
🌗 चन्द्रोदय - - २२:०४ पर
🌗चन्द्रास्त - - १२:०१
सृष्टि संवत् - - १,९६,०८,५३,१२३
कलयुगाब्द - - ५१२३
विक्रम संवत् - - २०७९
शक संवत् - - १९४४
दयानंदाब्द - - १९८
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🔥योगेश्वर श्रीकृष्ण का सच्चा स्वरूप
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भारत देश की विशेषता और सौभाग्य रहा है कि इसे ऋषि, मुनि,ज्ञानी, तपस्वी प्रेरक महापुरुषों की विरासत व परम्परा मिली है। इनमें योगीराज श्री कृष्ण का नाम बड़ी श्रद्धा सम्मान और पूज्यभाव में लिया जाता है। श्रीकृष्ण पुण्यात्मा,धर्मात्मा, तपस्वी, त्यागी, योगी, वेदज्ञ, निरहंकारी, कूटनीतिज्ञ, लोकोपकारक आदि अनेक गुणों व विशेषणों से विभूषित थे। वे मानवता के रक्षक, पालक और उद्धारक थे। उनका उद्देश्य था - धर्मात्माओं की रक्षा हो और पापी, अपराधी, तथा दुष्ट प्रकृति के लोगों का दलन हो।
संसार के इतिहास में श्रीकृष्ण जैसा निराला विलक्षण,अद्धभुत, अद्वितीय, विश्वबंधुत्व जैसा महापुरुष नहीं मिलेगा। यदि किसी महापुरुष में वेद, दर्शन, योग , अध्यात्म, संगीत, कला, राजनीति, कूटनीति आदि सभी एक स्थान पर देखने है, तो वह अकेले देवपुरूष श्रीकृष्ण है।
महाभारत में अनेक विशेषताओं से युक्त अनेक महापुरुष हुए लेकिन सभी का जन्मदिन नहीं मनाया जाता। हजारों वर्षों के बाद भी श्री कृष्ण का जन्म दिन सबको याद है। जो महापुरुष संसार,मानवता, सत्य-धर्म- न्याय और सर्वेभवन्तु: सुखिन: के लिए जीता और मरता है। जहां धर्म है वहां श्रीकृष्ण है और जहां श्रीकृष्ण है वहां निश्चित ही विजय होगी।
संसार का दुर्भाग्य है कि श्रीकृष्ण के सत्य स्वरूप जीवन दर्शन के साथ अन्याय व धोखा हो रहा है। पुराणों में श्रीकृष्ण को युवा होने ही नही दिया,बाल लीलाओं में उनका सम्पूर्ण जीवन अंकित व चित्रित होकर रह गया। महाभारत में राधा का नाम कहीं नहीं आता, किन्तु राधा के बिना श्रीकृष्ण की कल्पना ही नही की जा सकती । पुराणों, लोक कथाओं कहानियों में श्रीकृष्ण के चरित्र को कलंकित व विकृत बदनाम करने के लिए राधा का नाम जोड़ा गया। इतिहास में मिलावट की गयी । श्रीकृष्ण पत्नीव्रता थे उनकी धर्म पत्नी रूक्मिणी थीं।
आर्य समाज का उदय सत्य के प्रचार - प्रसार और वैदिक धर्म के पुनरूधार के लिए हुआ। आर्य समाज महापुरुषों के उज्जवल,प्रेरक, चारित्रिक, गरिमा की रक्षा का सदा पक्षधर रहा है। आर्य समाज श्रीकृष्ण के उस विकृत, कलंकित स्वरूप को नही मानता। आर्य समाज उन्हें योगीराज दिव्य गुणों से युक्त महापुरुष मानता व सम्मानित करता है।
ऐसे महापुरुष के जीवन से हमें उनके दिये गये उपदेशों, संदेशों, विचारों व ग्रन्थों पर चिंतन मनन व आचरण की शिक्षा लेनी चाहिए।
उस महामानव इतिहास पुरुष योगेश्वर श्रीकृष्ण की स्मृति को कोटि-कोटि नमन व प्रणाम।
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🕉️🚩 श्रीमद्भगवद्गीता 🕉️🚩
🌷कर्मेण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।मा कर्भफलहेतुर्भूर्मा ते संगगोऽस्त्वककर्मणि॥ (गीता २\४७)
💐 अर्थ:- कर्म ही तुम्हारा अधिकार है, कर्म के फलों में कभी नहीं । इसलिए कर्म को फल के लिए मत करों ।कर्तव्य- कर्म करने में ही तेरा अधिकार है फलों में कभी नहीं ।अतः तू कर्म फल का हेतु भी मत बन और तेरी अकर्मण्यता में भी आसक्ति न हो।
🌷 परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे-युगे ॥ (गीता ४\८)
💐 सीधे साधे सरल पुरूषों के कल्याण के लिए और दुष्कर्मियो के विनाश के लिए धर्म की स्थापना के लिए मै युगों- युगों से प्रत्येक युग में जन्म लेता आया हूँ
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🔥विश्व के एकमात्र वैदिक पञ्चाङ्ग के अनुसार👇
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🙏 🕉🚩आज का संकल्प पाठ🕉🚩🙏
(सृष्ट्यादिसंवत्-संवत्सर-अयन-ऋतु-मास-तिथि -नक्षत्र-लग्न-मुहूर्त) 🔮🚨💧🚨 🔮
ओ३म् तत्सत् श्रीब्रह्मणो द्वितीये परार्द्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे 【एकवृन्द-षण्णवतिकोटि-अष्टलक्ष-त्रिपञ्चाशत्सहस्र- त्रिविंशत्युत्तरशततमे ( १,९६,०८,५३,१२३ ) सृष्ट्यब्दे】【 नवसप्तत्युत्तर-द्विसहस्रतमे ( २०७९ ) वैक्रमाब्दे 】 【 अष्टनवत्यधिकशततमे ( १९८ ) दयानन्दाब्दे, नल-संवत्सरे, रवि- दक्षिणयाने वर्षा -ऋतौ, भाद्रपद -मासे , कृष्ण - पक्षे, - सप्तम्यां - तिथौ, - भरणी नक्षत्रे, गुरूवासरे , तदनुसार १८ अगस्त, २०२२ ईस्वी , शिव -मुहूर्ते, भूर्लोके जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे
आर्यावर्तान्तर्गते.....प्रदेशे.... जनपदे...नगरे... गोत्रोत्पन्न....श्रीमान .( पितामह)... (पिता)...पुत्रोऽहम् ( स्वयं का नाम)...अद्य प्रातः कालीन वेलायाम् सुख शांति समृद्धि हितार्थ, आत्मकल्याणार्थ, रोग, शोक, निवारणार्थ च यज्ञ कर्मकरणाय भवन्तम् वृणे
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