आज का वेद मंत्र
🕉️🙏ओ३म् सादर नमस्ते जी 🙏🕉️
🌷🍃 आपका दिन शुभ हो 🍃🌷
दिनांक - - २८ जुलाई २०२२ ईस्वी
दिन - - गुरूवार
🌑 तिथि - - - अमावस्या ( २३:२४ तक तत्पश्चात प्रतिपदा )
🪐 नक्षत्र - - पुनर्वसु ( ०७:०५ तक तत्पश्चात पुष्य )
पक्ष - - कृष्ण
मास - - श्रावण
ऋतु - - वर्षा
,
सूर्य - - दक्षिणायन
🌞 सूर्योदय - - दिल्ली में प्रातः ५:४० पर
🌞 सूर्यास्त - - १९:१५ पर
🌑 चन्द्रोदय - - चन्द्रमा निकलेगा नही
🌑 - - चन्द्रास्त - - १९:२१ पर
सृष्टि संवत् - - १,९६,०८,५३,१२३
कलयुगाब्द - - ५१२३
विक्रम संवत् - - २०७९
शक संवत् - - १९४४
दयानंदाब्द - - १९८
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🚩‼️ओ३म् ‼️🚩
🔥 अंग स्पर्श मंत्र!!!
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🌷आचमन के पश्चात बायें हाथ की हथेली पर थोड़ा जल लेकर दाहिने हाथ की मध्यमा और अनामिका ( बीच की दोनों अंगुलियों को मिलाकर) उनसे अंगुठा लगाकर मृगी मुद्रा द्वारा जल से स्पर्श कर मन्त्रोच्चारण के बाद जिस - जिस अंग का नाम आये उस - उस अंग को स्पर्श करें ।
जल से इन्द्रियों के स्पर्श द्वारा बाहरी पवित्रीकरण किया जाता है क्योंकि मानसिक निरोगता की प्राप्ति मन और इन्द्रियों की पवित्रता पर ही आश्रित हैं। स्वार्थ रहित सत्कर्मों से ही इन्द्रियों में सद्भावनाऐ उत्पन्न होकर पवित्रता आया करती है ।
वैदिक ऋषि अथवा योगी की दृष्टि में हमारी देह ( काया) आठ चक्रों, नौ द्वारों वाली देवताओं अथवा इन्द्रियों की नगरी अयोध्या है ।इन इन्द्रियों में दिव्वता बनी रहें इसलिए वाणी, नाक,कान,आँख, कान,भुजा पैर आदि इन्द्रियों का स्पर्श, मार्जन किया जाता है। इसे अंग न्यास भी कहते हैं। न्यास के लिए कर्मकाण्डीय ग्रन्थ पारस्कर गृहसूत्र के मंत्रों का पाठ किया जाता है । यथा:-
ओ३म् वाङ्म्आस्येऽतु।।
( इस मंत्र से मुख का स्पर्श करें)
से रक्षक परमात्मा! मेरे मुख में पूर्ण आयु तक वाणीशक्तिसम्न्न हो।
ओ३म् नसोर्मे प्राणोऽस्तु ।।
( इससे नाक के दोनों छिद्रों का स्पर्श करें)
हे परमेश्वर ! मैरी नासिका (नाक) में आजीवन प्राणशक्ति बनी रहे ।
ओ३म् अक्ष्णोमें चक्षुरस्तु ।।
(इससे आखों का स्पर्श करें)
हे देव मैरी आँखे पूर्ण आयु पर्यन्त दिव्यदृष्दियुक्त हो।
ओ३म् कर्णयोर्मे श्रोत्रमस्तु ।।
( इस मंत्र से दोनों कानों का स्पर्श करें)
हे रक्षक पिता! मेरे कानों में सुनने की शक्ति बनी रहे ।
ओ३म् बाह्रोर्मे बलमस्तु ।।
( दोनों भुजाओं का स्पर्श करें)
हे तेजस्वरूप भगवन! मेरी भुजाओं में पूर्ण आयुपर्यत यशदायी बल हो।
ओ३म् उर्वोर्म ओजोऽस्तु ।।
( दोनों घुटनों का स्पर्श करें)
हे परमदेव! मेरे पैरों में जीवनपर्यन्त शक्ति तथा गति रहें ।
ओ३म् अरिष्टानि मेऽङ्मगानि तनूस्तन्वा में सहसन्तु ।।
( सम्पूर्ण शरीर में जल छिड़के)
हे सर्वरक्षक प्रभो! मेरे शरीर के सभी अंग सबल और स्वस्थ हों ।
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🕉️🚩आज का वेद मंत्र 🚩🕉️
🌷ओ३म् यतो यतः तमीहसे ततो नो अभयं कुरु।शन्नमः कुरु प्रजाभ्योअभयं नः पशुभ्यः । ( यजुर्वेद ३६\ १७ )
💐हे परमेश्वर ! आप जिस जिस देश से स्थान से जगत के रचन और पालन के अर्थ चेष्टा करते हैं उस उस देश से हमको भय से रहित कीजिये अर्थात किसी भी स्थान से हमको कोई भय न रहे , उसी प्रकार सब दिशाओं में आपकी जो प्रजा और पशु हैं उनसे भी हमको भय रहित करें तथा हमको उनसे सुख हो और उनको भी हमसे भय न हो , अर्थात आपकी प्रजा में जो मनुष्य और पशु आदि हैं उन सब से जो धर्म , अर्थ , काम और मोक्ष पदार्थ हैं उनको आपकी कृपा से हमलोग शीघ्र प्राप्त हों , जिससे मनुष्य जन्म के जो धर्मादि फल हैं वे सुख से सिद्ध हों ।
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🔥विश्व के एकमात्र वैदिक पञ्चाङ्ग के अनुसार👇
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🙏 🕉🚩आज का संकल्प पाठ🕉🚩🙏
(सृष्ट्यादिसंवत्-संवत्सर-अयन-ऋतु-मास-तिथि -नक्षत्र-लग्न-मुहूर्त) 🔮🚨💧🚨 🔮
ओ३म् तत्सत् श्रीब्रह्मणो द्वितीये परार्द्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे 【एकवृन्द-षण्णवतिकोटि-अष्टलक्ष-त्रिपञ्चाशत्सहस्र- त्रिविंशत्युत्तरशततमे ( १,९६,०८,५३,१२३ ) सृष्ट्यब्दे】【 नवसप्तत्युत्तर-द्विसहस्रतमे ( २०७९ ) वैक्रमाब्दे 】 【 अष्टनवत्यधिकशततमे ( १९८ ) दयानन्दाब्दे, नल-संवत्सरे, रवि- दक्षिणयाने वर्षा -ऋतौ, श्रावण -मासे , कृष्ण - पक्षे, - अमावस्यायां - तिथौ, - पुनर्वसु,\ पुष्य नक्षत्रे, गुरूवासरे , तदनुसार २८ जुलाई २०२२ ईस्वी , शिव -मुहूर्ते, भूर्लोके जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे
आर्यावर्तान्तर्गते.....प्रदेशे.... जनपदे...नगरे... गोत्रोत्पन्न....श्रीमान .( पितामह)... (पिता)...पुत्रोऽहम् ( स्वयं का नाम)...अद्य प्रातः कालीन वेलायाम् सुख शांति समृद्धि हितार्थ, आत्मकल्याणार्थ, रोग, शोक, निवारणार्थ च यज्ञ कर्मकरणाय भवन्तम् वृणे
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