सुनिए वैदिक विद्वान ''स्वामी शांतानंद सरश्वती दर्शनाचार्य '' का वैदिक लेख'' प्रश्नोपनिषद काअतिसूक्ष्म परिचय'''

 सुनिए वैदिक विद्वान ''स्वामी शांतानंद सरश्वती दर्शनाचार्य '' का वैदिक लेख'' प्रश्नोपनिषद काअतिसूक्ष्म परिचय'''

इस तरह के वैदिकलेखों प्रेरणादायककहानियां महापुरुषों के #जीवनपरिचय #नीतिगतज्ञान के लिए पंचतंत्र #चाणक्यनीति #विदुरनीति #शुक्रनीति के वचनों के साथ वैदिक भजनों के लिए भी #वैदिकराष्ट्र को लाइक करें #वैदिकराष्ट्र को शेयर करें #वैदिकराष्ट्र को सब्सक्राइब करें
धन्यवाद
(१) ईशावास्योपनिषद्,
(२) केनोपनिषद्
(३) कठोपनिषद्
(४) प्रश्नोपनिषद्
(५) मुण्डकोपनिषद्
(६) माण्डूक्योपनिषद्
(७) तैत्तरीयोपनिषद्
(८) ऐतरेयोपनिषद्
(९) छान्दोग्योपनिषद्
(१०) बृहदारण्यकोपनिषद्
(११) श्वेताश्वतरोपनिषद्
प्रश्नोपनिषद् परिचय
ब्रह्म की खोज में निकले हुए छःब्रह्म निष्ठ जिज्ञासुओं के द्वारा छः प्रश्न इसमें पूछा जाता है यही प्रश्नोपनिषद् है। वास्तव में इन छः प्रश्नों में विविध प्रकार के प्रश्न पूछे गए हैं और ऋषि पिप्पलाद द्वारा उनका तर्क संगत उत्तर दिया गया है । ऐसा यह प्रश्नोपनिषद् छः प्रश्नों में अथवा छः भागों में विभाजित है ।इसमें कुल 43 पृष्ठ हैं ।
प्रथम प्रश्न - सृष्टि के आरम्भ में प्रजा किससे उत्पन्न होती है? उत्तर में ऋषि पिप्पलाद बतलाते हैं कि प्रजा की उत्पत्ति के लिए चराचर जगत् के स्वामी प्रजापति ने तप करके मिथुन अर्थात् रयि प्राण के जोड़े को उत्पन्न किया । आगे इस विषय में विस्तार से वर्णन करते हुए दक्षिणायन ,उत्तरायण , पितृयान देवयान कृष्ण पक्ष शुक्ल पक्ष से सम्बंधित विषयों का वर्णन किया गया है ।
द्वितीय प्रश्न - सृष्टि का धारण किस शक्ति से होता है उत्तर में बताया गया प्राण शक्ति से ही सृष्टि का धारण होता है।
तृतीय प्रश्न - यह प्राण कहां से उत्पन्न होता है और शरीर में किस प्रकार आता है उत्तर में कहा गया है कि आत्मा से प्राण की उत्पत्ति होती है और फिर पांच प्राणों के कार्य स्थान आदि का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है ।
चतुर्थ प्रश्न - कौन सोता है ,कौन जागता है , किसे सुख होता है , इन्द्रियाँ मन प्राण आदि किसमें प्रतिष्ठित हैं । आदि प्रश्न हैं और बहुत विस्तार पूर्वक इसका उत्तर दिया गया कि सोने के समय सभी इन्द्रियां सिमट कर एक हो जाती हैं और इसी कारण सोते समय पुरुष न सुनता है , न देखता है , न सूंघता है न चखता है , न छूता है न बोलता है , न पकड़ता है , न चलता है ऐसी अवस्था में हम कहते हैं कि वह (पुरुष )सो रहा है और वही जागता है । आत्मा को ही सुख होता है और इन्द्रियां मन प्राण आदि आत्मा में ही प्रतिष्ठित हैं ।
पांचवां प्रश्न - जीवन भर ओंकार का ध्यान करने पर व्यक्ति किस लोक को प्राप्त होता है जिसका विस्तृत उत्तर देते हुए अंत में मोक्ष लोक को या परम ब्रह्म को प्राप्त होना बतलाया गया है ।
छठवां प्रश्न सोलह कला वाला पुरुष कहां रहता है , कौन है और उसकी सोलह कलाएं कौन कौन सी हैं इनका विस्तार पूर्वक उत्तर देते हुए बताया गया है कि सोलह कला वाला पुरुष ब्रह्म है और वह हमारे अंदर निवास करता है ।
स्वामी शान्तानन्द सरस्वती
samelan, marriage buero for all hindu cast, love marigge , intercast marriage , arranged marriagerajistertion call-9977987777, 9977957777, 9977967777aryasamaj marriage rules,leagal marriage services in aryasamaj mandir indore ,advantages arranging marriage with aryasamaj procedure ,aryasamaj mandir

https://youtu.be/1FdbPD4uX0M

Popular posts from this blog

ब्रह्मचर्य और दिनचर्या

वैदिक धर्म की विशेषताएं 

अंधविश्वास : किसी भी जीव की हत्या करना पाप है, किन्तु मक्खी, मच्छर, कीड़े मकोड़े को मारने में कोई पाप नही होता ।