aaj ka mantra
अनुवाद महात्मा ज्ञानेन्द्र अवाना जी द्वारा, प्रचारित आर्य जितेंद्र भाटिया द्वारा, ऑडियो रिकॉर्डिंग सुकांत आर्य द्वारा
द्वादश द्यून्यदगोह्यस्यातिथ्ये रणन्नृभवः ससन्तः।सुक्षेत्राकृण्वन्ननयन्त सिन्धून्धन्वातिष्ठन्नोषधीर्निम्नमापः॥ ऋग्वेद ४-३३-७॥
सूर्य से बारह मासों का निर्माण होता है। सूर्य से जलों का निर्माण होता है। जो नदियों में बह कर खाद्यान्न और समृद्धि प्रदान करते हैं। उसी प्रकार विद्वानजन जो अज्ञानी अंधकार में सो रहे हैं उन्हें जगाएं और उत्तम शिक्षा प्रदान करके समाज की समृद्धि में उन्हें लगाएं।
Twelve months are formed by the Sun. Water is created by the sun, which flows in the rivers and provides food and prosperity to people. Similarly, scholars should awaken the ignorant people who are sleeping in darkness and provide them with knowledge for the prosperity of the society
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