ज़वानी का नशा, सत्ता का नशा


यूं तो नशा कई प्रकार का होता है जैसे ज़वानी का नशा, सत्ता का नशा, सौन्दर्य का नशा, रूपये पैसे और धन सम्पदा का नशा लेकिन हम यहाँ पर उस नशे की चर्चा करेंगे जो आजकल बॉलीवुड के फिल्मी सितारों के कारण चर्चा में है ,जो मादक द्रव्यों के सेवन से पैदा होता है । बाकि के जो नशे ऊपर बताये गये हैं उनका स्वास्थ्य  से सीधा सम्बन्ध नहीं है ।


   मादक द्रव्यों में सबसे ज्यादा प्रचलित द्रव्य मद्य याने शराब है। मादक पदार्थों में शराब के अलावा तम्बाकू, भांग, गांजा,चरस, अफीम के अलावा हशीश, हेरोइन, स्मैक,,ब्राउन शुगर आदि नामों से पुकारे जाने वाले द्रव्यों के नाम उल्लेखनीय है ।


  अंग्रेजी में एक शब्द है Drug जिसका अर्थ होता है औषधि लेकिन आजकल ड्रग शब्द का प्रयोग मादक द्रव्यों के लिए इतनी ज्यादा मात्रा में किया जा रहा है कि ड्रग शब्द सुनकर दवा का नही  मादक द्रव्यों का ख्याल आता है ।इतना ही नहीं मादक द्रव्यों के सेवन करने वाले को भी ' ड्रग एडिक्ट कहा जाता है ।ड्रग एडिक्ट ( Drug Addict) का अर्थ होता है   - नशे की लत होना।


  यह बात बड़ी हैरानी कि है कि नशा कोई सा भी हो अच्छा नही होता , हानिकारक होता है, शरीर और स्वास्थ्य को नष्ट करता है ।थोड़ी देर का मज़ा और बहुत समय तक कष्ट देता है, नाना प्रकार की व्याधियां उत्पन्न करता है, धीरे-धीरे शरीर को खोखला और जर्जर कर देता है फिर भी मादक पदार्थों के सेवन करने वालों की संख्या बढती ही जा रही है । 


   पहली बात तो पक्के तौर पर यह समझ ले की कोई भी व्यक्ति खुद- बखुद अपनी मर्जी से और  अकेला खुद ही किसी भी मादक द्रव्य का का सेवन करना शुरू नही करता। इसके लिए किसी दुसरे का सहयोग, मार्गदर्शन, निर्देशन या प्रोत्साहन मिलना जरूरी है। बुरी संगति में रहें बिना बूरी आदतें सीखी नही जा सकती ।


 इसलिए नीति में कुछ बुरे कामों को निषिद्ध करते हुए कहा गया है  -- हमारे पतन में मुख्य कारण कुसंगति का होता है। इसलिए हमें कुसंगति से बचकर रहना चाहिए ।


  १ )  भयानक जंगलों में रहना अच्छा पर दुष्टों के साथ महलों में भी रहना अच्छा नही ।


  २ )  पैदल चल लेना अच्छा पर दुष्ट घोड़े व खटारा गाड़ी पर सवारी करना अच्छा नही ।


  ३ )  वेश्या को पत्नी बना लेना अच्छा पर पत्नी का वेश्या या दुश्चरित्र हो जाना अच्छा नही ।


 ४ )  श्रम पूर्वक ईमानदारी और संतोष के साथ साधारण जीवन जीना अच्छा पर बेईमानी, कुकर्म तर्ष्णा करते हुए ऐश्वर्यपूर्ण जीवन जीना अच्छा नहीं।


  ५ ) दर असल नरक में रह लेना अच्छा पर दुष्ट प्रकृति के दुराचारियों की संगति में रहना किसी भी सूरत में अच्छा नही ।


६ ) नीति के ये सभी वचन कुसंगति की निन्दा करने वाले हैं। इन वचनों के अन्त में हम एक वचन अपनी तरफ से और जोड़ देना चाहते हैं कि एक ही बार में ज़हर खाकर मर जाना अच्छा पर मादक द्रव्यों का सेवन करके जीते जी मुर्दे के समान हो जाना और खुद अपनी ही लाश को घसीटते रहना अच्छा नही ।


   दिन पर दिन वातावरण बिगड़ता ही जा रहा है,  विशेषकर बॉलीवुड एवं स्कूल और कालेज के छात्र- छात्राओं में मादक द्रव्यों का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है। यह बहुत ही चिन्ता की बात हैं।


 नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ( NCB ) को ड्रग तस्करी के खिलाफ अपनी लड़ाई को बॉलीवुड, मुम्बई,  महाराष्ट्र के अलावा देश के अन्य महानगरों व पंजाब प्रदेश सहित दुसरे राज्यों  में भी जांच एव छापामारी का दायरा बढ़ाना चाहिए, जिससे कि हमारा देश पूर्णतया नशा मुक्त हो सके ।


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