सर्वेभ्यो नमः,    सर्वे भवन्तु सुखिनः।  अद्यतनं दिनम् 

 ओ३म्   
        सर्वेभ्यो नमः,
   सर्वे भवन्तु सुखिनः।


 अद्यतनं दिनम् 


 वार – सोमवार
 नक्षत्र – भरणी
 तिथि – पञ्चमी
 पक्ष – कृष्ण
 चान्द्रमास – भाद्रपद (अमान्त)
 सौरमास – कन्या
 सौरऋतु – शरद
 अयन – दक्षिणायन
 शालिवाहन शके – १९४२
 विक्रम संवत् – २०७७
 कलियुग – ५१२१
 सृष्टि संवत् – १,९६,०८,५३,१२१
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 ईसवी दिन – ०७ सप्टेम्बर २०२०


• क्रान्तिवीर उमाजी नाईक जयन्ती


 


 ||  वेद वाणी  || 


फिर वे सेनाध्यक्ष आदि कैसे हों, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है।


प्र ये शुम्भ॑न्ते॒ जन॑यो॒ न सप्त॑यो॒ याम॑न् रु॒द्रस्य॑ सू॒नवः॑ सु॒दंस॑सः।
रोद॑सी॒ हि म॒रुत॑श्चक्रि॒रे वृ॒धे मद॑न्ति वी॒रा वि॒दथे॑षु॒ घृष्व॑यः॥१॥
– ऋग्वेद १-८५-१॥


शब्दार्थ – (ये) जो (रुद्रस्य) दुष्टों के रुलाने वाले के (सूनवः) पुत्र (सुदंससः) उत्तम कर्म करनेहारे (घृष्वयः) आनन्दयुक्त (वीराः) वीरपुरुष (हि) निश्चय (यामन्) मार्ग में जैसे अलङ्कारों से सुशोभित (जनयः) सुशील स्त्रियों के (न) तुल्य और (सप्तयः) अश्व के समान शीघ्र जाने-आनेहारे (मरुतः) वायु (रोदसी) प्रकाश और पृथ्वी के धारण के समान (वृधे) बढने के अर्थ राज्य का धारण करते (विदथेषु) सङ्ग्रामों में विजय को (चक्रिरे) करते हैं, वे (प्र शुम्भन्ते) अच्छे प्रकार शोभायुक्त और (मदन्ति) आनन्द को प्राप्त होते हैं, उनसे तू प्रजा का पालन कर॥१॥


भावार्थ – इस मन्त्र में उपमा और वाचकलुप्तोपमालङ्कार हैं। जैसे अच्छी शिक्षा और विद्या को प्राप्त हुई पतिव्रता स्त्रियाँ अपने पतियों का अथवा स्त्रीव्रत सदा अपनी स्त्रियों ही से प्रसन्न ऋतुगामी पति लोग अपनी स्त्रियों का सेवन करके सुखी और जैसे सुन्दर बलवान् घोडे मार्ग में शीघ्र पहुँचा के आनन्दित करते हैं, वैसे धार्मिक राजपुरुष सब प्रजा को आनन्दित किया करें॥१॥


– ऋग्वेदभाष्यम्
– महर्षि दयानन्द सरस्वती


सङ्कलकः –
आर्य पङ्कजः
रायगड, महाराष्ट्र, आर्यावर्त।
+९१९९२३७३१२४९


 


वैचारिक क्रान्ति के लिए महर्षि दयानन्द सरस्वती द्वारा रचित कालजयी अमर ग्रन्थ "सत्यार्थप्रकाश" अवश्य पढें और पढायें।


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