मनुष्य कई प्रकार के नशों का पान करता है

मनुष्य कई प्रकार के नशों का पान करता है, भंग, शराब, गांजा, अफीम आदि का सेवन करता है उससे मनुष्य को एक प्रकार का नशा प्राप्त होता है जो उसके नाश करने वाला होता है।प्रभु भक्ति भी एक नशा है जिसके सेवन करने से नाश या ह्रास नही अपितु उसका विकास होने लगता है। मानव उन्नति की ओर अग्रसर होने लगता है। भक्ति रूपी सोम रस के पान से क्या मिलता है इसका वर्णन इस प्रकार किया है।


     वह भगवान अमर है, न मरने वाला है।जो उसकी भक्ति करता है वह भी अमर हो जाता है, मृत्यु के भय से रहित हो जाता है, उसे किसी प्रकार का कोई भय भयभीत नही कर सकता ।


       भक्ति रस का पान करके मनुष्य आनन्दमय हो जाता है । वह परमानंद का अनुभव करने लगता है जिसमें दुःख नही, शोक नही, राग नही, द्वेष नही, मस्ती ही मस्ती है न हटने वाली मस्ती है ।


    भक्ति रस का पान करने से मानव के समीप देवों का सतपुरूषो का आगमन होने लगता है।गुणी ज्ञानी लोगों का उसके पास एक ऐसा मेला सा लगा रहता है। जिससे स्वतः उसे सत्संगति प्राप्त होने लगती है।


     भक्त के सभी प्रकार के आन्तरिक तथा  बाहय शत्रु परास्त हो जाते है। काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार आदि आन्तरिक कुप्रवृत्तियाँ और दुष्ट पुरुषों की कुरीतिया उसका कुछ नही बिगाड़ सकती । धुर्त मनुष्यों की धुर्तता भी उसका कुछ नही बिगाड़ सकती । भक्त के मार्ग निष्कण्टक होने लगते है।



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