क्रांतिकारी जतीन्द्रनाथ दास लाहौर जेल में अनशन पर 63वे दिन मृत्यु

क्रांतिकारी जतीन्द्रनाथ दास लाहौर जेल में अनशन पर 63वे दिन मृत्यु"


      जतीन्द्रनाथ दास का जन्म- 27 अक्टूबर, 1904, को कलकत्ता, में एक साधारण बंगाली परिवार में हुआ था। पिता का नाम बंकिम बिहारी दास और माता का नाम सुहासिनी देवी था। जतिन्द्र जब 9 वर्ष के थे तभी इनकी माताजी का देहांत हो गया था। 16 वर्ष की उम्र में 1920 में जतिन्द्र ने मेट्रिक की परीक्षा पास कर ली थी। भारत के प्रसिद्ध क्रान्तिकारियों में से एक थे, जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए जेल में अपने प्राण त्याग दिए और शहादत पाई। इसके पहले भी इन्हें 1925 में 'दक्षिणेश्वर बम कांड' में तथा 'काकोरी कांड' में भी जेल हुई थी। इन्हें 'जतिन दास' के नाम से भी जाना जाता है, जबकि संगी साथी इन्हें प्यार से 'जतिन दा' कहा करते थे। जतीन्द्रनाथ दास 'कांग्रेस सेवादल' में सुभाषचन्द्र बोस के सहायक थे। भगत सिंह से भेंट होने के बाद ये बम बनाने के लिए आगरा आ गये थे। भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल 1929 को जो बम केन्द्रीय असेम्बली में फेंके थे, वे इन्हीं के द्वारा बनाये गए थे। 14 जून 1929 में इन्हें 'केंद्रीय असेम्बली बम कांड' के सिलसिले में जेल हुई। लाहौर जेल में क्रान्तिकारियों के साथ राजबन्दियों के समान व्यवहार न होने के कारण क्रान्तिकारियों ने 13 जुलाई, 1929 से अनशन आरम्भ कर दिया। जतीन्द्रनाथ भी इसमें सम्मिलित हुए। अनशन के 63वें दिन लाहौर जेल में ही 13 सितंबर 1929 को इनका देहान्त हो गया।
     जब जतीन्द्रनाथ अपनी आगे की शिक्षा पूर्ण कर रहे थे, तभी महात्मा गाँधी ने 'असहयोग आन्दोलन' प्रारम्भ किया। जतीन्द्र इस आन्दोलन में कूद पड़े। विदेशी कपड़ों की दुकान पर धरना देते हुए वे गिरफ़्तार कर लिये गए। उन्हें 6 महीने की सज़ा हुई। लेकिन जब चौरी-चौरा की घटना के बाद गाँधीजी ने आन्दोलन वापस ले लिया तो निराश जतीन्द्रनाथ फिर कॉलेज में भर्ती हो गए। कॉलेज का यह प्रवेश जतीन्द्र के जीवन में निर्णायक सिद्ध हुआ।
         आज (13 सितंबर) को उनकी पुण्यतिथि पर हार्दिक शत शत नमन।


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