जिनके बिना मनुष्य जीवन अच्छी प्रकार से नहीं चल पाता

उदारता विश्वास आदि ऐसे गुण हैं,  जिनके बिना मनुष्य जीवन अच्छी प्रकार से नहीं चल पाता।
        एक अच्छा जीवन जीने के लिए यह आवश्यक है, कि व्यक्ति में उदारता का गुण होना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति गरीब कमजोर जरूरतमंद हो, उसे देखकर भी यदि हम उसकी सहायता नहीं करते; या कोई व्यक्ति समाज सेवक परोपकारी दान का पात्र हो, और हम उसे दान नहीं देते, तो हमारे पास ईश्वर की दी हुई जो धन बल ज्ञान विद्या आदि संपत्तियाँ हैं, वे सब व्यर्थ हैं। उनका क्या लाभ? आवश्यकता से अधिक संपत्तियाँ  होती ही इसीलिए हैं, कि हम उनसे दूसरों की सहायता करें।
      ईश्वर ने हमें स्वार्थी बनकर जीने के लिए संसार में नहीं भेजा है। हमारे पास जो भी धन बल विद्या आदि  संपत्तियाँ हैं, वे हमारी नहीं हैं, ईश्वर की दी हुई हैं। ईश्वर की न्याय व्यवस्था से मिली हैं। 
         वे  संपत्तियाँ ईश्वर ने इसीलिए दी हैं, कि हम उन संपत्तियों से अपना जीवन भी ठीक प्रकार से जिएं। और जो संपत्तियाँ हमारी आवश्यकता से अधिक हमारे पास हैं, उनका दूसरों की सहायता में भी प्रयोग करें, जिससे कि अन्य लोगों का जीवन भी दुख रहित एवं सुख पूर्ण हो सके। इसलिए हमारे जीवन में उदारता आदि उत्तम गुण होने ही चाहिएँ। हां, इतना ध्यान अवश्य रखना चाहिए, कि कोई दुष्ट चालाक व्यक्ति हमारी उदारता का दुरुपयोग न कर लेवे।
        इसी प्रकार सेे सुखमय जीवन के लिए, हममें विश्वास नामक गुण भी होना चाहिए।
 व्यवहार में यदि हम दूसरों पर विश्वास करते हैं, तो हमारा जीवन सुखपूर्ण होगा। उदाहरण के लिए - "कोई व्यक्ति हमें कहता है, कि मैं अमुक समय तक आपका यह कार्य कर दूंगा।" यदि हम उसकी बात पर विश्वास करते हैं, उसे वह कार्य सौंप देते हैं। और वह व्यक्ति हमारा कार्य ठीक समय पर पूरा कर देता है, तो हमारा जीवन अच्छा चलेगा, सुखमय होगा। यदि हम उस पर विश्वास नहीं करते, उसे कार्य नहीं सौंपते, तो हमारा कार्य हो ही नहीं पाएगा, और हम दुखी रहेंगे। और यह बात भी ध्यान में रखनी चाहिए, कि अपने सारे कार्य हम स्वयं कर भी नहीं सकते। क्योंकि  हमारे पास इतना समय शक्ति योग्यता और साधन नहीं हैं। इसलिए दूसरों पर विश्वास तो करना ही होगा। 
       यह अलग बात है, कि कुछ लोग वचन देकर भी उसका पालन नहीं करते। धोखा देते हैं। उनमें से भी कुछ लोग जानबूझकर ऐसा करते हैं, और कुछ लोगों की मजबूरी हो जाती है। उसके कारण वे अपना वचन पूरा नहीं कर पाते। यह तो संसार है। यहां ऐसा तो होता ही रहता है। परंतु यदि हम दो-चार घटनाओं के कारण सभी पर संशय करने लगें, और किसी पर भी विश्वास न करें, तो हमारा जीवन ठीक से नहीं चल पाएगा।
       जब हम सभी पर संशय करेंगे, तो दूसरे सब लोग भी हम पर संशय करेंगे। या तो हमें पागल समझेंगे, या पागल समझकर हमारे कार्य नहीं करेंगे। तब हमारा जीवन जीना मुश्किल हो जाएगा।  
        इसलिए एक अच्छा सुखदायक जीवन जीने के लिए, दूसरों पर विश्वास रखना भी आवश्यक है। यहां भी हमें इतनी सावधानी तो रखनी ही होगी, कि कोई हमें मूर्ख न बना जाए। क्योंकि विद्वानों ने कहा है, *"सावधानी हटी और दुर्घटना घटी।"
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