अग्निवेश नामक एक वामपंथी आर्यसमाज जॉइन करता है

अग्निवेश नामक एक वामपंथी आर्यसमाज जॉइन करता है और देखते ही देखते आर्य प्रतिनिधि सभा में फूट डालकर एक गुट पर कब्जा करता है।


वह सामाजिक कार्यकर्ता होने का दिखावा करते हुए जगह जगह हिन्दू धर्म पर चोट करने के व्याख्यान देता फिरता है।


अग्निवेश एक एनजीओ स्थापित करता है बचपन बचाओ।


कैलाश सत्यार्थी भी इसी प्रकार के दो-तीन एनजीओ बनाता हैं। कुछ पुस्तकें लिखता है।


फिर ये दोनों अलग अलग समय विदेशी देशी पुरस्कारों से पुरस्कृत होते हैं।


फिर चीन इन दोनों दलालों को करोड़ों रुपए देता है।


चीन भारत में कालीन यानी कारपेट बेचना चाह रहा था!


लेकिन पूर्वी उत्तर प्रदेश के भदोही जो अपने कालीन उद्योग के लिए पूरे विश्व में प्रख्यात था और भदोही के कालीन बेहद अच्छे और सस्ते होते थे इसलिए चीन अपने कालीन यानी कारपेट को भारत में नहीं बेच पा रहा था ।


भदोही में एक दो नहीं बल्कि हजारों कालीन की यूनिट थी जो अपने कालीन को विदेशों में एक्सपोर्ट करती थी। एक जमाने में भदोही ने ईरान के कालीन इंडस्ट्रीज को भी टक्कर दिया!


फिर चीन के ये दलाल कैलाश सत्यार्थी और अग्निवेश एक फर्जी फिल्म बनाते हैं, जिसमें यह दिखाया जाता है कि छोटे-छोटे बच्चों को जबरदस्ती पकड़कर भदोही लाया जाता है और उन्हें बधुआ मजदूर बनाकर उनसे दिन-रात कालीन बनवाया जाता है।


उन्होंने अपने दावे में एक फर्जी तर्क यह लगा दिया कि छोटे बच्चों की उंगलियां पतली होती हैं इसलिए धागों के बीच में आसानी से चली जाती है और गांठ बांधने में आसानी रहती है और इन्होंने कई ऐसे बच्चों के वीडियो बनाएं जिसमें बच्चों की उंगलियों में खून दिखाने के लिए लाल रंग लगा दिया गया।


उसके बाद इस फिल्म को लेकर कैलाश सत्यार्थी और अग्निवेश अमेरिका यूरोप सहित दुनिया के कई देशों में जाते हैं और वहां बकायदा प्रोजेक्टर पर फिल्म दिखाते हैं कि आप लोग भारत से कालीन मत खरीदिए क्योंकि भारत में बच्चों से कालीन बनाया जाता है, और देखिए बच्चों की हालत कितनी खराब होती है?


और वह फिल्म देख कर तमाम विदेशी कंपनियां जो भारत से कालीन खरीदती थी उन्होंने कालीन खरीदना बंद कर दिया।


फिर जब भदोही का कालीन उद्योग बर्बाद होने लगा तब सरकार ने एक और कोशिश की उन्होंने कालीन को एक ऐसा मार्का (रुगमार्क) देना शुरू किया जो इस बात का प्रमाण करता था कि इसे बच्चों ने नहीं बनाया है जैसे डायमंड के लिए एक सर्टिफिकेट होता है कि यह ब्लड डायमंड नहीं है उसी तरह उन्होंने रुगमार्क नामक एक सर्टिफिकेट बनाया जो इस बात का प्रमाण था कि इस कालीन को बच्चों ने नहीं बनाया है।


लेकिन यह लॉबी इतनी तगडी है कि अग्निवेश और कैलाश सत्यार्थी के लोग कालीन फैक्ट्रियों में जाते हैं, मालिकों को धमकाते हैं, उन्हें ब्लैकमेल करते हैं, फर्जी मुकदमे और इवेंट बनाते हैं। अखबार, मीडिया में ऐसी बहस होती है। बालश्रम और बचपन बचाओ का आर्तनाद होता है।


इस तरह भदोही का कालीन उद्योग पूरी तरह से बर्बाद हो जाता है।


तब इसमें चीन की एंट्री होती है।


आज आप भारत के किसी भी मॉल में जाइए वहां आपको मेड इन चाइना कालीन मिलेगा!!


samelan, marriage buero for all hindu cast, love marigge , intercast marriage , arranged mar


Popular posts from this blog

ब्रह्मचर्य और दिनचर्या

वैदिक धर्म की विशेषताएं 

अंधविश्वास : किसी भी जीव की हत्या करना पाप है, किन्तु मक्खी, मच्छर, कीड़े मकोड़े को मारने में कोई पाप नही होता ।