आत्मा परमात्मा की चर्चाएं करें, बुद्धिमान कहलाएँ, और सुखी जीवन जीएँ

06/09/2020 ओ३म् 
नमस्ते जी 


     * आत्मा परमात्मा की चर्चाएं करें, बुद्धिमान कहलाएँ, और सुखी जीवन जीएँ।*
     सारा दिन तो कोई चुप नहीं रहता, और रह भी नहीं सकता। क्योंकि  लोगों में इतना संयम नहीं होता कि वे सारा दिन चुप रहें, मौन रहें। इसलिए कुछ न कुछ बातचीत तो वे करते ही हैं। सब लोग करते हैं। कैसी बातें करते हैं ? जैसी जिसकी योग्यता बुद्धि रुचि होती है, उस प्रकार की बातें करते हैं।
       दो व्यापारी साथ में बैठेंगे, तो प्रायः व्यापार की बात करेंगे। दो राजनीतिक व्यक्ति साथ में बैठेंगे, तो प्रायः राजनीति पर चर्चा करेंगे। और दो कम बुद्धि वाले लोग साथ में बैठेंगे, तो दूसरों की निंदा चुगली करेंगे। 
       परंतु दो बुद्धिमान वैराग्यवान उच्च स्तर के दार्शनिक आध्यात्मिक व्यक्ति यदि साथ में बैठेंगे, तो वे आत्मा परमात्मा की बातें करेंगे। 
       सांसारिक घटनाओं पर चर्चा करते करते सारा जीवन बीत गया। बातें करने से कोई विशेष परिणाम नहीं आया। कुछ लोगों ने विशेष पुरुषार्थ किया और देश की स्थिति को सुधारा। बातें करने वालों ने कुछ नहीं किया। सिर्फ बातें ही की। अपना तथा दूसरों का समय नष्ट किया। परिणाम शून्य रहा। 
और कम बुद्धि वालों ने तो दूसरों की निंदा चुगली करके अपना समय भी नष्ट किया, लोगों में झगड़े उत्पन्न करवाए, और पाप भी कमाया।
       परंतु बुद्धिमान लोगों ने आत्मा परमात्मा की चर्चा की। ईश्वर में अपनी और दूसरों की रुचि बढ़ाई। नास्तिकता को दूर किया। वैराग्य और मोक्ष की तरफ आगे बढ़े। दूसरों को सुख दिया। सच्ची वेदविद्या का प्रचार किया। अमूल्य जीवन का पूरा लाभ उठाया।
     अब आप विचार कर लीजिए। तीनों प्रकार के लोगों में कौन सबसे अधिक लाभ में रहा। जो सबसे अधिक लाभ में रहा, वही विशेष बुद्धिमान है। सब लोगों को विशेष बुद्धिमान बनने का प्रयत्न करना चाहिए और अपने जीवन को सफल बनाना चाहिए।
 - स्वामी विवेकानंद परिव्राजक


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