आज का वैदिक भजन
आज का वैदिक भजन
ओ३म् अच्छा॑ च त्वै॒ना नम॑सा॒ वदा॑मसि॒ किं मुहु॑श्चि॒द्वि दी॑धयः ।
सन्ति॒ कामा॑सो हरिवो द॒दिष्ट्वं स्मो व॒यं सन्ति॑ नो॒ धिय॑: ॥
ऋग्वेद 8/21/6
जग में तुझसा कोई ना
कर जोड़ आये तेरी शरण प्रभु
कर तू दया दु:ख के हर्ता, दु:ख हर्ता
हाथ मेरे खाली, क्या बोले वाणी
मुझको अपना लो,
अबन्धुओं के बन्धु प्रभु
तुझको सदा ही नमन करूँ
अहङ्कार तज सीख बाँध ली
लक्ष्य मिला तुझसे दाता, तुझसे दाता
जग में तुझसा कोई ना
सबके अन्तःकरण की सुने
ज्ञान दान से झोली भरे
तेरी कृपा है बड़ी पावनी
कामना सबकी तू ही जाने
कभी मित्रता तोड़े ना, तोड़े ना
जग में तुझसा कोई ना
कर जोड़ आये तेरी शरण प्रभु
कर तू दया दु:ख के हर्ता, दु:ख हर्ता
जग में तुझसा कोई ना
कई जन्मों की ये पुण्याई
पल छिन तूने कृपा दिखलाई
निज कर्मों के फल को मानूँ
कभी अनिष्ट ना किया प्रभु जी
हमें भी ये प्रण दे दो ना, दे दो ना
जग में तुझसा कोई ना
कर जोड़ आये तेरी शरण प्रभु
कर तू दया दु:ख के हर्ता, दु:ख हर्ता
जग में तुझसा कोई ना
कभी छोड़ूँ ना तेरा दामन
तेरी शरण में मेरा पालन
घन सम दया दृष्टि बरसा दे
या तो सीख तुम्हीं से लेंगे
या प्राणों से प्रीति ना, प्रीति ना
जग में तुझसा कोई ना
कर जोड़ आये तेरी शरण प्रभु
कर तू दया दु:ख के हर्ता, दु:ख हर्ता
जग में तुझसा कोई ना
रचनाकार व स्वर :- पूज्य श्री ललित मोहन सहानी जी – मुम्बई
शीर्षक :- तू कामनाओं का दाता है
तर्ज :- कृष्णा मिळाली कोयनेला (मराठी गीत/भजन)
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