aaj ka mantra

दातृत्वं प्रियवक्तृत्वं धीरत्वमुचितज्ञता। 
अभ्यासेन न लभ्यन्ते चत्वारः सहजा गुणाः॥
भावार्थ :-
      दान देने की आदत, प्रिय बोलना, धीरज तथा उचित ज्ञान - ये चार व्यक्ति के सहज गुण हैं ; जो अभ्यास से नहीं आते।[चाणक्यनीति]
"हुतं च दतं च तथैव तिष्ठति"- कर्णभारम्


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