दिव्य दयानंद
दिव्य दयानंद
दुनिया में होंगे अनेक महात्मा पर दयानंद सा दयालु न देखा।
जैसा नाम वैसे गुण ऐसा दयानंद में देखा।
सत्यार्थ प्रकाश का सार सब जीवों से करें प्यार ।
यही वेदों का सार यही मानवता साकार ।
महर्षि ने सब जीवों मनुष्य पशु पक्षियों को ईश्वर के पुत्र वत माना।
कपोत पक्षी को मारते दुष्टों को दिया ताना।
इसे मत मारो अरे कितनी देर यह तड़पता होगा
इसको भी दर्द तुम्हारे जैसा होगा ।
इसकी जगह अपने को देखो तभी तुम्हे महसूस होगा।
क्या पिता एक संतान को मार दूसरे को खिलाता ।
उसके लिए सभी बराबर परमात्मा तो है सबका पिता।
वाम मार्गी कह रहे स्वामी दयानंद ने यजुर्वेद भाष्य में क्या कहा।
नील गाय को मारो जो खेतो में हानि करता
पर इसका मतलब मूर्खो समझो।
यहां नील गाय के प्राण हरने को नहीं कहा ताड़ना को ही कहा है मारना
खेत में नील गाय घुसें तो डरा कर भगा दो न कि प्राणों को लेलो।
कहे नरेन्द्र भारद्वाज मैं तो सभी महापुरुषो की अच्छी बातें मानता हूं
जो अच्छी लगें ,उसे जानता
जो बुरी लगे उसे नहीं मानता ।
पूर्णगुरु तो है परमात्मा
कुछ न कुछ कमी इंसानो में होती तभी तो हैं आत्मा ।
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