चालाकी बेईमानी धोखाधड़ी आपको  दुख देगी। ईमानदारी तथा सभ्यता से जिएँ, सुखी रहेंगे।

 



 


 


 


चालाकी बेईमानी धोखाधड़ी आपको  दुख देगी। ईमानदारी तथा सभ्यता से जिएँ, सुखी रहेंगे।
        सुख प्राप्त करना तो सभी चाहते हैं। परंतु काम करते हैं उल्टे। अर्थात् दुख प्राप्त करने वाले। उदाहरण के लिए - बचपन से बच्चों को यह सिखाया जाता है, कि पढ़ाई में खूब मेहनत करो, विद्वान बनो, ऊँची डिग्री प्राप्त करो, ऊंचा पद प्रतिष्ठा सम्मान प्राप्त करो, चालाकी से काम करो, अवसरवादी बनो, जब मौका लगे तभी अपना स्वार्थ सिद्ध करो, इत्यादि, इससे आप सुखी रहेंगे।
       बच्चों को बचपन से जो कुछ यह सिखाया जा रहा है, इसमें कुछ बातें तो अच्छी हैं। परंतु कुछ बातें अच्छी नहीं हैं। 
और कुछ बातें तो छूट ही गई हैं। 
       पढ़ाई में खूब मेहनत करो, विद्वान बनो, ऊँची डिग्री प्राप्त करो, ऊंचा पद प्रतिष्ठा सम्मान प्राप्त करो, ये बातें अच्छी हैं।
       चालाकी से काम करो, अवसरवादी बनो, जब मौका लगे तभी अपना स्वार्थ सिद्ध करो, इत्यादि, ये बातें अच्छी नहीं हैं।
       धार्मिक बनो, ईश्वर से प्रतिदिन सद्बुद्धि की प्रार्थना करो, ईश्वर का ध्यान करो, यज्ञ हवन करो, वैदिक ग्रंथों का स्वाध्याय करो, वैदिक सत्संग में जाओ, अपने माता पिता गुरुजनों और वैदिक विद्वानों का सत्कार सम्मान करो इत्यादि, ये बातें तो छूट ही गई, ये तो सिखाई ही नहीं जाती।
        मनुष्यों के संतुलित विकास के लिए माता पिता और गुरुजन अपने बच्चों तथा विद्यार्थियों को ठीक प्रकार से प्रशिक्षण देवें। तभी मानव समाज की सुरक्षा हो पाएगी और संसार में सुख बढ़ेगा।
      बच्चों को बचपन से ऊपर लिखी अच्छी बातें सिखाएं। बुराइयों से बचाएं। और जो काम छूट गए हैं वे अवश्य सिखाएं।
        स्कूल कॉलेज की डिग्री लेने से अधिक मूल्यवान वे बातें हैं, जो उनको नहीं सिखाई जा रही। वही अधिक सुख देने वाली हैं, और उन्हें एक सच्चा मानव बनाने वाली हैं।
        आज व्यक्ति में जितनी बुद्धिमत्ता बढ़ती जा रही है, जितनी चालाकी बढ़ती जा रही है, उतना ही जीवन तनावयुक्त कठिन और दुखमय होता जा रहा है। जीवन कुम्हलाता जा रहा है। आज का व्यक्ति जीवन की समस्याओं से इतना परेशान हो जाता है, जिसके परिणाम स्वरूप उसके मन में दो विचार आते हैं। या तो वह आत्महत्या करना चाहता है, या फिर हत्यारा बनना चाहता है।
      पिछले दिनों अनेक पठित एवं संपन्न लोगों ने आत्महत्या की, यह बात आप जानते हैं। यदा कदा आत्महत्या की घटनाएं होती ही रहती हैं। और दुनिया भर में आतंकवाद भी फैेला हुआ ही है। लोग एक दूसरे को मारने को तैयार बैठे हैं। चीन ने कोरोना फैलाया, यह इस बात का ज्वलंत प्रमाण है। यह सब दुष्परिणाम इसीलिए है कि व्यक्ति अधूरी पढ़ाई कर के जितना झूठा बेईमान चालाक धोखेबाज होता जा रहा है उतना ही उसका जीवन पतित होता जा रहा है। 
       तो अपने जीवन को ऊंचा उठाएं। उत्तम गुणों को धारण करें। ऊपर लिखे जो अच्छे गुण प्रशिक्षण में छूट गए हैं , उनका प्रशिक्षण देकर मनुष्य को  संतुलित रूप से विकसित करें । बच्चों को भी ये सब बातें सिखाएं। जिससे मानव जीवन की सुरक्षा बने और आने वाली पीढियां आपको अपशब्द न कहें, = (गालियां न दें)।
- स्वामी विवेकानंद परिव्राजक 






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