आज का चिन्तन

 



 


 


 


 


आज का चिन्तन


जिस प्रकार फूलों के पौधे लगाने पर खुशबु और सौंदर्य अपने आप मिल जाता है, फलदार पेड़ लगाने से फल और छाया अपने आप मिल जाती है। उसी प्रकार भलाई करने से मंगल आशीष एवं पुण्य अपने आप प्राप्त हो जाते हैं।


हमारे द्वारा संपन्न ऐसा कोई शुभ और सद्कार्य नहीं जिसके परिणामस्वरूप प्रकृत्ति द्वारा हमको उचित फल प्राप्त अवश्य होता है। कुँआ खोदा जाता है तो फिर प्यास बुझाने के लिए कोई अतिरिक्त प्रयास नहीं करना पड़ता। क्योंकि कुँए का खोदा जाना ही एक तरह से प्यास बुझाने के लिए पानी की उपलब्धता भी है।


जब - जब हमारे द्वारा किसी की भलाई के लिए निस्वार्थ भाव से कोई कार्य किया जाता है, तब - तब हमारे द्वारा वास्तव में अपनी भलाई की ही आधारशिला रखी जा रही होती है। 


ठीक ऐसे ही जब हमारे द्वारा किसी और की भलाई हो रही होती है तो वास्तव में वो किसी और की नहीं अपितु हमारी स्वयं की भलाई हो रही होती है। आज हम किसी जरूरतमंद के लिए सहायक बनेंगे तो जरूरत पड़ने पर कल हमारी सहायता और सहयोग के लिए भी कई हाथ खड़े होंगे।
             आचार्य श्री 






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