यज्ञ का संदेश - यह मेरा नहीं है

 


 



 


 


नमस्ते जी, आज का वैदिक विचार यज्ञ का संदेश - यह मेरा नहीं है । यज्ञ -अग्निहोत्र-हवन करते समय अनेकों मंत्र में स्वाहा के पश्चात कहा जाता है इदम् न मम। यह मेरा नहीं है क्योंकि जब हम यज्ञ में घी,हवन सामग्री आदि आहूत करके अग्नि में डालते हैं तो वह सुगंधी केवल यजमान के लिए या उसके परिवार के लिए नहीं होती अपितु संसार में जहां तक वह वायु पहुंचेगी सबके लिए वह समान रूप से यह यज्ञ की सुगंधित पहुंच जाती है । इस प्रकार से यह यज्ञ में डाला हुआ पदार्थ है, मेरा नहीं है उसी प्रकार से हमें अपने जीवन में भी यह मेरा नहीं है भाव रहना चाहिए। हमारे जीवन में अहंकार नहीं होना चाहिए। विनम्रता होने चाहिए। अहंकार शून्यता होनी चाहिए ,इस प्रकार का भाव, हमारा जीवन उज्जवल करता है। कहा है- पूजनीय प्रभु हमारे भाव उज्जवल कीजिए ।छल कपट को छोड़ देवें। बंधुओं इस वीडियो में आप सुनेंगे कि हम महापुरुषों के बताए हुए मार्ग पर उनके जीवन से, प्रेरणा लेते हुए हम कैसे अहंकार से अंहकारशून्य - निरभिमानी होते है । आओ आज का विचार सुने, देखें ,समझें और अपने जीवन को स्वस्ति के मार्ग पर चलें । कल्याण के मार्ग पर ले चलें । धन्यवाद आपने अभी तक यदि वैदिक राष्ट्र चैनल सब्क्राइब नही किया तो अवश्य सब्क्राइब कीजिए । घंटी के बटन दबाएं जिससे कि आपको निरंतर ऐसे वैदिक संदेश मिलते रहें । धन्यवाद आचार्य भानुप्रताप वेदालंकार आर्य समाज इंदौर मध्य प्रदेश गुरुकुल इंदौर मध्य प्रदेश 9977987777 9977957777



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