वेद अध्ययन का मुख्य प्रयोजन है - ईश्वर को जानना •

 



 


 


• वेद अध्ययन का मुख्य प्रयोजन है - ईश्वर को जानना •


• Realisation of God is the chief objective of the study of the Vedas •


• Human life is a success if God is realised through Vedas •
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ऋचो अक्षरे परमे व्योमन् यस्मिन् देवा अधि विश्वे निषेदुः।


यस्तन्न वेद किमृचा करिष्यति य इत्तद्विदुस्त इमे समासते॥


— ऋग्वेद : मण्डल 1, सूक्त 164,  मन्त्र 39


• अर्थ : 


[हे लोगो !] 


(यस्मिन्) जिस 


(परमे) सर्वोत्तम 


(व्योमन्) आकाशवत् व्यापक 


(अक्षरे) नाशरहित परमात्मा में 


(ऋचः) ऋग्वेदादि वेद और 


(विश्वे) सब 


(देवाः) पृथिव्यादि लोक और समस्त विद्वान् 


(अधिनिषेदुः) स्थित हुए और होते हैं, 


(यः) जो जन 


(तत्) उस व्यापक परमात्मा को 


(न वेद) नहीं जानता, वह 


(ऋचा) वेदादि शास्त्र पढ़ने से 


(किं करिष्यति) क्या सुख वा लाभ कर लेगा ? अर्थात् विद्या के विना परमेश्वर का ज्ञान कभी नहीं होता। और विद्या पढ़के भी जो परमेश्वर को नहीं जानता और न उसकी आज्ञा में चलता है, वह मनुष्य-शरीर धारण करके निष्फल चला जाता है और 


(ये) जो विद्वान् लोग 


(तत्) उस ब्रह्म को 


(विदुः) जानते हैं। 


(ते इमे इत्) वे ये ही उस परमात्मा में


(समासते) अच्छे प्रकार समाधियोग से स्थिर होते हैं।


[स्रोत : महर्षि दयानंद सरस्वती रचित "संस्कारविधि" ग्रंथ का संन्यास विषयक प्रकरण, प्रस्तुति : भावेश मेरजा]



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