वैदिक का अवैदिक कृत्य

 



 



 


 


वैदिक का अवैदिक कृत्य। लेखक-डॉ सोमदेव शास्त्री-मुंबई श्री वैदिकजी वेदप्रताप वैदिक के अवैदिक कृत्य-अल्लाय नमः,मोहम्मदाय नमःआदि अवैदिक कृत्यों का समर्थन करते हुए दो दो सभाओं के मंत्री विट्ठलराव जी आर्य ने मुँह में दही क्यों जम गया-बात का बतंगड-कौन सा पहाड़ टूट गया आदि शब्दों का प्रयोग कर केअपनी और दोनों सभाओं की तथा इनके साथ कार्यरत सम्माननीय पदाधिकारियों की गरिमा का भी अवमूल्यन किया है? चाहिये तो यह था कि वैदिक जी के विचारों के प्रति अपनी असहमति व्यक्त करते या आगे भविष्य में ऐसी कोई वेद विरुद्ध गतिविधि न हो-सुझाव दिया जाता ,पर श्री आर्य जी यह भी भूल गए कि वे जिस संस्था या पद पर बैठे हैं उस स्थान पर स्वामी श्रद्धानंदजी -महात्मा नारायणस्वामी ,स्वामी अभेदानंद,स्वामी ध्रुवानंद, डॉ दु:खनराम ,पं.गंगाप्रसाद, घनश्याम सिंह गुप्त जैसे महानुभाव प्रतिष्ठित रहे हैं ।जिस सभा ने स्वामी स्वतंत्रानंद जी के नेतृत्व में हैदराबाद जैसी सशक्त रियासत को असत्य और अवैदिक कृत्यों को छोड़ने के लिए बाध्य कर दिया था,आज उस सभा का अपमान करते हुए अल्लाय स्वाहा का समर्थन कर रहे हैं। क्या आप ऋषि दयानन्द के शब्दों को-मनुष्य का आत्मा सत्य को जानने वाला है किन्तु अपने हठ और दुराग्रहों व स्वार्थ और प्रयोजनवश दूसरे के सत्य को असत्य और अपने असत्य को सत्य सिद्ध करने में लगा रहता है-यह चरितार्थ कर रहे हैं। यज्ञ की विधि और प्रक्रिया है-यज्ञ में घी और सामग्री डालने से वातावरण शुद्ध होता है तो क्या पूरा डिब्बा घी तथा 100 किलो सामग्री एक साथ डालने से वातावरण अधिक शुद्ध हो जायेगा? शास्त्र की तो यही आज्ञा है कि दो आहुति (स्वाहा) देने के बीच में वेदमंत्र बोला जाए,जिससे पहले दी गई आहुति अग्नि का हिस्सा (भस्म)हो जाती है,तब दूसरी आहुति दी जाती है। मुसलमान, ईसाई आदि को यज्ञ कराने के स्थान पर प्रत्येक आर्य को अपने घर में यज्ञ करना चाहिए। यज्ञ किए बिना ही जो आर्य भोजन करता है, वह अन्न नहीं पाप खाता है (भुञ्जते ते त्वद्यं पापा:-व्यास) यह प्रेरणा वैदिक जी देते जो वैदिक के अनुरूप है। क्या कोई मुसलमान व ईसाई अपने घरों में वेद व गीता पढ़ने या यज्ञादि करने का साहस कर सकेगा? मुल्ला मौलवी ऐसा करने देंगे? आप या वैदिक जी इस विषय में आश्वस्त हैं तो उनके नामों का उल्लेख करने की कृपा करें। अन्यथा सस्ती लोकप्रियता को छोड़ कर प्रत्येक आर्य को पंचमहायज्ञ ,सोलह संस्कार, वर्णाश्रम-व्यवस्था का पालन करने तथा अंधविश्वास पाखंड को छोड़कर वैदिक मान्यताओं को अपनाने की प्रेरणा दीजिए। ध्यान रहे-- महर्षि दयानन्द सरस्वती ने कभी असत्य को स्वीकार नहीं किया, सत्य को प्रकट करने के लिए विषपान भी किया और हमें आदेश दिया कि सत्य को ग्रहण करने और असत्य को छोड़ने में सदा तत्पर रहना चाहिए। 


#डॉ_वेदप्रताप_वैदिक_के #अवैदिक_मार्ग के समर्थक प्रो•#विठ्ठलराव_आर्य को प्रत्युत्तर #डॉ_सोमदेव_शास्त्री#मुम्बई नमस्ते जी, #डॉ वेद_प्रताप_वैदिक के द्वारा अल्लाहाय नमः, मोहम्मदाय नमः माता मरियमाय नमः इत्यादि शब्दों के द्वारा हवन करने के लिए जो वीडियो वायरल हुआ था उसके प्रत्युत्तर में वैदिक विद्वान #डॉ_सोमदेव_शास्त्री मुंबई के द्वारा एक वैदिक समाधान युक्त प्रत्युत्तर दिया गया था । डा वेदप्रताप वैदिक के वीडियो को विरोध ना करते हुए उसके समर्थन में सभा मंत्री #प्रोफेसर_विठ्ठलराव_आर्य ने #डॉ_वेदप्रताप_वैदिक के अवैदिक मार्ग का समर्थन किया , डॉ सोमदेव शास्त्री मुंबई ने सीधे प्रोफेसर विठ्ठलराव आर्य को यह जो पत्र लिखा है ,वह इस वीडियो में सुन सकते हैं , देख सकते हैं। आप अपनी प्रतिक्रिया अवश्य देवें । जो व्यक्ति अवैदिक कार्य करता है ,सिद्धांत विरोधी,गलत कार्य करता है उसके समर्थक भी अवैदिक माने जाएंगे। जो भी व्यक्ति वेद प्रताप वैदिक जैसे अवैदिक का समर्थक है वह निश्चित रूप से वह भी अवैदिक मार्ग का अनुसरण करता है . । ऐसा हमने देखा है कि बहुत सारे लोग मौन रह जाते हैं विरोध नहीं करते हैं जो मौन रहते हैं वह भी कहीं ना कहीं गलत बातों का समर्थन कर रहे हैं । इसलिए आओ हम इस वीडियो को देखें _समझें और अपनी प्रतिक्रियाएं हमें अवश्य देवें । आप पहले क्राफ्ट यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें। अपने विचारों को हमारे साथ साझा करें। धन्यवाद। आचार्य भानुप्रताप वेदालंकार इंदौर मध्य प्रदेश आर्य समाज इंदौर मध्य प्रदेश। 9977987777 9977957777


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