ज्ञानमयी अमृतवाणी 

 



 


 


 


 


  ज्ञानमयी अमृतवाणी 
 


       🌷 असफलता से निराश नही होना चाहिए, बल्कि इसे एक चुनौती की तरह स्वीकार करके दुगुने उत्साह से फिर प्रयत्न करना चाहिए। सफलता और असफलता एक ही सिक्के के दो पहलू है। जो उठता है वही तो गिरता है  " गिरते है सह सवार ही मदाने जग में "।जीवन में उतार - चढ़ाव तो आते ही रहते है इनसे परेशान नही होना चाहिए ।


    जीवन में विपत्तियों, बाधाओं और असफलताओं से घबराना और निराश होना उचित नही क्योंकि इससे हमारी क्षमता और योग्यता की परिक्षा होती है। जैसे कसौटी पर कसने , घिसने , काटने और आग में तपा कर हथौड़ी से कूटने पर सोने की परिक्षा होती है ।वैसे ही संघर्ष , पराक्रम , धैर्य , साहस और शील - चरित्र से हमारी परीक्षा होती है ।


           बहुत परिश्रम और कम खुराक,  बहुत काम करना और कम विश्राम, बहुत चिन्ता करना और कम निन्द्रा , बहुत आहार करना और कमजोर पाचन शक्ति , बहुत खर्च करना और कम आय , बहुत भोग विलास करना और कमजोर शरीर - ये सब दुखद संयोग है अर्थात् ऐसी स्थिति दुख देने वाली होती है ।


     संसार का कोई भी पदार्थ बुरा और व्यर्थ नही है बल्कि उस पदार्थ का उपयोग ही उसे अच्छा या बुरा बनाता है। युक्ति और मात्रापूर्वक उचित हेतु के लिए ज़हर का उपयोग करने पर ज़हर भी औषधि का काम करता है और यदि भोजन ही युक्ति, मात्रा और हेतु के विरूद्व किया जाये तो विष हो जाता है ।




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