आचार्या विमलेश बंसल आर्या

 



 


संसार से मिली सभी चीजें साधन हैं उस साध्य से मिलने के लिए हम साधकों को।
साधनों का प्रयोग यदि ठीक दिशा में होता है तो अभिनंदन होता है यदि गलत दिशा में तो  क्रंदन होता है।
बात है भी ठीक
संसार को यदि साध्य मानोगे तो बन्धन होगा,
संसार को यदि साधन मानोगे तो वंदन होगा।
संसार से जकड़ना चाहते हो तो साधनों को साध्य मान  पकड़े रहो,
कुछ हासिल नहीं होगा।
क्योंकि संसार सरक रहा है साधन आज हैं कल नहीं होंगे, यदि समय रहते इनका सदुपयोग कर लिया जाए तो साधन द्वारा साध्य ईश्वर तक भी पहुंचा जा सकता है। यदि दुरुपयोग किया तो ध्यान रखना, यही साधन जो ऊपर ले जाने की क्षमता रखते हैं वे नीचे भी ले जाने का अद्भुत सामर्थ्य रखते हैं देखना हमें है इन साधनों से ऊपर की ओर बढ़ा जाए या नीचे की ओर गिरा जाए। ये साधन तो सीढ़ी हैं ऊपर जाओ या नीचे।
इसलिये परमात्मा ने यह इस तरह दोराहे वाला संसार रच दिया, आपकी स्वतंत्रता से आप लाभ उठाना चाहते हो या हानि, देखना आपने है क्या ठीक क्या ठीक नहीं बन्धन या वंदन 



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