यज्ञ ही है सभी प्राणियों का आधार व आत्मा।
वस्तुतः यज्ञ ही है सभी प्राणियों का आधार व आत्मा।
जो करे समस्त रोगों विषाणुओं का खात्मा।।
एक सम्पूर्ण औषधालय और चिकित्सालय (अग्निहोत्र-यज्ञ)
यज्ञ से जुड़ने, यज्ञ में रुचि बढाने हेतु यज्ञ में प्रस्तुत मंत्रों का अर्थ समझना अतिआवश्यक है
एक दम सरल भावार्थ
मन में ऐसा भाव बना कर करें यज्ञ
दीप प्रज्ज्वलन🔥
ॐ भूर्भुवः स्वः।
प्राणों के आधार जीवनाधार,
प्राणप्रिय दुःख निवारो।
सुख स्वरूप सुखों के दाता,
सब लोकों में सुख विस्तारो।।
तत्पश्चात् देवयज्ञ- अग्निहोत्र हेतु-
यज्ञ कुंड में अग्नि स्थापित करने का मन्त्र--
ॐ भूर्भुवः स्वः द्यौ: इव भूम्ना पृथिवी इव वरिम्णा---
सविनय गद्य पद्य मन्त्र भावार्थ
हे सर्वश्रेष्ठ, सर्वोत्कृष्ट, सर्वोपरि, सर्वशक्तिमान, सर्वसामर्थ्यवान, सर्वज्ञ,सर्वव्यापक महिमावन्त अज,अनंत, अनादि, अथाह विशाल परमेश्वर!
मुझे अपनी दोनों दिव्यशक्ति-पृथ्वी के समान श्रेष्ठ विस्तारक और वृहद द्युलोक के समान विशाल और महान बना दीजिये।
इस हेतु से मैं यह तव पृष्ठ भूमि -देवयज्ञ भूमि पर तव अग्नि का आधान करता हूँ,
जिससे हम सब प्राणियों को उत्तम अन्न रस आदि की प्राप्ति हो और उत्तम भोग का सामर्थ्य भी प्राप्त हो। ऐसी आपसे विनम्र प्रार्थना है स्वीकार करिये, स्वीकार करिये।
पद्यार्थ
पृथ्वी सम होऊँ श्रेष्ठ गुणों में,
द्यु सम होऊँ विशाल महान।
करो कृपा हे मेरे भगवन,
कहलाऊँ तेरी संतान।
इसीलिए तव पृष्ठ भूमि पर,
करता हूँ अग्नि आधान।
मिले भोग सामर्थ्य,अन्न और,
महकें सभी खेत खलिहान।
जिससे सब प्राणियों को सुख हो,
चाहत पूरी कर देना।
कभी दूर न तुमसे होऊँ,
विमल विनय यह सुन लेना।।
sarvjatiy parichay samelan,marigge buero for all hindu cast,love marigge ,intercast marigge
rajistertion call-9977987777,9977957777,9977967777or rajisterd free aryavivha.com/aryavivha app