वेद का अर्थ ज्ञान
वेद का अर्थ ज्ञान
1 -"तृष्टासि तृष्टिका विषा विषातक्यसि "
(अथर्ववेद ७.११३.२)
तृष्णा लोभमयी, विषरूपी और विषैली है।
2- " निरुन्धानो अमतिम् "
(अथर्ववेद २०.२१.४)
ज्ञान का तेज़ कुमति को दूर करता है ।
3- "मनसा मोदमानाः " (यजुर्वेद २७.४६)
तुम मन से प्रसन्न रहों
4--"दूष्या दूषिरसि हेत्या हेतिरसि "
(अथर्ववेद २.११.१)
आत्मिक बल दोषों का नाशक
और शस्त्रों का शस्त्र हैं
5 -"तमो मोपगा:"
(अथर्ववेद ८.२.१)
हताश मत हो
6-"मन्योर्मनसः शरव्या जायते"
(अथर्ववेद १०.५.४८)
क्रोध से मन को क्षति पहुँचती हैं
7-"नीहारेण प्रावृता जल्प्या:"
(यजुर्वेद १७.३१)
अज्ञान से घिरा हुआ है मनुष्य गप्पी होता है ।
परमात्मा की वाणी वेद को जाने और अपने मानव जीवन को सार्थक बनाये l
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