वैदिक साहित्य परिचय

साभार -धर्म शिक्षा 


लेखक= जगदीश्वरा नन्द सरस्वती 


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वेद-वेद हमारे धर्मग्रन्थ हैं। वेद संसार पस्तकालय में सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं। वेद का सष्टि के आदि में परमात्मा ने अग्नि, वायु , आदित्य और अङ्गिरा-इन चार ऋषियों को एक साथ लिया था। वेद मानवमात्र के लिए हैं


वेद चार हैं


।ऋग्वेद-इसमें तिनके से लेकर ब्रह्म-पर्यन्त सब पदार्थों का ज्ञान दिया हुआ है। इसमें १०,५२२ मन्त्र हैं।


यजुर्वेद-इसमें कर्मकाण्ड है। इसमें अनेक प्रकार के यज्ञों का वर्णन है। इसमें १,९७५ मन्त्र हैं


सामवेद-यह उपासना का वेद है। इसमें १,८७५ मन्त्र हैं। __


 अथर्ववेद-इसमें मुख्यतः विज्ञान-परक मन्त्र । इसमें ५,९७७ मन्त्र हैं।


उपवेद-चारों वेदों के चार उपवेद हैं। यथाआयुर्वेद, धनुर्वेद, गान्धर्ववेद और अर्थवेद


उपनिषद्-अब तक प्रकाशित होनेवाले  उपनिषदों की कुल संख्या २२३ हे परन्तु प्रामाणिक उपनिषद् ११ ही हैं। इनके नाम हैं-ईश, केन, कठ, प्रश्न, मुण्डक, माण्डूक्य, तैत्तिरीय, ऐतरेय, छान्दोग्य, बृहदारण्यक और श्वेताश्वतर।


ब्राह्मणग्रन्थ-इनमें वेदों की व्याख्या है। चारों वेदों के प्रमुख ब्राह्मणग्रन्थ ये हैंऐतरेय, शतपथ, ताण्ड्य और गोपथ।


दर्शन-आस्तिक दर्शन छह हैं-न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, पूर्वमीमांसा और वेदान्त


 स्मृतियाँ-स्मृतियों की संख्या ६५ है, परन्तु प्रक्षिप्त श्लोकों को छोड़कर मनुस्मृति ही सबसे अधिक प्रामाणिक है। इनके अतिरिक्त आरण्यक इनके अतिरिक्त आरण्यक, धर्मसूत्र, गृहास्त्र, अर्थशास्त्र, विमानशास्त्र आदि अनेक ग्रन्थ हैंग्रन्थ हैं।


रामायण और महाभारत-ये दो हमारे एतिहासिक ग्रन्थ हैं। रामायण में मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम की गौरव-गाथा है और महाभारत में योगिराज श्रीकृष्ण तथा कौरव-पाण्डवों का इतिहास है।


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