सत्यार्थ प्रकाश
एक शेरनी गर्भवती थी, गर्भ पूरा हो चुका था, शिकारियों से भागने के लिए टीले पर गयी, उसको एक टीले पर बच्चा हो गया। शेरनी छलांग लगाकर एक टीले से दूसरे टीले पर तो पहुंच गई लेकिन बच्चा नीचे फिसल गया……नीचे भेड़ों की एक कतार गुजरती थी, वह बच्चा उस झुंड में पहुंच गया। था तो शेर का बच्चा लेकिन फिर भी भेड़ों को दया आ गई और उसे अपने झुंड में मिला लिया….. भेड़ों ने उसे दूध पिलाया, पाला पोसा।
शेर अब जवान हो गया. शेर का बच्चा था तो शरीर से सिंह ही हुआ लेकिन भेड़ों के साथरहकर वह खुद को भेड़ मानकर ही जीने लगा। एक दिन उसके झुंड पर एक शेर ने धावा बोला. उसको देखकर भेड़ें भांगने लगीं, शेर की नजर भेड़ों के बीच चलते शेर पर पड़ी, दोनों एक दूसरे को आश्चर्य से देखते रहे……
सारी भेंड़े भाग गईं शेर अकेला रह गया, दूसरे शेर ने इस शेर को पकड़ लिया। यह शेर होकर भी रोने लगा, मिमियाया, गिड़गिड़ाया कि छोड़ दो मुझे.... मुझे जाने दो... मेरे सब संगी साथी जा रहे हैं.... मेरे परिवार से मुझे अलग न करो…..
दूसरे शेर ने फटकारा- "अरे मूर्ख! ये तेरे संगी साथी नहीं हैं, तेरा दिमाग फिर गया है, तू पागल हो गया है। परन्तु वह नहीं माना, वह तो स्वयं को भेंड मानकर भेलचाल में चलता था"।
बड़ा शेर उसे घसीटता गया सरोवर के किनारे ले गया। दोनों ने सरोवर में झांका। बूढ़ा सिंह बोला- सरोवर के पानी में अपना चेहरा देख और पहचान... उसने देखा तो पाया कि जिससे जीवन की भीख मांग रहा है वह तो उसके ही जैसा है। उसे बोध हुआ कि मैं तो मैं भेड़ नहीं हूं, मैं तो इस सिंह से भी ज्यादा बलशाली और तगड़ा हूं। उसका आत्म अभिमान जागा, आत्मबल से भऱकर उसने भीषण गर्जना की……
सिंहनाद था वह, ऐसी गर्जना उठी उसके भीतर से कि उससे पहाड़ कांप गए। बूढ़ा सिंह भी कांप गया।
उसने कहा- "अरे! इतने जोर से दहाड़ता है?" युवा शेर बोला- "उसने जन्म से कभी दहाड़ा ही नहीं, बड़ी कृपा जो सरोवर मे मेरी छबी बताई जो मुझे जगा दिया," इसी दहाड़ के साथ उसका जीवन रूपांतरित हो गया।
कहानी का सारांश यह बड़ा शेर कोई और नहीं अठारहवीं शताब्दी का महाज्ञानी, वेदों का प्रकांड पंडित, दलितउद्धारक, स्त्रीउद्धारक, राष्ट्रपितामाह महर्षि दयानंद सरस्वती है
और सरोवर कालजयी अमर ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश है
और युवा शेर धर्म से भटका हुआ भूतकाल का जिसे ज्ञान नहीं भविष्य में अपने तथा अपनी संतानों के भविष्य कि जिसे कोई फिकर नहीं कुंभकर्णी नींद में सोया हुआ अपने दुर्भाग्य से बेखबर हिंदू अर्थात युवा शेर
मानव मात्र के कल्याण के लिए अहोरात्र चिंतन करने वाले महर्षि दयानंद सरस्वती कुत ज्ञान का अमृत सरोवर सत्यार्थ प्रकाश जिसे एक बार कोई व्यक्ति अपने को देख ले पढ़ ले तो ज्ञान विज्ञान से सरोबोर होकर मानव जीवन की सर्वोच्च ऊंचाई को प्राप्त करता है मानव जीवन में कभी भी किसी भी मोर्चे पर हार नहीं सकता
सत्यार्थ प्रकाश अपने आप में एक शस्त्रागार है ज्ञान विज्ञान का अनुपम भंडार है इसके चौदह समुल्लास चौदाह दिव्यास्त्र है जब भी आप सत्यार्थ प्रकाश रूपी सरोवर में गोता लगाओगे तो हर बार आपको नया वैचारिक रत्न, धार्मिक मोती, सामाजिक माणिक, अध्यात्मिक मोती पाओगे
इसलिए है मेरे युवा शेरों सत्यार्थ प्रकाश पढ़ो और दहाडो़े विधर्मियों के छक्के छुड़ा दो अधर्मीयो के छक्के छुड़ा दो अपनी सदियों की कुविचारीक दास्तां को तोड़ो
sarvjatiy parichay samelan,marriage buero for all hindu cast,love marigge ,intercast marriage ,arranged marriage
rajistertion call-9977987777,9977957777,9977967777or rajisterd free aryavivha.com/aryavivha app