समस्त भारत के लोगो के सुखी एवं परम् सुखी होने की विधि क्या है
समस्त भारत के लोगो के सुखी एवं परम् सुखी होने की विधि क्या है -
यदि भारत के हर व्यक्ति को पदार्थ का पूर्ण ज्ञान हो जाये तो पूरा भारत सुखी एवं परम् सुखी हो सकता है। गंभीरता की बात यह भी है की लगभग सभी लोग स्कूल में खुद एवं अपने बच्चो को पदार्थ विद्या पढ़ाई करवा रहे भी है , क्योकि इसके बिना जीवन जीना संभव ही नहीं है ,परन्तु दुःख की बात ये है कि आज के स्कूल में पदार्थ विद्या कि अधूरी जानकारी दी जा रही है , और ये अधूरी पदार्थ विद्या ही मानव में भेदभाव , आतंकवाद , दुराचार , दुःख , बीमारी , दुर्घटना ,मांसाहार , पशुबलि , कोरोना वायरस को जन्म दे रही है ।
आज के समय में सभी मत मतान्तर के ग्रन्थ ( आज के तथाकथित धर्म ) को आधुनिक विज्ञान ने लगभग ख़त्म कर दिया है। ये सभी मत- मतान्तर नामचारे के लिए बचे है ।
प्रमाण ये है कि सभी मतों के लोग आधुनिक विज्ञान पढ़ भी रहे है एवं उसके अविष्कारों का जीवन में उपयोग कर रहे है , जैसे सीमेंट , TV , मोबाइल ,चीनी , रासायनिक खाद ,एलोपेथी दवाई इत्यादि ।
आधुनिक विज्ञान यह समझते है की प्रलय के बाद सृष्टि के शुरू में ही अनन्त द्रव्यमान , अनन्त तापमान,और अनन्त ऊर्जा होती है । ( ये सिद्धांत वैदिक विज्ञान के बिलकुल विपरीत है ।) आधुनिक विज्ञान सिर्फ इसी के छोटे रूपों का खोज कर रहा है, उसमे भी वह अभी तक मॉलिक्यूल, एटम, आयन, इलेक्ट्रान प्रोटोन, न्यूट्रॉन ,फोटोन और क्वार्क पहुंचा है एवं उसकी रासयनिक टेबल भी अधूरी है । इलेक्ट्रान, प्रोटोन और क्वार्क भी आधुनिक मशीनो से दिखाई नहीं देते है , इसका मतलब है कि यह लगभग वह अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुके है ,जबकि अभी मूल पदार्थ (जो एकरस, नित्य, पूर्ण अन्धकार, गतिहीन, क्रियाहीन है) से बहुत दूर है । जिस दिन आधुनिक विज्ञान मूल पदार्थ तक पहुँचेगा तभी विज्ञान पूर्ण होगा , जब तक वह मूल पदार्थ तक पहुंचेगा तब तक बहुत देर हो चुकी होगी । जब मूल पदार्थ तक पहुंचेगा तब उसको परमात्मा कि सत्ता दिखेगी एवं हमें मानव जीवन ही क्यों मिला, ये पता चलेगा ।
आज के नोबेल पुरुस्कार प्राप्त आधुनिक वैज्ञानिक मानते है की हमें विद्या , काल, बल , द्रव्यमान ,ऊर्जा ,ध्वनि , विधुत की सही -सही परिभाषा नहीं मालूम है । आधुनिक विज्ञान के अधूरे पदार्थ विज्ञान के आधार पर इनके हर अविष्कार से विनाश हो रहा है ।
जो आधुनिक विज्ञान का जो अधूरापन है वह महर्षि दयानन्द के अनुयायी ऋषि अग्निव्रत नैष्टिक ने अपनी ग्रन्थ वेद विज्ञान- आलोक मे प्रमाण सहित बताया है ।
हमको मानव रूपी जन्म केवल पदार्थ विद्या कि पूर्ण जानकारी से परमात्मा कि सत्ता जानने के लिए मिला है , पूर्ण पदार्थ विद्या को जानकर एवं उसका आचरण करके ही मानव सुखी एवं परम् सुखी ( मोक्ष ) हो सकता है । मानव के आलावा कोई भी जीव जंतु , पशु -पक्षी पदार्थ विद्या का ज्ञान नहीं हो सकता है ।
यदि हमको मूल पदार्थ का पता चल जाये तो हम वैदिक कृषि , वैदिक चिकित्सा , कच्चे मिटटी के घर ,गुड़, घर कि आटा चक्की , जो अभी डीज़ल कि खपत है वह केवल ५ % का उपयोग भर होगा, । मूल पदार्थ को जानकर हम भोग ही भोग में नहीं फंस सकते ।
पांच सदस्यों के परिवार के लिए केवल एक एकड़ भूमि एवं दो देशी गाय की जरुरत रहेगी जबकि भारत में एक पांच सदस्यों के परिवार के लिए तीन एकड़ भूमि उपलब्ध है । एक एकड़ से ज्यादा भूमि पर फसल कोई इसलिए नहीं बोयेगा क्योकि इससे ज्यादा भूमि पर खेती करने के लिए उसको अपने मूल उद्देश्य से हटना होगा । बड़ी मुश्किल से तो ये मानव योनि मिली है इसको हमें बर्बाद नहीं करना है ।
आज जो लोग ईश्वर में आपका ध्यान लगाने की बात कर रहे है वे सब अज्ञानी लोग है , क्योकि ईश्वर को केवल पूर्ण पदार्थ विद्या से ही जाना जा सकता है , इसके लिए खुद यजुर्वेद के ४० वे अध्याय के मन्त्र संख्या १४ का प्रमाण है ।
यदि भारत सहित विश्व मे सुख शांति चाहते है तो अधूरे आधुनिक पदार्थ विज्ञान कि जगह पूर्ण पदार्थ विज्ञान के लिए ऋषिकृत वेद भाष्य एवं वेद विज्ञान -अलोक स्कूलों मे पढ़ाया जाना चाहिए ।