महर्षि दयानंद एक क्रांतिकारी युगपुरुष

 ओ३म् 🔥🌹


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महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने भारत माँ को पाखंड अत्याचार की बेडियों से मुक्त कराने हेतु अत्यंत सफल और क्रन्तिकारी प्रयास किये।
उन्होने 5000 वर्षो से लुप्त हो चुकी वेद विध्या को दोबारा समाज मे स्थापित किया और आर्यों की संस्कृति की रक्षा की।
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उन्होने भारत ही नही विश्व के प्रत्येक मानव को आर्य (गुण,कर्म और स्वभाव से श्रेष्ठ) बनाने हेतु समग्र मानव समाज के विकास और उद्धार हेतु आर्य समाज की स्थापना की।


महर्षि का योगदान उनका गुणगान करना गागर मे सागर भरने के समान है।
कुछ पंक्तियाँ महर्षि दयानंद जी को सप्रेम सादर भाव से नमन करते हुए प्रस्तुत हैं जो स्वामी जी के गुणो पर प्रकाश डालती हैं
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दयानंद आनन्द दाता ऋषि था,
सुधा सार सबको पिलाता ऋषि था।
महत् था मधुरतम महा क्रांतिकारी,
दयामय दया का था अनुपम पुजारी।।


सभी भेद भावो को जग से मिटाना,
अन्धेरे मतों को हटाना था ठाना।
वह सच्चा था योगी युगों का विजेता,
मनुज मात्र का था अकेला ही नेता।।


ना उस सा था कोई सूर्य सा तेजस्वी,
वो था बलवान अनुपम योगी तपस्वी।
सभी को बचाया सभी को उठाया,
सभी मनुष्यो को सीने से लगाया।।


वह सबका गुरु था सफल मंत्रदाता,
सकल मानवो का था वह एक त्राता।
उसी ने दिखायी थी जीवन की राहें,
उसी ने सुनी दीन जन की कराहें।।


सूनो बात ऋषि की उसी पर चलो सब,
सभी भेद भावो की भाषा हटा दो।
वेदों की ओर लौटो सभी अब,
पापों की गठरी जला दो मिटा दो।।
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हम सभी महर्षि के पावन जिवन से प्रेरणा लें और विश्व को फिर से आर्य बनायें श्रेष्ठ बनाये।


अरे ,
जींदगी तो उसी की है जिसका दुनिया नाम जपती है,
यूं तो जिन्दगी कुत्ते और बिल्लियों की भी कटती है।
अच्छा है कुछ काम करना देश और धर्म का इस नाव में,
नाव खाली हो तो बीच मजधार मे पलटती है।


देश धर्म को बचाओ
देश बचेगा तभी हम बचेगे


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