ईश्वर कितने होते हैं

                                               


 


 


 


 


शिष्य: गुरुजी मुझे यह समझाइए की ईश्वर कितने होते हैं


गुरु: पुत्र !! ईश्वर एक ही है।


शिष्य: लेकिन देखने में आता है कि ईश्वर अनेक है,प्रत्येक व्यक्ति अलग अलग मूर्ति बना कर ईश्वर की पूजा कर रहा है।अलग अलग तीर्थ स्थान,अलग अलग मन्दिर बने हुए हैं और आप कह रहे हैं कि ईश्वर एक ही है ।


गुरु: पुत्र! यह विषय थोड़ा गंभीरता से समझाना पड़ेगा ,क्युकी तुम बचपन से ही इन मूर्तियो को, इन चित्रों को ईश्वर मानते चले आते हो।अब तक तुमने इन मूर्तियों की पूजा की है ।इनके नाम की माला फेरी है,उपवास किए हैं ,तीर्थ यात्राये  की है,अब  यदि ईश्वर का सही और वैदिक स्वरूप तुम्हारे सामने है तो तुमको विश्वास नहीं होता कि ये सभी ईश्वर नहीं है ,ये मूर्ति आदि तो प्रकृति से बने पदार्थ है ।कुछ लोग तो यह भी समझ नहीं पाते और उल्टा हम पर आरोप लगा   देते हैं कि हम नास्तिक है।कुछ तो अपनी अज्ञानता के कारण और कुछ स्वार्थ के कारण।इसलिए तुम सावधानी पूर्वक ईश्वर के स्वरूप को समझने का प्रयास करो।


शिष्य: हा गुरु जी !!! मै तैयार हूं,आप मेरी अज्ञानता को दूर करने का प्रयास कीजिए।मै आपकी बात हठ, दुराग्रह व अहंकार अभिमान को छोड़ कर सुनूंगा व कोई शंका होगी तो प्रश्न करूंगा!!


गुरु: हा पुत्र !तुम्हारे मन में कोई भी शंका नहीं रहना चाहिए,तुम कई वर्षों से अज्ञान अन्धकार में भटक रहे हो।आज तुम्हे ईश्वर की कृपा से ज्ञान रूपी मोती चुनने का अवसर मिला है ।निश्चित रूप से तुम्हारा अज्ञान दूर होगा ।


शिष्य : हा गुरु जी समझाइए की जिन्हे हम ईश्वर मानते आए   हैं ,आखिर वे सब कौन है


गुरु : जैसा कि मैंने तुम्हे पहले समझाया था कि ईश्वर सर्व व्यापक , सर्वशक्तिमान, निराकार, सर्वज्ञ सब कुछ जानने वाला,आदि गुणों वाला है,अब ये सारे गुण उन मूर्तियो पर दिखा कर देखो। ईश्वरीय गुणों की तुलना मूर्ति से करके देखो तब पता चलेगा की सच्चा ईश्वर कौन है।


शिष्य: कैसे गुरु जी।


गुरु : क्या मूर्ति सर्व व्यापक है/क्या मूर्ति सर्व देशी है


शिष्य: नहीं वह तो एक जगह है , एकदेशो है।


गुरु : क्या मूर्ति निराकार है??


शिष्य: नहीं ।मूर्ति का तो आकार है।


गुरु: क्या मूर्ति सर्व शक्तिमान है??


शिष्य: नहीं मूर्ति का निर्माण तो मनुष्य करता है , उसमे किसी प्रकार की शक्ति नहीं है।


गुरु :क्या मूर्ति सर्वज्ञ है ,सब कुछ जानने वाला सर्व ज्ञाता हैं क्या मूर्ति चेतन है क्या मूर्ति सृष्टि का निर्माण कर सकती हैं ,क्या मूर्ति किसी की रक्षा कर सकती हैं


शिष्य: गुरु जी, इनमें से एक भी गुण मूर्ति में नहीं है।


गुरु: पुत्र ! जरा सोचो जब ईश्वर का एक भी गुण मूर्ति में नहीं है तो वह ईश्वर कैसे हो सकती है।फिर लोग  इन राम ,कृष्ण,शिव ,पार्वती  आदि महापुरुषों  की पूजा क्यों करते हैं \


 


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