आज का वेदमंत्र

 


                                                           


 


 


 


आज का वेदमंत्र,अनुवाद महात्मा ज्ञानेन्द्र अवाना जी द्वारा, प्रचारित आर्य जितेन्द्र भाटिया द्वारा


तमीं हिन्वन्ति धीतयो दश व्रिशो देवं मर्तास ऊतये हवामहे।
धनोरधि प्रवत आ स ऋण्वत्यभिव्रजद्भिर्वयुना नवाधित॥ ऋग्वेद १-१४४-५।।


हम मरणधर्मा मनुष्यों को विद्वानों का संरक्षण और उनका ज्ञान प्राप्त हो। जिस प्रकार सभी दस उंगलियां मिलकर हाथ को शक्तिशाली बनाती हैं। उसी प्रकार सभी विद्वानों का ज्ञान हमें भी शक्ति दे।  जिस प्रकार एक कुशल धनुर्धारी वाणों को लक्ष्य तक पहुंचाता है। उसी प्रकार हम सभी ज्ञान को प्राप्त कर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयत्न करें।


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