आज का पञ्चाङ्ग 

 


 


 


 


 


 



  वैशाख कृ  द्वादशी २०७७
   
 19अप्रैल   2020 

दिन -----            रविवार
तिथि ---             द्वादशी
नक्षत्र -------        पूर्वाभाद्रपद
पक्ष ------          कृष्ण
माह-- ---           वैशाख
ऋतु --------      बसन्त
सूर्य उत्तरायणे,उत्तर गोले  
विक्रम सम्वत --2077 प्रमादी
दयानंदाब्द -- 196
शक सम्बत -1942
मन्वन्तर ---- वैवस्वत 
 कल्प सम्वत--1972949122
मानव,वेदोत्पत्ति सृष्टिसम्वत-१९६०८५३१२२
सूर्योदय -((दिल्ली)5:53
सूर्यास्त--( दिल्ली)6:49


पहला सुख निरोगी काया
    खाने के बाद पानी नहीं पीना चाहिए,हाँ शहद व गुड़ के साथ पी सकते हैं।


आज का विचार


 जिस मृत्यु को टाला जा सके अथवा जो दण्डनीय हो वो सौ प्रकार की अकाल मृत्यु है,जिसे टाला न जा सके जो अदण्डनीय हो वो एक मात्र स्वाभाविक मृत्यु मर्यादित व्यक्ति को ही प्राप्त होती है! --रूप 


 


हिन्दी संकल्प पाठ 


हे परमात्मन् आपको नमन!!आपकी कृपा से मैं आज एक यज्ञ कर्म को तत्पर हूँ, आज एक ब्रह्म दिवस के दूसरे प्रहर कि जिसमें वैवस्वत मन्वन्तर वर्तमान है,अट्ठाईसवीं चतुर्युगी का कलियुग जिसका प्रथम चरण वर्तमान है,कि जिसका काल अब 5122 वर्ष चल रहा है ,सृष्टि कल्प सम्वत्सर एक अरब सतानवे करोड़ उन्तीस लाख उनन्चास हजार एक सौ बाईसवां वर्ष है,तथा वेदोत्पत्ति  मानव उत्पत्ति सृष्टिसम्वत एक अरब छियानवे करोड़ आठ लाख तिरेपन हजार एक सौ बाईसवां ,विक्रम सम्वत् दो हजार सतत्तर है,दयानंदाब्द 196वां है, सूर्य उत्तर अयन में उत्तर गोल में वर्तमान है ,कि ऋतु बसन्त , मास वैशाख का  कृष्ण पक्ष ,तिथि - द्वादशी  , नक्षत्र पूर्वा भाद्रपद,दिन आज रविवार है ,अंग्रेजी तारीख 19 अप्रैल को भरतखण्ड के आर्यावर्त देश के अंतर्गत, ..प्रदेश के  ....जनपद...के ..ग्राम/शहर...में स्थित (निज घर में,या आर्यसमाज मंदिर में) मैं ...अमुक गोत्र में उत्पन्न, पितामह श्री ....(नाम लें ).के सुपुत्र श्री  .(पिता का नाम लें)उनका पुत्र मैं ...आज सुख ,शान्ति ,समृद्धि के लिए तथा आत्मकल्याण के लिए  प्रातः वेला में यज्ञ का संकल्प लेता हूँ,जिसके निर्देशक /ब्रह्मा के रूप में आप आचार्य..... श्री का वरण करता हूँ!कृपा कर यज्ञ सम्पन्न कराइए



 आज का संकल्प पाठ 
                   


ओं तत्सद्।श्री व्रह्मणो दिवसे द्वितीये प्रहरार्धे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे ,{ एकोवृन्दः सप्तनवतिकोटयः एकोनत्रिंशत् लक्षाणि एकोनपञ्चाशत् सहस्राणि द्विविंशत्यधिकशततमे सृष्टयब्दे ,२०७७ {सप्तसप्ततति: उत्तर द्वी सहस्रे वैक्रमाब्दे }, शाके १९४२  दयानंदाब्द(षट् नवती उत्तर शततमे) १९६ , रवि उत्तरायणे, उत्तर गोले, बसन्त ऋतौ, वैशाख मासे कृष्ण पक्षे  द्वादशी तिथि, पूर्वा भाद्रपद नक्षत्रे ,  
रविवासरे ,तदनुसार 19 अप्रैल 2020 
जम्बूद्वीपे,  भरतखण्डेआर्यावर्तान्तर्  गते .........प्रदेशे ,........जनपदे.. ..नगरे......गोत्रोत्पन्नः....श्रीमान.(पितामह)....(पिता..).पुत्रस्य... अहम् .'(स्वयं का नाम)....अद्य  प्रातः कालीन वेलायाम्  सुख शांति समृद्धि हितार्थ ,आत्मकल्याणार्थ ,रोग -शोक निवारणार्थ च यज्ञ कर्मकरणाय भवन्तम् वृणे।


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