वैदिक लेख

                                                                         


 


तीव्र विरोध के उपरांत भी संत रविदास जी ने अपना सत्य सनातन  वैदिक धर्म नहीं छोडा । सिंकदर लोधी के धमकाने पर उन्होंने कहा था-


वेद धर्म सबसे बड़ा, अनुपम सच्चा ज्ञान,
फिर मैं क्यों छोडू इसे, पढ़ लूं झूठ कुरान,
वेद धर्म छोडू नहीं, कोसिस करो हज़ार,
तिल तिल काटो चाहि, गोदो अंग कटार ।


स्मरण रहे, वेद धर्म ही ईश्वर प्रदत सच्चा सनातन धर्म है । इसमें पशुबलि, पाषाणपूजा, शिवलिंग पूजा, तीर्थपूजा, ग्रहपूजा, मांसभषण, जादू-टोना, भूतप्रेत आदि का कोई स्थान नहीं । वेद के नाम पर जो लोग इस प्रकार की बातों का प्रचार प्रसार करते हैं वे पापी हैं अपराधी हैं । वेद की शिक्षाएं बहुत सरल हैं, वेद का आदेश है- प्रात: सायं ध्यान करो, मन वाणी शरीर व वातावरण की शुद्धि के लिए नित्य वेद मंत्रों से यज्ञ करो, सदा सच बोलो, मीठा बोलो, झूठ बोलना पाप है, मांस अंडा खाना पाप है, सबसे प्रेम करो, सबको मित्र की दृष्टि से देखो, सब जीवों पर दया करो, किसी से द्वेष मत करो, माता पिता की सेवा करो, मनुष्य बनो, पूरे विश्व को अपना परिवार मानो, ऐसा राजा चुनो जो वेद विरुद्ध आचरण करने वालों को कठोर दण्ड दे सके


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