सत्संग का लाभ

सत्संग का लाभ 💐
एक बार 
 जी ) का उपदेश  देहली में वहां हो रहा था , जहां आजकल बारह टूटी चौक है । ... लोग ध्यान से सुन रहे थे , उनमें तीन व्यक्ति जिला रोहतक के देहात से आए हुए भी उपस्थित थे । स्वामी जी का उपदेश ' कर्म - फल ' पर था । उन्होंने कहा कि " जो मनुष्य अच्छा या बुरा कर्म करता है , उसी को उसके कर्मों का फल ईश्वर की व्यवस्था से मिलता है , दूसरों को नहीं , वे दूसरे चाहे परिवार के लोग ही क्यों न हों । " 
भाषण की समाप्ति पर वे तीनों लोग स्वामी जी से मिले और कहा कि " बाबा जी ! हम आपसे कुछ पूछना चाहते हैं , क्या आप थोड़ी दूर हमारे साथ चल पड़ेंगे ? ... वे दोनों स्वामी जी को ... ( जंगल में ) ले गए ... वहां एक जगह तीनों जमीन पर बैठ गए और स्वामी जी के बैठने के लिये उन्होंने अपनी चादर बिछा दी । स्वामी जी को आदर से बैठाकर ... पूछा -- महाराज ! आपके उपदेश से हमारे मन में कुछ शंका हुई है , इसलिये इस शंका को दूर करने के लिये ' कर्म और उसके फल को फिर से समझाएं । स्वामी जी ने फिर समझा दिया । 
तीनों ने संतुष्ट होकर कहा कि बाबा जी !  हम तीनों दिल्ली में डाका डालने आए थे , परंतु आपके उपदेश ने हमारे हृदयों पर बहुत प्रभाव किया है ।... फिर तीनों आर्यसमाजी हो गए और आर्यसमाज का काम कर्मठता से किया । उन तीनों में से एक चौधरी पीरूसिंह थे , जिन्होंने अपने गांव मटिण्डु  में अपनी तीस बीघा भूमि दान देकर गुरुकुल खोला , जिसकी स्थापना स्वामी श्रद्धानन्द द्वारा कराई गई और गुरुकुल कांगड़ी की शाखा बना दिया । दूसरे लाला इच्छाराम गांव फरमाना के थे , जिनके एक सुपुत्र गुरुकुल कांगड़ी के सुयोग्य स्नातक पं हरिश्चंद्र जी विद्यालंकार हुए और दूसरे पुत्र विख्यात नेता प्रो रामसिंह जी जो ... आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब के प्रधान और गुरुकुल विश्वविद्यालय कांगड़ी के चांसलर रहे । तीसरे .. फरमाना गांव के ( ही ) चौ० जुगलाल जैलदार थे ( जो अपनी स्पष्टवादिता और निर्भीकता  के कारण विख्यात हुए ) ....


सत्संग गौरव 


आचार्य ब्र० नन्दकिशोर


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