पितृयज्ञ किसे कहते हैं?
पितृयज्ञ किसे कहते हैं?
पितृ यज्ञ अर्थात जिसमें देव जो विद्वान, ऋषि जो पढ़ने-पढ़ानेहारे, पितर जो माता पिता आदि वृद्ध ज्ञानी और परम योगियों की सेवा करनी।
पितृयज्ञ के दो भेद हैं, एक श्राद्ध और दूसरा तर्पण।
श्राद्ध अर्थात् 'श्रत्' सत्य का नाम है 'श्रत्सत्यमं दधाति यया क्रियया सा श्रद्धा श्रद्धया यतक्रियते तच्छ्राध्दम' जिस क्रिया से सत्य का ग्रहण किया जाए उसको श्रद्धा और श्रद्धा से जो कर्म किया जाय उसका नाम श्राद्ध है और "तृप्यन्ति तर्पयन्ति येन पितृन तत्तर्पणम्" जिस जिस कर्म से तृप्त अर्थात् विद्यमान माता पिता आदि पितर प्रसन्न हो और प्रसन्न किए जाएं उसका नाम तर्पण, परंतु यह जीवितों के लिये है, मृतकों के लिये नही।
धीरेन्द्र सिंह परमार।